देश भर के 10 लाख कर्मी हड़ताल पर, बैंकों में लटके रहे ताले

झारखंड मुख्य समाचार
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रांची। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आह्वान पर 15 मार्च को पूरे देश के लगभग 10 लाख से ज्यादा बैंक कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल पर रहे। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और बहुत जगह निजी क्षेत्र के बैंक भी बंद रहे। हड़ताल के कारण सभी शाखाएं एवं प्रशासनिक कार्यालय बंद रहे। हड़ताल पर जाने का मुख्य कारण केंद्र सरकार द्वारा बजट के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण एवं प्रतिगामी बैंकिंग सुधार के विरोध है। इस दो दिवसीय हड़ताल को केंद्रीय श्रमिक संगठनों और संयुक्त किसान मोर्चा ने भी अपना समर्थन किया है। इसके अलावा देश के 200 से ज्यादा फेडरेशन ने भी इसका पूरा समर्थन किया।

यूनियन के संयुक्त संयोजक एम एल सिंह ने बताया कि सुबह से ही शाखा एवं प्रशासनिक  कार्यालय के समक्ष कर्मचारी और अधिकारियों ने प्रदर्शन किया। हड़ताल में महिला कर्मियों ने भी अपनी अहम भूमिका निभाई। ग्राहकों ने भी साथ दिया।

रांची स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक एवं झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक रांची के प्रशासनिक कार्यालय के समक्ष जमकर प्रदर्शन एवं नारेबाजी हुई। इसके अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा रांची मुख्य शाखा, पंजाब एंड सिंध बैंक रांची मुख्य शाखा, फेडरल बैंक रांची मुख्य शाखा के अलावे सभी शाखाओं के समक्ष कर्मचारी और अधिकारी बड़ी मात्रा में हिस्सा लिए।

झारखंड के अंतर्गत सभी जिलों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में ताले लटकते हुए नजर आए। सरकार के इस फैसले से आम बैंक कर्मियों तथा जनमानस में एक बहुत ही आक्रोश नजर आया। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रतिवर्ष अपनी ऑपरेटिंग लाभ में बढ़ोतरी कर रहे हैं। देश के सामूहिक विकास में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है। इतना ही नहीं चाहे वह नोटबंदी का दौरान हो या हाल ही में कोविड-19 के महामारी के समय सरकार की समस्त योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाया। निजी क्षेत्र की भूमिका ना के बराबर है।

श्री सिंह ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की इस भूमिका को नजरअंदाज कर निजीकरण करने की साजिश एक खुल्लम खुला कॉर्पोरेट घरानों को परोक्ष रूप से मदद करने के अलावा कुछ नहीं है। निजी क्षेत्र के बैंकों के इस दौरान फेल होने की घटना आम रही। ऐसे हालत में कॉर्पोरेट घरानों को देना सरासर अन्याय संगत है। इस संदर्भ में भूतपूर्व रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉक्टर रघुराम राजन और डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने भी केंद्र सरकार के इस कदम पर अपना विरोध जता चुके हैं।

कर्मियों ने केंद्र सरकार से मांग की कि वह अपने इस प्रस्ताव को तत्काल वापस करें। केंद्र सरकार अपनी हठधर्मिता पर अडिग रही तो आने वाले दिनों में और तीव्र आंदोलन होगा।हड़ताल को झारखंड राज्य की श्रमिक संगठनों के सीटू के निर्वाण बोस, एटक के अशोक यादव, एक्टू के शुभेनदु सेन, एसके राय, पीके गांगुली, अजय सिंह आदि के प्रतिनिधियों ने भी स्टेट बैंक के समक्ष हिस्सा लेते हुए अपना समर्थन दिया। सभा को संबोधित किया। इसके अलावा किसान मोर्चा के सदस्‍यों ने खुलकर समर्थन किया।