- बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय राज्यस्तरीय किसान मेला शुरू
रांची। किसान परिवार से जुड़े होने की वजह से किसानों की जरूरत एवं समस्याओं को समझती हूं। सीमित कृषि योग्य भूमि में देश की भावी खाद्यान जरूरतों को कम भूमि, कम जल एवं कम श्रमिक आधारित अधिक उत्पादन एवं लाभ वाली तकनीकों से ही पूरा किया जाना संभव होगा। राज्य के छोटे एवं सीमांत किसानों की आजीविका एवं पोषण सुरक्षा के लिए समेकित कृषि प्रणाली को पहली प्राथमिकता देनी होगी। राज्य में कृषि विकास को गति देने के लिए किसानों को कृषि तकनीक के नये आयामों जैसे संरक्षित कृषि, ड्रीप इरीगेशन एवं स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली, बायोटेक्नोलॉजी, नेनो टेक्नोलॉजी, स्मार्ट एग्रीकल्चर और सूचना प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग की दिशा में किसानों के बीच अधिकाधिक जागरुकता एवं कौशल विकास कार्यक्रम को चलाये जाने की जरूरत हैं। उक्त बातें बीएयू में आयोजित तीन दिवसीय पूर्वी क्षेत्र प्रादेशिक एवं एग्रोटेक – 2021 किसान मेला के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य अथिथि राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कही।
राज्यपाल ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को स्थानीय उपयुक्त लाभकारी नवाचार तकनीकी को विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ना होगा। हर एक वर्ष तकनीकी नवीनता के साथ मेले का आयोजन आयोजन विश्वविद्यालय की विशेषता एवं पहचान है। आधुनिक प्रौद्योगिकी, सेवाओं, उपादानों और उत्पादों के जीवंत प्रदर्शन का किसान मेला सर्वाधिक प्रभावी माध्यम है। अधिकाधिक किसान इस अवसर का लाभ लें। मौके पर उन्होंने पशुपालक कैलेंडर, आधुनिक सूकर पालन के आयाम व जीव रसायन प्रश्न बैंक पुस्तिका का विमोचन किया गया।

कृषि उद्यमिता क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए दुमका की सपना कुमारी, मछली उत्पादन में गढ़वा के गौरव साव, सूकर पालन में नगड़ी के सौरव उरांव तथा पपीता की खेती में पश्चिमी सिंहभूम के महेश पूर्ति और बिरसा मुंडा के पोते सुखराम मुंडा को द्रौपदी मुर्मू ने सम्मानित किया।
झारखंड से जल्द किसान ट्रेन
मौके पर विशिष्ट अतिथि रांची के सांसद संजय सेठ ने झारखंड में सरप्लस उत्पादित कृषि उत्पादों को उचित मूल्य मिलने के लिए देश के कोने-कोने तक के बाजार में किसानों के पहुंच को जरूरी बताया। झारखंड से जल्द ही सप्ताह में एक दिन देश के कोने-कोने तक किसान मेल ट्रेन की सुविधा उपलब्धता के बारे में बताया। इससे किसानों को कृषि उत्पाद बेचने में आसानी, मंडी टैक्स से निजात तथा किसानों के आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा।
विशिष्ट अतिथि स्थानीय विधायक समरी लाल ने राज्य सरकार से कांके स्थित एशिया के सबसे बड़े बेकन फैक्ट्री को पुनः खोलने की मांग की। राज्य में आदिवासी के बीच सूकर पालन प्रचलित होने की वजह से इसे जरूरी बताया। साथ ही एकमात्र कृषि विश्वविद्यालय में शिक्षक, वैज्ञानिक, पदाधिकारी एवं कर्मचारियों के खाली पदों को तुरंत भरे जाने की मांग की।

