– एक दशक बाद पूरी हुई स्वदेशी असॉल्ट राइफल की तलाश
– भारतीय सेना को 7 लाख 70 हजार इन राइफलों की जरूरत
नई दिल्ली। आखिरकार एक दशक बाद भारतीय सेना की स्वदेशी आधुनिक असॉल्ट राइफल की तलाश पूरी होने वाली है जो इंसास राइफल की जगह लेगी। रूस के सहयोग से बनाई जाने वाली एके-203 की कीमत को लेकर फंसा पेंच दो साल की लंबी वार्ता के बाद सुलझ गया है और जल्द ही हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है। भारतीय सेना को लगभग 7 लाख 70 हजार इन राइफलों की जरूरत है, जिनमें से एक लाख राइफल्स का रूस से आयात किया जाएगा और बाकी का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत में किया जायेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 मार्च, 2019 को इस योजना का औपचारिक उद्घाटन उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्टरी में कर चुके हैं।
सेना, नौसेना और वायुसेना के पास अभी भारत में तैयार की गईं इंसास राइफलें हैं। इन इंसास रायफलों का निर्माण स्थानीय रूप से आयुध कारखाना बोर्ड (ओएफबी) ने किया था। इन राइफलों पर भरोसा इतना कम है कि जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर क्षेत्र के फ्रंटलाइन पर काम करते समय सेना एके-47 और इसके वेरिएंट को अधिक विश्वसनीय मानती है। इनमें 5.56×45 मिमी. की गोलियां इस्तेमाल की जाती हैं, जो वजन में हल्की होने से कभी-कभी लम्बी दूरी के लक्ष्य तक नहीं पहुंच पातीं। दूसरी ओर एके-47 की 7.62×39 मिमी. की गोलियां ज्यादा घातक होती हैं और एक लंबी सीमा को कवर कर सकती हैं। इन राइफलों के बारे में लगातार शिकायतें मिलने पर आखिरकार जुलाई, 2018 में भारत सरकार ने तीन दशक पुरानी इंसास राइफलों को सेवा से बाहर करने का फैसला किया।
उस समय अनुमान लगाया गया था कि नई राइफलों और हल्की मशीनगनों पर कम से कम 12,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
इसके बाद सरकार ने नई मल्टी-कैलिबर असॉल्ट राइफलें खरीदने की योजना बनाई और रूसी कंपनी कलाशनिकोव कंसर्न के उत्पाद एके-203 को चुना गया। जनवरी 2019 में भारत और रूस के बीच एक अंतर सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। भारत-रूस राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाकर ओएफबी को 50.5 प्रतिशत, कलाशनिकोव को 42 प्रतिशत और रोसोबोरोनेक्सपोर्ट को 7.5 प्रतिशत का हिस्सेदार बनाया गया। रूस के स्वामित्व वाली रक्षा निर्यात एजेंसी के बीच एक संयुक्त उद्यम के रूप में स्थापित किया गया था, जिसके तहत राइफलों का निर्माण उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के कोरवा आयुध कारखाने में किया जाएगा। इसके लिए भारतीय सेना के मेजर जनरल संजीव सेंगर को जुलाई, 2019 में रायफलों के गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए कारखाने का सीईओ नियुक्त किया गया।
अनुबंध के मुताबिक 7 लाख 70 हजार एके-203 राइफलों में से एक लाख रूस से आयात की जाएंगी और बाकी कोरवा फैक्टरी में निर्मित की जाएंगी। अनुबंध के समय प्रत्येक आयातित राइफल की कीमत लगभग 1,100 अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद थी लेकिन वार्ता आगे बढ़ने पर भारत में बनने वाली 6 लाख 50 हजार रायफलों की रॉयल्टी को लेकर रूस से मतभेद हो गए। इन मुद्दों को हल करने के लिए जून, 2020 में रक्षा मंत्रालय ने एक समिति का गठन किया। इसकी रिपोर्ट और सिफारिशें हालांकि सार्वजनिक नहीं हुईं लेकिन लगभग एक वर्ष तक कीमतों का मुद्दा लटका रहा। सितम्बर, 2020 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जब शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक के लिए मास्को गए तो एके-203 राइफल के लिए सौदे को अंतिम रूप दिया गया लेकिन कीमतों को लेकर पेंच फंसा रहा।
सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने जनवरी, 2021 में कहा था कि कीमतों को लेकर रूस से बातचीत चल रही है और सभी मुद्दों एवं मतभेद सुलझने के करीब हैं। अब सामने आया है कि रूसी कंपनी से कीमतों का विवाद सुलझने के बाद एक राइफल की लागत 70 हजार रुपये होगी और रूस को प्रति राइफल 6 हजार रुपये लाइसेंस उत्पादन हासिल करने के लिए रॉयल्टी के रूप में भुगतान किया जाएगा। कोरवा आयुध निर्माणी में बनने वाली 671,427 राइफलों की लागत करीब 4.03 करोड़ तक बढ़ जाएगी। सेना अध्यक्ष के अनुसार रूसी पक्ष ने भी पुष्टि की है कि सभी तकनीकी और वाणिज्यिक मुद्दों पर सहमति हुई है। कीमतों का मुद्दा सुलझने के बाद यह सौदा अपने अंतिम चरण में है। पहले चरण में एके-203 राइफलें सेना, वायुसेना और नौसेना को दी जाएंगी। उसके बाद अर्धसैनिक और राज्य पुलिस बलों को भी इनसे लैस किया जाएगा।
एके-203 राइफलों की खासियत
स्वदेश निर्मित इन रायफलों की लंबाई करीब 3.25 फुट है और गोलियों से भरी राइफल का वजन लगभग 4 किलोग्राम होगा। यह नाइट ऑपरेशन में भी काफी कारगर होगी क्योंकि यह एक सेकेंड में 10 राउंड फायर यानी एक मिनट में 600 गोलियां दुश्मन के सीने में उतार सकती है। जरूरत पड़ने पर इससे 700 राउंड भी फायर किये जा सकते हैं। दुनिया को सबसे खतरनाक गन देने वाली शख्सियत का नाम है मिखाइल कलाशनिकोव। इन्हीं के नाम पर एके-47 का नाम पड़ा। एके का फुलफॉर्म होता है
ऑटोमैटिक कलाशनिकोव। एके-203 असॉल्ट रायफल 800 मीटर की रेंज में आने वाले दुश्मन को यह छलनी कर देती है। एके-203 असॉल्ट रायफल की गोली की गति 715 किमी. प्रति घंटा होती है। नई असॉल्ट राइफल में एके-47 की तरह ऑटोमैटिक और सेमी ऑटोमैटिक दोनों सिस्टम होंगे। एक बार ट्रिगर दबाकर रखने से गोलियां चलती रहेंगी।