- भारतीय वायुसेना ने पहली बार लड़ाकू विमानों के साथ हिस्सा लिया
- दस देशों की वायुसेनाओं ने सीखा एक-दूसरे से युद्ध कौशल
नई दिल्ली। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) वायुसेना की मेजबानी में दस देशों की वायुसेनाओं के बीच अल ढफरा एयरबेस पर चल रहे ’डेजर्ट फ्लैग’ युद्धाभ्यास का समापन हो गया है। भारत और खाड़ी देशों के बीच तीन सप्ताह तक चले इस हाई प्रोफाइल अभ्यास का छठा संस्करण 04 मार्च से आयोजित किया गया था। इस युद्धाभ्यास में भारतीय वायुसेना ने पहली बार सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के साथ हिस्सा लिया।
वायुसेना प्रवक्ता के मुताबिक इस वार्षिक बहुराष्ट्रीय युद्धाभ्यास ’डेजर्ट फ्लैग’ में भारत के अलावा यूएई, अमेरिका, फ्रांस, सऊदी अरब और बहरीन ने अपनी-अपनी हवाई संपत्ति के साथ भाग लिया।
इसके अलावा जॉर्डन, ग्रीस, कतर, मिस्र और दक्षिण कोरिया की वायुसेनाएं पर्यवेक्षक बलों के रूप में शामिल हुईं। इस युद्धाभ्यास में हिस्सा लेने के लिए भारतीय वायुसेना 04 मार्च की सुबह छह लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई, दो परिवहन विमान सी-17 ग्लोबमास्टर और एक आईएल-78 टैंकर विमान के साथ संयुक्त अरब अमीरात के अल ढफरा एयरबेस पर पहुंच गई थीं। परिवहन विमान सी-17 ग्लोबमास्टर ने भारतीय वायुसेना के दल को यूएई लाने और ले जाने के लिए सहायता प्रदान की। इस दौरान रास्ते में उन्हें मध्य हवा में आईएल-78 टैंकर विमानों से ईंधन दिया गया।
इस अभ्यास का प्रयोजन गठबंधन सेनाओं का व्यावसायिक उद्देश्य उजागर करना, सामरिक क्षमताओं को तेज करना और भाग लेने वाली वायुसेनाओं के बीच घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देने के साथ-साथ अंतर-क्षमता को बढ़ाना था। इसमें भाग लेने वाले विमानों के चालक दल और विशेषज्ञ पर्यवेक्षकों का उद्देश्य एक साथ काम करने वाले बहुराष्ट्रीय बलों के लिए परिचालन वातावरण का माहौल बनाना था। अभ्यास के दौरान वायुसेनाओं ने विभिन्न प्रकार के कई विमानों को शामिल करते हुए एक साथ कई मिशनों की ओर उड़ान भरी। भारतीय वायुसेना ने दिन और रात के सभी नियोजित मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा किया।
संयुक्त अरब अमीरात की वायुसेना ने मेजबानी करते हुए अभ्यास में भाग लेने वाली वायुसेनाओं को सभी नियोजित गतिविधियां समय से पूरी करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान की। भारतीय वायुसेना सहित प्रतिभागी वायुसेनाओं को ज्ञान, अनुभव, सामरिक क्षमताओं को बढ़ाने और अंतरसंचालनीयता बढ़ाने का एक अनूठा अवसर मिला। इस युद्धाभ्यास ने भाग लेने वाली वायुसेनाओं की पेशेवर क्षमताओं को बढ़ाने में एक लंबा रास्ता तय किया। पिछले दशक में भारतीय वायुसेना ने नियमित रूप से बहुराष्ट्रीय सामरिक युद्धाभ्यासों की मेजबानी की है या भाग लिया है, जिनके माध्यम से दुनिया की सर्वश्रेष्ठ वायुसेनाओं के बीच सहयोग किया जाता है।