लॉकडाउन की तपिश में और निखरी सरकार

झारखंड
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  • प्रमुखता में रहा झारखंडवासियों का जीवन और जीविका
  • रिकवरी रेट राष्ट्रीय औसत से अधिक और मृत्यु दर है कम

रांची। लॉकडाउन के एक वर्ष पूरे हुए। प्रधानमंत्री द्वारा देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद 23 मार्च, 2020 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य की जनता से कहा था-संकल्प, संयम, जिम्मेदारी और जनभागीदारी से मिलकर विपदा का सामना करेंगे। सरकार झारखंडवासियों की सुरक्षा के लिये जरूरी और सशक्त कदम उठायेगी। 31 मार्च तक संपूर्ण लॉकडाउन रहेगा। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद सबकुछ थम गये। आर्थिक गतिविधियां रुक गईं। लोग जहां थे, वहीं रह गये। दुकानें, व्यवसायिक प्रतिष्ठान, फैक्ट्री, साप्ताहिक हाट-बाजार सभी बंद हो गये अगले दो-तीन सप्ताह के लिये झारखंड काफी क्रुसिअल दौर में आ गया। मुख्यमंत्री लगातार लॉकडाउन के नियमों के पालन का आग्रह राज्यवासियों से करते रहे। नवगठित सरकार के लिये यह मुश्किल का दौर था।

इस दौरान राज्य सरकार ने विभिन्न चुनौतियों को स्वीकारा और उनका निदान भी किया। प्रमुखता में रहा झारखंडवासियों के स्वास्थ्य की सुरक्षा, राज्य में बेरोजगारी दूर करने, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों सहित सभी वर्गों को विकास की मुख्यधारा में सम्मिलित करते हुए उन्हें स्वाबलंबी, आर्थिक रूप से सशक्त बनाने, सामुदायिक विकास करने तथा प्रशासन एवं विकासात्मक प्रक्रिया में सबों की सहभागिता सुनिश्चित करने का प्रयास लॉकडाउन के क्रम में किया गया। कोरोना के पैर पसारने से पहले ही सरकार ने 86,370 करोड़ का बजट पेश किया। कोई भूखा नहीं रहे, कोई लाइलाज नहीं मरे के संकल्प के साथ सरकार ने कोरोना के खिलाफ जंग का आगाज किया।

श्रमिकों के लिये बने पहली आवाज

23 मार्च, 2020 मुख्यमंत्री केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज्‍यमंत्री से आग्रह किया कि लॉकडाउन में बेरोजगारी भत्ता की राशि भारत सरकार द्वारा मजदूरी मद से श्रमिकों को उनके खाते में उपलब्ध कराई जाये, क्योंकि मनरेगा के तहत श्रमिकों को नियमानुसार ससमय रोजगार नहीं पाने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता दिये जाने का प्रावधान है। इसके बाद से मुख्यमंत्री लगातार श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य करते रहे। सरकार ने ग्रामीणों को गांव में रोजगार उपलब्ध कराने के लिये बिरसा हरितग्राम योजना, नीलाम्बर-पीताम्बर जल समृद्धि योजना, पोटो हो खेल विकास योजना के जरिये 25 करोड़ मानव दिवस सृजन करने एवं लाखों श्रमिकों के खाते में 20 हजार करोड़ देने का लक्ष्य तय किया गया। वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये संक्रमण काल में 913 लाख मानव दिवस का सृजन किया गया, जो पूर्व की अपेक्षा सबसे अधिक है। इतना ही नहीं श्रमिकों को ससमय मजदूरी भुगतान, व्यक्तिगत लाभ की योजना एवं कृषि कार्य से सर्वाधिक योजनाओं को लागू करने में भी झारखंड पूरे देश में अव्वल रहा। केंद्र सरकार से बार बार आग्रह के बावजूद जब केंद्र सरकार ने मनरेगा मजदूरी दर नहीं बढाया तो मुख्यमंत्री ने श्रमिकों की आय को बढ़ाने के उदेश्य से राज्य स्तर से दर में बढ़ोतरी कर दी।

