नई दिल्ली। कॉन्वेजीनियस ने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर टियर-3 शहरों और ग्रामीण भारत के 1.5 करोड़ विद्यार्थियों तक ऑनलाइन शिक्षा को पहुंचाया है। कॉन्वेजीनियस में वीपी (ऑपरेशंस) विप्रव चौधरी ने कहा कि कोविड-19 के दौरान डिजिटल उपकरणों की उपलब्धिता भारत में ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों के छात्रों के लिए शिक्षा में एक बड़ी अड़चन थी। जब महामारी की वजह से शिक्षा ऑनलाइन माध्यम में शिफ्ट हो गई, तब डिवाइस असमानता देश भर में टियर -1 और टियर -2 क्षेत्रों से परे अधिकांश छात्रों के सामने बड़ी समस्या के रूप में सामने आई। हमने अपने मौजूदा सॉल्युशन को पैरेंट-बेस्ड ऑफरिंग में बदलने का फैसला किया, जिससे टैबलेट-बेस्ड लर्निंग को हम व्हाट्सएप पर ले गए। माता-पिता और उनके बच्चे घर पर ही मौजूद थे। बच्चे वायरस के फैलने के दौरान भी घर से फोन पर सीख सकते थे।
कॉन्वेजीनियस टीम ने अपने सॉल्युशन में व्हाट्सएप एपीआई को एकीकृत कर और घर से पढ़ाई करने वाले छात्रों को सूचना और सामग्री की छोटी-छोटी जानकारी देने के लिए मैसेंजर फंक्शन का उपयोग करके लर्निंग के चैटबॉट-बेस्ड मॉडल को अपनाया। यह मॉडल वायरस के प्रकोप से सामने आई डिवाइस (टैबलेट / पीसी) असमानता से प्रेरित था। इस ऐप के सुपर-फ्रेंडली इंटरफेस ने आगे चलकर छात्रों को क्वारेंटाइन रहकर पढ़ाई करने और उनके अभिभावकों को अपने बच्चों की लर्निंग प्रोग्रेस पर नजर रखने और उसमें भाग लेने के लिए आदर्श सॉल्युशन बनाया।
मई 2020 में चैट-बेस्ड टीचिंग और लर्निंग प्लेटफॉर्म के लॉन्च के बाद से कॉन्वेजीनियस अब 10 भाषाओं के साथ 1.5 करोड़ छात्रों तक पहुंच गया है। इसमें व्हाट्सएप प्लेटफॉर्म के माध्यम से लर्निंग सत्र 98% पूरा होने की साप्ताहिक दर तक पहुंच रहे हैं। विप्रव कहते हैं कि हमारे एडटेक सॉल्युशन में व्हाट्सएप को इंटीग्रेट करने से ना केवल छात्रों को, बल्कि टीचर्स और अभिभावकों को भी कई लाभ हुए हैं। जब अपनी गति से सीखने का मौका मिलता है तो छात्र सशक्त होते हैं।