विशिष्ट अतिथि नीलाम्बर-पीताम्बर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राम लखन सिंह ने मेले से किसानों को आत्मनिर्भरता के ज्ञान को सीखने और कौशल विकास का अवसर बताया। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कृषि विस्तारीकरण को बड़ा कदम की बात कही।
मेले के महत्व पर प्रकाश डाला
स्वागत करते हुए बीएयू के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने तीन दिवसीय किसान मेला के थीम कृषि उद्यमों के विविधिकरण द्वारा ग्रामीण सम्पन्नता विषय पर प्रकाश डालते हुए मेले के महत्व पर प्रकाश डाला। मेले के ग्यारह सब थीम विषयों जैसे प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, फसलोत्पादन एवं समन्वित कृषि प्रणाली, फसल सुधार, फसल कीट एवं रोग प्रबंधन, द्वितीयक कृषि, कटाई उपरांत प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन, फार्म यंत्रीकरण एवं उर्जा प्रबंधन, बीज एवं उपादान, कृषि सूचना, संचार एवं विपणन, कृषि में उच्च शिक्षा , वन संसाधन उपयोग एवं कृषि वानिकी, उद्यान प्रदर्शनी एवं पशु स्वास्थ्य प्रबंधन विषयों पर प्रदर्शित तकनीकी को किसानों के लिए लाभकारी बताया। समारोह में विशिष्ट अतिथि संतोष सत्पथी ने भी भाग लिया। संचालन शशि सिंह और धन्यवाद निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ जगरनाथ उरांव ने किया।
उद्यान प्रदर्शनी का उद्घाटन किया
राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने मेले परिसर में लगी उद्यान प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। इस प्रदर्शनी में झारखंड की बागवानी क्षेत्र में अपार संभावनाओं को देखते हुए पंडाल में सब्जी, मसाले, फल, गमले में फूल एवं पत्तेदार पौधे, कट फ्लावर, संरक्षित फल-पदार्थ आदि के विभिन्न वर्ग एवं खंड के अधीन प्रादर्श को प्रदर्शित किया गया।

मेला में स्टॉल
मेले में 145 स्टॉल लगे है। मुख्य पंडाल में मुख्य थीम से सबंधित प्रौद्योगिकी प्रदर्शित किया गया है। अन्य पंडालों में ग्यारह सब थीम विषयों पर आधारित स्टॉल में कृषि तकनीकी को प्रदर्शित किया गया है। स्टॉलों में प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के तहत ग्रामीण कृषि मौसम सेवा, मल्चिंग खेती तकनीक, मृदा स्वास्थ्य, मिट्टी की जाँच एवं जैविक व जीवाणु खाद के बारे में फसलोत्पादन एवं समन्वित कृषि प्रणाली के तहत एक एकड़ व एक हेक्टेयर के लिए उपयुक्त समन्वित कृषि प्रणाली मॉडल से आमदनी बढ़ाने और फसलों के पार्थेनियम सहित हानिकारक खर-पतवार के बारे में बताया गया है।
रोगरोधी फसल किस्मों के बारे में अधिक सवाल
निदेशक अनुसंधान डॉ अब्दुल वदूद की अध्यक्षता में किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें किसानों ने मौसम आधारित खेती, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, उन्नत फसल किस्मों, फसलों की लाभकारी कृषि तकनीक, समन्वित कृषि प्रणाली, बागवानी, पशुपालन एवं कृषि वानिकी तथा रोग व कीट प्रबंधन विषयों पर करीब 150 प्रश्न किये। गोष्ठी में अधिकतर प्रश्न फसल रोग, कीट प्रबंधन एवं रोग रोधी फसल किस्मों के बारे में पूछा गया। किसानों के प्रश्नों का वैज्ञानिकों के दल में डॉ आरपी सिंह, डॉ सुशील प्रसाद, डॉ नरेंद्र कुदादा, डॉ पीके सिंह, डॉ डीके शाही, प्रो डीके रूसिया आदि ने जवाब दिया।
मेला में 6 मार्च के कार्यक्रम
मेले के दूसरे दिन शनिवार को प्रातः 11 बजे कृषक महिला गोष्ठी होगी। इसके मुख्य अतिथि श्रम नियोजन मंत्री सत्यानद भोक्ता और विशिष्ट अतिथि बड़कागांव की विधायिका सुश्री अम्बा प्रसाद होंगी। दोपहर एक बजे विधानसभा अध्यक्ष रबिन्द्र नाथ महतो द्वारा पशु पक्षी प्रदर्शनी का उद्घाटन होगा।