प्रवासी श्रमिकों को लाने की शुरुआत छत्तीसगढ़ से

मुख्यमंत्री को जानकारी प्राप्त हुई कि महाराष्ट्र से लौटते समय झारखंड के 50 से अधिक श्रमिक छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में फंस गए हैं। झारखंड लौटने की कोई सुविधा नहीं। भोजन भी नसीब नहीं हो रहा है। मामले की जानकारी के बाद मुख्यमत्री ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से संपर्क साधा और राज्य के श्रमिकों को वापस ले आये। इसके बाद मुख्यमंत्री रुके नहीं। सोशल मिडिया के माध्यम से विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री से आग्रह कर राज्य के श्रमिकों को सुविधा उपलब्ध कराया। झारखंड पूरे देश से प्रवासी श्रमिकों को ट्रेन और हवाई जहाज से वापस झारखंड लाने वाला पहला राज्य झारखंड बना। करीब 8.50 से लाख से अधिक श्रमिक, श्रमिक स्पेशल ट्रेन से लाये गए। 484 श्रमिक सुदूरवर्ती लेह-लद्दाख और अंडमान द्वीप समूह से एयरलिफ्ट हुए। प्रवासी श्रमिकों को आर्थिक सहायता पहुंचाने के लिए विशेष सहायता एप के माध्यम से श्रमिकों को उनके बैंक खाते में 1000 रुपये की आर्थिक मदद भेजी गई।

भूख नहीं हुई किसी की मौत

31 मार्च 2020 मुख्यमंत्री ने कहा-कोई भूखा न सोये, यह हमारी सरकार की जिम्मेवारी। किसी की मौत भूख से नहीं हो। मुख्यमंत्री ने इससे सम्बंधित सख्त निर्देश जारी कर दिया था। राज्य से बहार खाद्यान नहीं भेजा गया। पीडीएस दुकानों का जिओ टैगिंग करा गरीबों को राशन दिया गया। संक्रमण काल में राज्य के विभिन्न जिलों में फंसे श्रमिकों के लिए मुख्यमंत्री दीदी किचन एवं मुख्यमंत्री विशेष दीदी किचन के संचालन के लिये 38 करोड़ से अधिक राशि निर्गत हुए। लॉकडाउन में गरीबों को भोजन प्राप्त हो इस निमित्त तीन महीने का राशन फ्री दिया गया। प्रवासी श्रमिकों के लिए 10 किलो चावल चना और अन्य खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई गई। लॉकडाउन के दौरान 6 हजार 595 दीदी किचन, 1300 दाल भात केंद्र और 300 से अधिक सामुदायिक किचन के माध्यम से पांच करोड़ से अधिक भोजन की थाली या गरीबों को परोसी गई। कांटेन्मेंट जोन में रह रहे लोगों को सरकार द्वारा मुफ्त राशन-मुख्यमंत्री आहार भी पहुंचाया गया।

महिलाओं के सशक्तिकरण का रखा ध्यान

लॉकडाउन में किसान खेतों में काम करने पर पाबंदी थी। इससे उन्हें नुकसान हो रहा था। मुख्यमंत्री के संज्ञान में बात आते ही उन्होंने निर्देश दिया किसानों को उनके खेत में काम करने दें। इसके बाद मुख्यमंत्री ने लगभग 68 उत्पादक समूह के किसानों के उत्पादों को उचित मूल्य पर बाजार उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाए। जोहार परियोजना के तहत करीब 133.50 मीट्रिक टन सब्जी की राशि करीब दो करोड़ की कुल बिक्री सुनिश्चित की गई। झारखंड राज्य किसान राहत कोष के तहत 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। एक लाख तक के कृषि ऋण माफ़ी की घोषणा हुई। यही नहीं, ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में भी कार्य हुए। फूलो झानो आशीर्वाद अभियान के तहत शराब हड़ि‍या बेचने में संलिप्त करीब 19,000 ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक सहयोग देकर विकास की मुख्यधारा जोड़ने का कार्य किया गया। संक्रमण काल में 26 हजार सखी मंडल को बैंक लिंकेज के जरिए 370 करोड रुपये उपलब्ध कराया गया। कुल 1824 करोड़ रुपए बैंक से ऋण के रूप में सखी मंडलों को उपलब्ध हुआ। राज्य में कुल 2.2 लाख सखी मंडलों को चक्रिय निधि के रूप में 334 करोड़ रुपया उपलब्ध कराया गया। 41 हजार 842 सखी मंडलों को सामुदायिक निवेश राशि स्वरूप 118 करोड़ रुपये उपलब्ध कराया गया।

