नई दिल्ली। भारत ने गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली और लाल किले में हुई हिंसा और तोड़-फोड़ की तुलना अमेरिकी संसद कैपिटॉल हिल्स में हुए हंगामें से करते हुए कहा है कि दोनों देशों ने अपने-अपने कानूनों के मुताबिक कार्रवाई की है।
विदेश मंत्रालय ने भारत और अमेरिका की जीवंत लोकतांत्रिक प्रणाली का हवाला देते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में इंटरनेट पर लगाई गई अस्थाई रोक का उद्देश्य आगे किसी हिंसा को रोकना है।
किसान आंदोलन के संबंध में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार को कहा, “हमने अमेरिकी विदेश मंत्रालय के टिप्पणियों को देखा है। यह जरूरी है कि इन टिप्पणियों को सही संदर्भों और समग्रता में देखा जाए। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भारत में कृषि सुधारों के लिए उठाए गए कदमों का संज्ञान लिया है। इस संबंध में किसी प्रकार के विरोध को भारत की राजनीति और लोकतांत्रिक परंपराओं के संदर्भ में आंका जाना चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि सरकार की गतिरोध को समाप्त करने के लिए किसान संगठनों के साथ वार्ता प्रक्रिया जारी है।”
उल्लेखनीय है कि अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने भारत में जारी किसान आंदोलन के संदर्भ में कल एक बयान दिया था। इसमें कृषि सुधार कानूनों के बारे में कहा गया था कि अमेरिका कृषि क्षेत्र में निजी निवेश और किसानों की बाजार तक पहुंच बढ़ाने के लिए गए सुधारों का समर्थन करता है। साथ ही उसने भारत को याद दिलाया था कि शांति पूर्ण विरोध जीवंत लोकतांत्रिक प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा है तथा इस बात को भारत का उच्चतम न्यायालय भी रेखांकित कर चुका है। अमेरिका ने इंटनेट सुविधा को भी लोकतंत्र के लिए बेहद जरूरी बताया था।
इसके अलावा प्रवक्ता ने किसान आंदोलन में विदेशी हस्ताक्षेप के विषय पर कहा कि भारत ने सिख फॉर जस्टिस और रेफरेंडम 2020 के लिए अमेरिका में एक म्युचुअल लीगल असिस्टेंस रिक्वेस्ट भेजी है। प्रक्रिया के अनुसार संबंधित अधिकारियों द्वारा सीधे अमेरिका के न्याय विभाग को अनुरोध भेजा गया है।
प्रवक्ता ने कुछ अंतरराष्ट्रीय हस्तियों द्वारा किसान आंदोलन पर व्यक्त की गई टिप्पणियों के संबंध में विदेश मंत्रालय के बुधवार को जारी बयान का हवाला दिया। इस बयान में कहा गया था कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व किसान आंदोलन के बहाने अपना एजेंडा थोप रहे हैं तथा सोशल मीडिया पर ऐसी बातें प्रचारित कर रहे हैं जो तथ्यों पर आधारित नहीं है। यह गैर जिम्मेदाराना है।