-राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा आगे बढ़ी
नई दिल्ली। लोकसभा में किसान मुद्दे को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जारी गतिरोध खत्म हो गया और राष्ट्रपति के भाषण पर रुकी चर्चा को आगे बढ़ाया गया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सरकार की ओर से सदन में सभी दलों से अपील करते हुए कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र में संस्थाओं का सम्मान होना चाहिए उनकी अवमानना नहीं होनी चाहिए। संसदीय परंपराओं का पालन होना चाहिए और संसद की परिभाषा में राष्ट्रपति भी शामिल होता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति एक व्यक्ति नहीं, एक संस्था का नाम है इसलिए राष्ट्रपति के अभिभाषण पर यहां चर्चा होनी चाहिए ।
सोमवार को लोकसभा की बैठक शुरू होते ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने नए कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। इस पर अध्यक्ष ओम बिरला ने सदस्यों से शांत रहने की अपील करते हुए कहा कि देश की जनता ने उन्हें संवाद-चर्चा करने के चुनकर भेजा है। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल का समय महत्वपूर्ण होता है और विपक्ष इस दौरान सवाल कर सरकार की जवाबदेही तय कर सकता है। उन्होंने सदस्यों को नारेबाजी न करने और तख्तियां न दिखाने की अपील की। किंतु, हंगामा बढ़ता गया और बैठक पांच बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
बैठक स्थगित होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष के कक्ष में सभी दलों की बैठक बुलाई। बैठक में सरकार की ओर से रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी शामिल हुए और और सभी दलों के सदस्यों के बीच सदन में जारी गतिरोध को तोड़ने की सहमति बनी। इसके साथ ही पिछले पांच कार्यदिवसों से जारी गतिरोध समाप्त होने की राह बनी।
तत्पश्चात रक्षामंत्री ने दोबारा पांच बजे बैठक शुरू होने पर सभी दलों से राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर शुरू चर्चा को आगे बढ़ाने की अपील की।
इसके बाद सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि विपक्ष की यही मंशा है कि संसद किसानों को सम्मान दे, उनकी परेशानियों पर चर्चा करे। हम धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के तुरंत बाद किसानों पर चर्चा चाहते थे लेकिन ये मांग नहीं मानी गई। यह व्यक्तिगत मांग नहीं थी। इसके बाद अध्यक्ष बिरला ने भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी को राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर अपनी बात पूरी करने की अनुमति दी। चटर्जी ने इस दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बनर्जी किसान आंदोलन का समर्थन कर रही हैं लेकिन राज्य में किसानों की दुर्दशा पर उनका कोई ध्यान नहीं है।