नियुक्ति और रोजगार को लेकर संजीदा सरकार

राज्य सरकार एक ओर संक्रमण से मुकाबला कर रही थी तो दूसरी ओर लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में भी कार्य हो रहा था। सालों से प्रकाशन की बाट जोह रही छठी जेपीएससी का परीक्षा परिणाम जारी कर 325 युवाओं को रोजगार प्रदान किया गया। संक्रमण काल में पहली बार जिला खेल पदाधिकारियों की नियुक्ति हुई। नर्सिंग प्रशिक्षण प्राप्त 111 अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग की बेटियों को रोजगार उपलब्ध कराया गया। मुख्यमंत्री शहरी कामगार योजना के तहत रोजगार देने की शुरुआत के लिए सुगम एवं सस्ते दर पर ऋण एवं अनुदान का लाभ देने के लिए मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना का शुभारंभ हुआ। श्रमिकों के स्किल मैपिंग एवं कौशल विकास के लिए 5, 30, 541 श्रमिकों का डाटाबेस तैयार हुआ।

व्यवस्था हुई सुदृढ़, टीकाकरण जारी

तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए राज्य सरकार ने संक्रमण से निपटने के लिये 16 जनवरी 2021 से राज्य भर के प्रथम चरण के तहत फ्रंट लाइन वर्कर के लिए टीकाकरण अभियान का शुभारम्भ किया है। दूसरे चरण का टीकाकरण अभियान जारी है। वर्तमान में बेड बिना आक्सीजन के 12, 358, बेड ऑक्सीजन के साथ 2021, आईसीयू 577, वेंटिलेटर 642, राज्यस्तरीय वैक्सीन सेंटर 1, रीजनल वैक्सीन सेंटर 3, जिला स्तरीय वैक्सीन सेंटर 24, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में वैक्सीन सेंटर 248, कोरोना वैक्सीन के लिए 275 स्टोर की वर्तमान में व्यवस्था की गई है।

ये है वर्तमान स्थिति

वर्तमान परिपेक्ष्य में नजर डालें तो झारखंड में संक्रमण मुक्त होने वाले लोगों का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से अधिक है। मृत्यु दर में झारखंड राष्ट्रीय औसत से पीछे है। कोरोना संक्रमण के मामले में झारखंड का रिकवरी रेट 98.47 प्रतिशत और मृत्यु दर 0.90 प्रतिशत है। 22 मार्च, 2021 तक 57,93,621 सैंपल कलेक्ट किये जा चुके हैं, 57,77, 287 जांच हो चुका है। कुल पॉजिटिव मामले 1,21,371 हैं। कुल 1,19,478 लोग कोरोना मुक्त हो चुके हैं, जबकि वर्तमान में कुल 796 सक्रीय मामले हैं। 1097 लोगों की मौत संक्रमण से हो चुकी है।

‘खतरा अभी टला नहीं है। कोरोना संक्रमण के प्रति सजग रहें। आपकी जागरुकता ही कोरोना से बचाव का बड़ा माध्यम बन सकता है। राज्य सरकार राज्यवासियों के स्वास्थ्य की सुरक्षा को लेकर संवेदनशीलता से कार्य कर रही है।-हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री।