टाटा को लिखे प्रमथ नाथ बोस के पत्र ने भारतीय औद्योगिकीकरण को दिया बढ़ावा

झारखंड
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जमशेदपुर। टाटा को लिखे प्रमथ नाथ बोस के पत्र ने भारतीय औद्योगिकीकरण को बढ़ावा दिया। उन्होंने 24 फरवरी, 1904 को पत्र लिखा था।

शुरू में खनिजों की खोज ने टाटा को भ्रमित किया। वर्ष 1882 में जमशेदजी नसेरवानजी टाटा ने ‘चंदा जिले में लौह-कार्य की वित्तीय संभावनाओं पर रिपोर्ट (रिपोर्ट ऑन द फाइनांशियल प्रॉस्पेक्ट्स ऑफ आयरन-वर्किंग इन द चंदा डिटस्ट्रिक्ट)’ नामक वॉन श्वार्ज की रिपोर्ट देखी। इसमें कहा गया था कि चंदा जिले में लौह अयस्क का सबसे अच्छा भंडार लोहारा में था। पास में ही स्थित वरोरा में कोयला है, लेकिन कोयले के परीक्षण के बाद यह अनुपयुक्त पाया गया।

24 फरवरी, 1904 को जमशेदजी को प्रमथ नाथ बोस का एक पत्र मिला। जिसमें उन्‍होंने मयूरभंज जिले के गोरुमहिसानी की पहाड़ियों में लोहे के अकूत भंडार होने की बात कही थी। इसने झरिया में कोयले की उपलब्धता के बारे में भी बताया। लगभग इसी समय सर दोराबजी टाटा 140 मील की दूरी पर नागपुर के पास धौली और राजहारा हिल्स में एक प्लांट स्थापित करने का निर्णय ले चुके थे।

सर दोराबजी टाटा द्वारा एक सर्वेक्षण टीम का गठन किया गया, जिसका नेतृत्व सीएम वेल्ड ने किया। यह अन्वेषण सार्थक साबित हुआ।

1907 में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड (टिस्को) की स्थापना मयूरभंज से थोड़ी दूर साकची गांव के पास दो नदियों ‘सुवर्णरेखा’ और ‘खरकई’ के संगम पर की गई थी, जो बंगाल-नागपुर रेलवे लाइन के करीब भी था।