नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज दस पड़ोसी देशों कि एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि इस महामारी से हमें सहयोग की मूल्यवान भावना प्राप्त हुई है। अपने खुलेपन और संकल्प के माध्यम से हमने विश्व में सबसे कम मृत्यु दर सुनिश्चित करने का प्रबंधन किया है। उन्होंने डॉक्टरों व नर्सों के लिए विशेष वीजा बनाने का सुझाव दिया है, ताकि आपात स्थिति में डॉक्टर और नर्स तुरंत क्षेत्र में जा सकें।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार को दस पड़ोसी देशों के साथ “कोविड-19 मैनेजमेंट: एक्सपीरिएन्स, गुड प्रैक्टिसेज एंड वे फॉर्वर्ड” विषय पर आयोजित कार्यशाला में अपनी बात रख रहे थे। इस दौरान उन्होंने महामारी से लड़ने की तात्कालिक लागत को पूरा करने, संसाधनों को साझा करने के लिए बनाए गए कोविड-19 इमर्जेंसी रिस्पॉन्स फंड का स्मरण दिलाया।
प्रधानमंत्री ने कहा “यदि 21वीं सदी को एशिया की सदी बनना है तो यह दक्षिण एशिया तथा हिंद महासागर के द्वीपियों देशों के बीच सहयोग और एकीकरण के बिना नहीं हो सकता। आपने महामारी के दौरान क्षेत्रीय एकता की जो भावना दिखायी है उससे यह साबित हो गया है कि एकीकरण संभव है।”
कार्यशाला में प्रधानमंत्री ने डॉक्टरों और नर्सों के लिए विशेष वीजा बनाने का सुझाव दिया, ताकि आपात स्थिति में डॉक्टर और नर्स तुरंत क्षेत्र में जा सकें। उन्होंने पूछा कि क्या हमारे नागर विमानन मंत्रालय चिकित्सा आपात स्थिति के लिए क्षेत्रीय एयर एम्बुलेंस समझौते के लिए समन्वय कर सकते हैं? आगे उन्होंने कहा कि भविष्य में महामारियों की रोकथाम के लिए टेक्नोलॉजी सहायक विज्ञान को प्रोत्साहित कर क्षेत्रीय नेटवर्क तैयार कर सकते हैं।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व की आशाएं टीकों की त्वरित तैनाती पर टिकी है। इसमें भी हमें आपसी सहयोग की भावना बनाए रखनी है। उन्होंने महामारी के दौरान विभिन्न देशों की स्वास्थ्य प्रणालियों के बीच सहयोग और समन्वित तरीकों से घनी आबादी वाले क्षेत्रों में चुनौती से निपटने की भरपूर प्रशंसा की।
नरेन्द्र मोदी ने सफल सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों और योजनाओं को साझा करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए भारत की आयुष्मान भारत और जनआरोग्य योजनाएं अध्ययन के लिए उपयोगी हो सकती हैं।
कार्यशाला में दस पड़ोसी देश हिस्सा ले रहे थे, जिनमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालद्वीप, मॉरीशस, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका जैसे देश शामिल थे। कार्यशाला में भारत के अधिकारी और विशेषज्ञ भी शामिल हुए।