मोदी सरकार ने प्रचार-प्रसार में खर्च किए 56 अरब रुपये

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  • झारखंड के एक्टिविस्ट संजय मेहता के आरटीआई में खुलासा

नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने अपने प्रचार-प्रसार में लगभग 56 अरब रुपये खर्च कि‍ये हैं। झारखंड के हजारीबाग जिले के बरही निवासी संजय मेहता के आरटीआई में इसका खुलासा हुआ है। सरकार ने यह खर्च पहले कार्यकाल 26 मई 2014 से 29 मई 2019 और दूसरे कार्यकाल 30 मई, 2019 से 9 अक्टूबर, 2019 के बीच किया है। 

क्या सूचना मांगी गयी थी

संजय मेहता ने सरकार से दो सवाल किए थे। उन्होंने आरटीआई में पूछा कि नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल की प्रारंभ तिथि 26 मई 2014 से 29 मई 2019 एवं दूसरे कार्यकाल की प्रारंभ तिथि 30 मई 2019 से लेकर 09 अक्टूबर 2019 तक प्रचार में किन – किन माध्यमों में कितनी राशि खर्च की? 

सरकार ने क्या जवाब दिया

सूचना प्रसारण मंत्रालय ने 2 दिसंबर, 2019 को संजय मेहता को जवाब दिया। उसमें बताया कि सरकार ने तीन तरीके से प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और आउटडोर मीडिया से अपना प्रचार किया है। 

पहले कार्यकाल में 26 मई 2014 से 29 मई 2019 तक नरेंद्र मोदी सरकार के प्रचार का खर्च सिर्फ प्रिंट मीडिया के लिए 19 अरब, 19 करोड़, 22 लाख, दो हजार 1 सौ 21 रुपये है।

आउटडोर मीडिया में सरकार का प्रचार खर्च 8 अरब, 26 करोड़, 5 लाख, 22 हजार 2 सौ एक रुपये है। 

पहले कार्यकाल में 26 मई, 2014 से 29 मई, 2019 और दूसरे कार्यकाल 30 मई, 2019 से 9 अक्टूबर, 2019 तक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में मोदी सरकार का प्रचार खर्च 27 अरब, 21 करोड़, 57 लाख, नौ हजार 2 सौ 27 रुपये है। 

दूसरे कार्यकाल के 30 मई, 2019 से 9 अक्टूबर, 2019 तक प्रिंट मीडिया में प्रचार का खर्च 47 करोड़, 40 लाख, 38 हजार 941 रुपये बताया गया है। 

सरकार के पहले कार्यकाल 26 मई, 2014 से 29 मई, 2019 और दूसरे कार्यकाल की शुरुआत 30 मई, 2019 से 9 अक्टूबर, 2019 तक सरकार के प्रचार का खर्च 55 अरब, 14 करोड़, 25 लाख, 12 हजार 490 रुपये है।

क्या कहते हैं आरटीआई एक्टिविस्‍ट

संजय मेहता ने कहा कि देश में किसान परेशान है। गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी की समस्या हल नहीं हो पा रही है। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। ऐसे में सरकार को सिर्फ अपने प्रचार पर इतनी राशि खर्च नहीं करनी चाहिए। लोक कल्याणकारी राज्य की परिकल्पना को साकार करने के लिए सरकारों का संवेदनशील होना जरूरी है। एक लोकतांत्रिक सरकार के इस रवैये पर उन्होंने  निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से विज्ञापनों के सहारे सरकार देश की मीडिया को अपने पक्ष में नियंत्रित कर रही है।