– मुख्यमंत्री ने आपदा प्रभावित गांव रैणी एवं लाता में लिया स्थिति का जायजा
– जोशीमठ में आईटीबीपी अस्पताल में भर्ती घायलों से भी मिले मुख्यमंत्री
देहरादून । उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने के बाद से आपदा प्रभावित इलाकों में राहत एवं बचाव कार्य कर रही टीमों को अबतक कुल 32 शव मिले हैं। इनमें 8 शवों की शिनाख्त हो गई है और 197 लोग अभी भी लापता बताए गए हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार सुबह आपदा प्रभावित सीमांत गांव रैणी एवं लाता जाकर वहां की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने वहां के ग्रामीणों को हर सम्भव सहायता के प्रति आश्वस्त भी किया।
मुख्यमंत्री ने चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया को निर्देश दिए कि कनेक्टीविटी से कट गए गांवों में आवश्यक वस्तुओं की कमी न रहे। रविवार को तपोवन क्षेत्र में हुई भीषण त्रासदी में जोशीमठ ब्लॉक के लगभग एक दर्जन गांवों का सड़क से सम्पर्क टूट गया था। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने जोशीमठ में आईटीबीपी अस्पताल में आपदा में घायल हुए लोगों से मिलकर उनका हालचाल जाना। मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों से घायलों के इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त की।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने तपोवन में किया रात्रि विश्राम
ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सोमवार देर शाम तपोवन जोशीमठ पहुंचे थे। वहां उन्होंने आपदा राहत कार्यों का जायजा लिया और राहत कार्यों में लगे सेना, आईटीबीपी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, पुलिस के जवानों का उत्साहवर्धन किया। मुख्यमंत्री ने सोमवार को ही देर शाम विभिन्न अधिकारियों के साथ बैठक कर पूरे रेस्क्यू आपरेशन की समीक्षा की थी। उन्होंने तपोवन में ही रात्रि प्रवास भी किया था।
मंगलवार को भी सर्च व रेस्क्यू आपरेशन जारी रहा
चमोली जिले में रविवार को आयी आपदा के तीसरे दिन भी रेस्क्यू आपरेशन जारी रहा। एनटीपीसी की क्षतिग्रस्त तपोवन प्रोजेक्ट की सुरंग में फंसे 30-35 लोगों को बचाने के लिए सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, एसडीआरएफ के अलावा अब मरीन कमांडो का दस्ता भी पहुंच चुका है। अब टनल में नए तरीके से अंदर जाने की तैयारी की जा रही है। गढ़वाल राइफल्स की टीम दूसरी दिशा में टनल की दीवार में छेद (होल) करके जाने का प्रयास कर रही है। मेजर जनरल राजीव छिब्बर ने बताया कि हम उस छेद के जरिए ये देख पाएंगे की अंदर की स्थिति क्या है? इसके बाद उस छेद के जरिये जवान अंदर जाकर फंसे हुए लोगों को बचा सकते हैं।
नीती वैली के 13 गांवों का संपर्क कटा
आपदा में सड़क और पुल बह जाने के कारण नीती वैली के जिन 13 गांवों से संपर्क टूट गया है, उन गांवों में जिला प्रशासन चमोली द्वारा हेलीकॉप्टर के माध्यम से राशन, मेडिकल एवं रोजमर्रा की चीजें पहुंचायी जा रही है। गांवों मे फंसे लोगो को राशन किट के साथ 5 किलो चावल, 5 किग्रा आटा, चीनी, दाल, तेल, नमक, मसाले, चायपत्ती, साबुन, मिल्क पाउडर, मोमबत्ती, माचिस आदि राहत सामग्री हेलीकॉप्टर से भेजी जा रही हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्र के साथ ही अलकनन्दा नदी तटों पर जिला प्रशासन की टीम लापता लोगों की खोजबीन में जुटी हैं।
राज्य के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के अनुसार इस प्राकृतिक आपदा के बाद जारी रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी टीमों ने विभिन्न स्थानों से कुल 32 लोगों के शव बरामद किए हैं, जिनमें से 8 लोगों की शिनाख्त हो गई है। अन्य लोगों की पहचान की कोशिश की जा रही है।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से शाम 7.30 बजे प्राप्त जानकारी के अनुसार आपदा प्रभावित क्षेत्रों में एसडीआरएफ के 190, एनडीआरएफ के 176, आईटीबीपी के 425 जवान एसएसबी की 1 टीम, आर्मी के 124 जवान, आर्मी की 02 मेडिकल टीम, स्वास्थ्य विभाग उत्तराखण्ड की 04 मेडिकल टीमें और फायर विभाग के 16 फायरमैन लगाए गए हैं। राजस्व विभाग, पुलिस दूरसंचार और सिविल पुलिस के कार्मिक भी कार्यरत हैं। बीआरओ द्वारा 2 जेसीबी, 1 व्हील लोडर, 2 हाईड्रो एक्सकेवेटर, आदि मशीनें लगाई गई हैं। एक हेलीकाप्टर द्वारा एनडीआरएफ की टीम और 3 वैज्ञानिकों को भेजा गया है। स्टैंडबाई के तौर पर आईबीपी के 400, आर्मी के 220 जवान, स्वास्थ्य विभाग की 4 मेडिकल टीमें और फायर विभाग के 39 फायरमैन रखे गए हैं। आर्मी के 03 हेलीकाप्टर जोशीमठ में रखे गए हैं।
आपदा से 05 पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं। 13 गांवों में बिजली प्रभावित हुई थी, इनमें से 11 गांवों में बिजली बहाल कर दी गई है। शेष 2 गांवों में अभी लाइन क्षतिग्रस्त है। इसी प्रकार 11 गांवों में पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त हुई थीं, इनमें से 8 गांवों में पेयजल आपूर्ति सुचारू कर दी गई है। शेष 03 पर भी काम चल रहा है।