रांची। झारखंड के शिक्षकों को पुरानी पेंशन का लाभ मिलेगा। उन्हें पुरानी पेंशन व्यवस्था में परिवर्तित करने का काम किया जाएगा। इस बाबत शिक्षा सचिव राहुल शर्मा ने आदेश जारी कर दिया है। इसमें झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला भी दिया गया है।
सचिव ने जारी आदेश में लिखा है कि पुरानी पेंशन और सामान्य भविष्य निधि का लाभ स्वीकृत करने का मामला राज्य सरकार समक्ष विचाराधीन था। झारखंड प्रारंभिक शिक्षक नियुक्ति नियमावली, 2002 के अनुसार शारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य के प्रारंभिक विद्यालय में सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए वर्ष 2002 में विज्ञापन प्रकाशित किया गया। परीक्षा आयोजित कर परीक्षाफल का प्रकाशन वर्ष 2003 में किया गया।
प्रारंभिक शिक्षक चयन प्रतियोगिता परीक्षा 2003 के आधार पर चयनित और झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा अनुशंसित अभ्यर्थियों की सूची आयोग द्वारा इस विभाग को 13 नवंबर, 2003 को प्राप्त हुआ।
इस मामले पर विचार किया गया। इसके बाद सरकार ने निर्णय लिया कि झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सहायक शिक्षक नियुक्ति परीक्षा, 2003 के आलोक में प्रथम अनुशंसा के आधार पर नियुक्त शिक्षकों में से वैसे शिक्षक जो विलंब के लिए स्वयं जिम्मेवार नहीं हो, उन्हें पुरानी पेंशन व्यवस्था से आच्छादित किया जा सकेगा। प्रमाण-पत्रों की जांच, जिला शिक्षा स्थापना समिति की बैठक में विलंब आदि के कारण नियुक्ति में देरी हुई हो।
ऐसे सभी कर्मियों को नई पेंशन व्यवस्था से पुरानी पेंशन व्यवस्था में परिवर्तित करने का कार्य सामान्य भविष्य निधि निदेशालय और प्राथमिक शिक्षा निदेशालय स्तर से समन्वय स्थापित कर किया जा सकेगा। जिला शिक्षा अधीक्षक से सूची उपलब्ध कराने के बाद ही सामान्य भविष्य निधि निदेशालय द्वारा नई पेंशन व्यवस्था से पुरानी पेशन व्यवस्था में परिवर्तित किया जायेगा।
पात्र अभ्यर्थियों द्वारा वास्तविक नियुक्ति तिथि से पुरानी पेंशन व्यवस्था में परिवर्तित होने की तिथि तक नई पेंशन व्यवस्था के अंतर्गत जमा राशि की आधी राशि सरकारी कोष में जमा करना होगा। क्योंकि उक्त राशि में सरकार द्वारा भी 10 प्रतिशत का अंशदान दिया गया है।
परिकल्पित योगदान की तिथि से वास्तविक योगदान की तिथि तक कोई आर्थिक लाभ देय नहीं होगा। इनकी नियुक्ति 22 दिसंबर, 2003 को मानते हुए सामान्य भविष्य निधि एवं वरीयता का लाभ देय होगा।
झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा एलपीए में पारित न्यायदेश के अनुरूप वर्ष 2003 की नियुक्ति परीक्षा की द्वितीय अनुशंसा, जो कि वर्ष 2005 में प्राप्त हुई है, के आधार पर नियुक्ति किसी भी शिक्षक को यह लाभ देय नहीं होगा। अर्थात वे नई पेंशन नियमावली से ही आच्छादित रहेंगे।
संबंधित जिला शिक्षा अधीक्षक का यह दायित्व होगा कि वे यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रथम सूची के प्रत्येक शिक्षक, जो लाभ प्राप्त करना चाहते है, को यह लाभ प्राप्त हो। द्वितीय सूची के किसी शिक्षक को इसका लाभ प्राप्त नहीं हो सके। प्रस्ताव एवं अधिसूचना प्रारूप पर विधि (न्याय) विभाग, योजना-सह-वित्त विभाग और सरकार का अनुमोदन प्राप्त है।