राष्ट्रधर्म पत्रिका के निदेशक बनाए गये मनोजकांत

उत्तर प्रदेश
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अवध प्रांत के सह बौद्धिक प्रमुख की जिम्मेदारी भी संभालेंगे

लखनऊ। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) में अखिल भारतीय प्रकाशन व प्रशिक्षण प्रमुख का दायित्व निभा रहे मनोजकांत को अब नई जिम्मेदारी संभालनी होगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें देश की प्रख्यात पत्रिका राष्ट्रधर्म के निदेशक की जिम्मेदारी सौंपी है। इसके साथ ही वह अवध प्रांत के सह बौद्धिक प्रमुख के दायित्व का भी निर्वहन करेंगे।
हिन्दी की जानी-मानी पत्रिका राष्‍ट्रधर्म लखनऊ से प्रकाशित होती है। इसके प्रखर संपादक भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और ओजस्वी कवि अटल बिहारी वाजपेयी रहे हैं। आजादी से पहले भाऊराव देवरस और पं. दीन दयाल उपाध्याय ने लखनऊ से राष्ट्रधर्म प्रकाशित करने की योजना बनाई तो संपादक के रूप में अटलजी का नाम सामने आया। आरएसएस के भाऊराव के कहने पर अटलजी पीएचडी छोड़कर मासिक पत्र का संपादन करने लगे और 31 दिसंबर, 1947 को राष्ट्रधर्म का पहला अंक आया था। 

बीते वर्ष में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में अभाविप केन्द्रीय टीम की बैठक में मनोजकांत विद्यार्थी परिषद के अखिल भारतीय प्रकाशन और प्रशिक्षण प्रमुख के दायित्व से मुक्त हो गये थे और उन्हें आरएसएस ने वापस बुला लिया था। मनोजकांत को संघ में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना में भेजने की चर्चा थी, लेकिन संघ ने इस पर विराम लगा दिया है। लंबे अंतराल के बाद अब वह राष्ट्रधर्म के साथ सक्रिय भूमिका में रहेंगे। सूत्रों की मानें तो संघ के विभिन्न अनुषांगिक संगठन मनोजकांत को अपने पास देखना चाहते थे। सादगी पूर्ण उच्च विचार, रहन-सहन, मिलनसारिता व्यवहार के कारण युवाओं से लेकर प्रौढ़ दोनों आयु वर्गों में मनोजकांत की स्वीकार्यता है। 
मूल रूप से संघ के प्रचारक मनोजकांत उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के कसया ब्लाक के मठिया माधोपुर गांव के निवासी हैं। वर्ष 1989 में गोरखपुर विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कुशीनगर स्थित बुद्ध पोस्ट ग्रेजुएट कालेज से एबीवीपी की पारी शुरू करने वाले मनोजकांत ने भविष्य में पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में अपने दायित्वों का निर्वहन शुरू किया था लेकिन एबीवीपी में इनकी सेवाओं का पहिया अब थम गया है।

‘एक जीवन-एक लक्ष्य’ के विचार को आधार मानकर संघ से जुड़ने के पश्चात उन्होंने बीच में पीएचडी को अलविदा कह दिया। और संघ को अपना पूरा जीवन स​मर्पित कर पूर्णकालिक बन गए। इसके पूर्व विद्यार्थी जीवन में मनोजकांत ने त्रैमासिक हिन्दी साहित्यिक पत्रिका ‘अर्थात’ का संपादन किया। इस पत्रिका के ‘प्रवेशांक’ के लेखन, संयोजन और विषय-वस्तु को देखकर इंडिया टुडे जैसे प्रतिष्ठित पत्रिका ने समीक्षा लिखी।

संघ सूत्रों की मानें तो वे लंबे समय से अभाविप में प्रकाशन व प्रशिक्षण प्रमुख का दायित्व संभाल रहे थे। यही कारण है कि रुचि को देखते हुए उनकी योजना राष्ट्रधर्म के निदेशक के तौर पर की गई है। वहीं, अवध प्रांत में स्वयंसेवकों को बौद्धिक रूप से भी तैयार करेंगे। मनोजकांत ने शिक्षा जगत से जुड़े विभिन्न मुद्दों और छात्र समस्याओं पर कार्य किया है। छात्रों में इनकी एक अलग पहचान रही है और अब पत्रकारिता जगत में अपनी पहचान बनाये रखने की चुनौती होगी।