बेजुबान जानवरों के प्रति लोगों का नजरिया बदलने में लगी पल्लवी

झारखंड सरोकार
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रांची। इंसान के करूणा एवं स्नेह का पशु-पक्षी भी हकदार है। समाज के हर तबके तक यह संदेश देने से जुड़ी हैं रांची के कांके रोड निवासी सुश्री पल्लवी घोष। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित रांची वेटनरी कॉलेज की छात्रा पल्लवी पशुओं की चिकित्सा, पोषण और देखभाल के साथ उनके अधिकारों के लिए भी आवाज बुलंद कर रही है।

बेजुबान जानवरों के प्रति आम लोगों का नजरिया बदले, इसके लिए वे नियमित रूप से जागरुकता अभियान चलाती हैं। पशुओं की देखभाल पर आधारित उन्होंने अपना यूट्यूब चैनल पैलिडोस्कोप शुरू किया है, जो पशु प्रेमियों के बीच लोकप्रिय हो गया। पशुओं के रखरखाव, टीकाकरण और पोषण पर आधारित उनके 30 से भी अधिक वीडियो को यूट्यूब चैनल पर काफी पसंद किया जा रहा है।

डीपीएस रांची से बारहवीं की शिक्षा लेने वाली छात्रा पल्लवी घोष डॉक्टर बनना चाहती थीं। मेडिकल में दाखिला नहीं मिली, तो उन्होंने मायूस होने के बजाय वेटनरी शिक्षा को चुना। वे कहती है कि उन्हें पशुओं से लगाव था, तो सोचा कि अगर इसकी पढ़ाई की जाए तो बेहतर तरीके से उनके लिए काम किया जा सकता है। अभी वे कॉलेज की अंतिम वर्ष की छात्रा है।

पल्लवी घोष

पल्लवी बताती हैं कि पढ़ाई के दौरान यह महसूस हुआ कि इंटरनेट पर भी पशुओं पर आधारित पाठ्य सामग्री बहुत सीमित है। इसके बाद उन्होंने पशुओं में होने वाली बीमारियों, उनके टीकाकरण, उनकी त्वचा की देखभाल, खान-पान, पोषण और उनके बर्ताव पर आधारित वीडियो बनाना शुरू किया। यह इतना पसंद किया गया कि देश-विदेश से उनके यूट्यूब वीडियो को व्यूज मिलने लगे।

हाल ही में पल्लवी उनके साथी प्रभांशु कुमार और सुरभी कुमारी की टीम ने अंगद देव वेटनरी एंड एनिमल साइंसेस, लुधियाना की ओर से आयोजित राष्ट्रीय प्रश्न्नोत्तरी प्रतियोगिता में विजेता बनने का गौरव हासिल किया। इसमें देशभर से 28 वेटनरी कॉलेज के विद्यार्थियों की प्रतिभागिता थी। शनिवार को बीएयू में आयोजित किसान मेला में इन्हें कुलपति द्वारा सम्मानित किया गया।

पल्लवी कहती हैं कि आज भी समाज के बड़े तबके में पशुओं के प्रति करूणा का आभाव है, जिसे बदलने की जरूरत है। बीएयू कुलपति डॉ ओएन सिंह ने इसे यूट्यूब चैनल की दुनिया में पशुपालन एवं पशुचिकित्सा क्षेत्र का एक नया आयाम बताया। डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने पल्लवी के इस प्रयास को पशुपालन एवं पशुचिकित्सा क्षेत्र में थ्योरी व प्रैक्टिकल ज्ञान के बीच की दूरी को कम करने वाला सराहनीय कदम कहा है।