नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने गुरुवार को राज्यसभा में बजट पर चर्चा के दौरान सरकार पर गरीबों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। कांग्रेस सदस्य चिदंबरम ने कहा कि 12 करोड़ से अधिक लोगों ने कोरोना महामारी में अपनी नौकरी खो दी। इतना ही नहीं लॉकडाउन के बाद से 35 फीसदी लघु उद्योग बंद हैं, जिससे राज्यों में हालात भी बदतर हैं। ऐसे में लोगों को बुनियादी तौर पर आर्थिक मदद पहुंचाने के बजाय सरकार सिर्फ टालमटोल करने में लगी है।
चिदंबरम ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट को लेकर मोदी सरकार पर हमला भी बोला। उन्होंने कहा कि बजट में उन गरीबों की उपेक्षा की गई है जिन्होंने अपनी नौकरी खो दी है। बजट में गरीब तबके की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि ये ‘अमीरों का, अमीरों के लिए, अमीरों द्वारा लाया बजट है’। उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता मांग बढ़ाने की है और मांग बढ़ाने के लिए जरूरी है कि लोगों के पास अर्थ हो तभी वो बाजार का रुख कर सकेंगे लेकिन सरकार मदद के नाम पर चुप्पी साधे हुए है।
सदन में चर्चा के दौरान अर्थशास्त्रियों के कथन का जिक्र करते हुए चिदंबरम ने कहा कि पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ अरविंद सुब्रह्मणियम ने पहले ही कहा था कि देश की अर्थव्यवस्था आईसीयू में है। फिर नोबेल पुरस्कार प्राप्त अभिजीत बनर्जी ने देश की अर्थव्यवस्था को खराब हालत में बताया। उन्होंने कहा कि आखिर इतने लोग जब एक ही बात कह रहे हैं तो कुछ तो गड़बड़ी होगी लेकिन सरकार किसी की न तो सुनती है और न ही उनसे सलाह लेती है। जबकि हकीकत यह है कि अर्थव्यवस्था में पिछली आठ तिमाही से नरमी जारी है। बावजूद सरकार सच मानने को तैयार नहीं है।
वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ‘आंदोलनजीवी’ और ‘परजीवी’ जैसे शब्दों के प्रयोग पर कांग्रेस सदस्य ने कहा कि असली ‘परजीवी’ तो वो चंद अमीर लोग हैं जिनके पास देश की 73 प्रतिशत संपदा का नियंत्रण है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ऐसे बजट को अस्वीकार करती है, जिसमें गरीबों के लिए कुछ भी ना हो। साथ ही कांग्रेस मांग करती है कि बजट में संशोधन करते हुए गरीबों को मुफ्त राशन के साथ उसके हाथ में नकदी पहुंचाई जाए।