अर्जुन राम मेघवाल
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत नए दशक का पहला बजट राष्ट्र के लिए कोविड के बाद आगे बढ़ने का विजन दस्तावेज है। बजट के तहत जिन छह स्तंभों की परिकल्पना की गई है, वे ‘सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन’ (रिफार्म, परफॉर्म एंड ट्रांसफॉर्म) के मंत्र के जरिये विकास यात्रा को आगे बढ़ाने के स्पष्ट संकेत हैं। पिछले साल के अत्यधिक कठिन समय के बावजूद सरकार ने बहुत ही सूक्ष्म तरीके से जीवन और आजीविका को प्राथमिकता देने का काम किया है। इस व्यावहारिक बजट में, महामारी से जूझ रही अर्थव्यवस्था को तेजी से पुनर्जीवित करने और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में आगे बढ़ने के लिए महत्वाकांक्षी सुधार को व्यक्त किया गया है।
पूरी दुनिया कोविड के बाद के युग में प्रवेश कर रही है। इन परिस्थितियों में भारत एक महत्वपूर्ण संक्रमणकालीन ताकत के रूप में उभर रहा है। भारत “साझा करना, देखभाल करने जैसा है” (शेयरिंग इज केयरिंग) के दर्शन में विश्वास करने वाला देश है और महामारी से डटकर मुकाबला कर रहा है। वैक्सीन निर्माण में वैज्ञानिक और चिकित्सा जगत की उनकी अदम्य दृढ़ता के लिए प्रशंसा की जानी चाहिए। दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत तथा जरूरतमंद देशों को वैक्सीन वितरण सुनिश्चित करने के माध्यम से भारत, ‘सबसे पहले मैं’ के दृष्टिकोण के विपरीत कार्य कर रहा है और दुनिया को आत्म-पराजय और नैतिक विफलता से बाहर आने में मदद कर रहा है। स्वास्थ्य और पोषण को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया गया है और इसके लिए 2.2 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रस्ताव किया गया है। आत्मनिर्भर भारत मिशन विश्व स्तर पर हमारे कार्यों को गंभीरता से आगे बढ़ा रहा है। बजट में प्रस्तावित उपाय भारत की ‘विश्व के कारखाने’ और ‘दुनिया की ‘फार्मेसी’ की भूमिका के लिए उपयुक्त हैं।’
सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए किए गए उपायों के आशावादी परिणाम दिखाई दे रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आकलन के अनुसार वित्त वर्ष 22 में दोहरे अंकों की अनुमानित वृद्धि होगी, विकास दर 11.5 प्रतिशत तक रह सकती है और अर्थव्यवस्था की मजबूत वापसी होगी। आर्थिक समीक्षा में भी इसी तरह के तेज विकास का अनुमान लगाया गया है, जिसे कोविड संकट के बाद आर्थिक गतिविधियों के सामान्य होने और सक्रिय सुधार उपायों के कार्यान्वयन से बल मिलता है।
बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अब तक का सबसे अधिक आवंटन किया गया है। सड़क और राजमार्ग निर्माण; मेट्रो; गैस वितरण नेटवर्क, समर्पित फ्रेट कॉरिडोर के निर्माण के लिए प्रावधान; 2030 तक भविष्य की रेल प्रणाली का निर्माण; जल आपूर्ति और स्वच्छता कार्यों तथा सार्वजनिक परिवहन के लिए अधिक आवंटन आदि ऐसे उपाय हैं, जो राष्ट्र के बुनियादी ढांचे के परिदृश्य को बेहतर बनायेंगे। बड़े पैमाने पर निर्माण गतिविधि से रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उच्च शिक्षा आयोग के गठन और राष्ट्रीय प्रशिक्षण (अपरेंटिसशिप) योजना में किये गए बदलाव से कौशल विकास क्षेत्र पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। लगभग 1.97 लाख करोड़ के आवंटन के साथ 13 क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना से वैश्विक विनिर्माण में देश को अग्रणी भूमिका निभाने के लिए नई गति मिलेगी। मेगा इनवेस्टमेंट टेक्सटाइल पार्क के निर्माण से स्थानीय निर्माताओं की सुरक्षा होगी। नवीन विकास वित्त संस्थान की स्थापना, परिसंपत्ति पुनर्निर्माण और प्रबंधन कंपनी का गठन और राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन के तहत परियोजनाओं का कार्यान्वयन, पूंजी जुटाने के लिए नए मार्ग प्रशस्त कर रहा है। बजट में पूंजीगत व्यय के लिए 5.54 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं, यानी पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह पूंजीगत व्यय, 2 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त है, जो राज्यों और स्वायत्त निकायों को उनके पूंजीगत व्यय के लिए दिए जायेंगे। ये सभी उपाय अधिक रोजगार, उत्पादन के विस्तार, अतिरिक्त निवेश और नौकरी के अवसरों में वृद्धि आदि में सहायता प्रदान करेंगे।
संशोधित सीमा शुल्क ढांचा घरेलू उद्योग की रक्षा करेगा, उत्पादन में स्थानीयकरण को बढ़ावा देगा, स्थानीय उत्पादकों को मजबूती देगा और अंततः देश में विनिर्माण संबंधी संभावनाओं को बेहतर करेगा। इससे आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिहाज से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की मौजूदगी बढ़ेगी और निर्यात बेहतर होगा। कारोबारी सुगमता सुनिश्चित करना, प्रक्रियाओं को सरल बनाना, नागरिकों के जीवन को सुगम बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग मोदी सरकार की पहचान है। पिछले 44 श्रम कानूनों को महज चार श्रम संहिताओं में समाहित करना, श्रम सुधार के नए युग की शुरुआत का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। सीमित देयता भागीदारी अधिनियम को अपराध की श्रेणी से अलग करने, छोटी कंपनियों की परिभाषा में चुकता पूंजी एवं कुल कारोबार की सीमा में संशोधन और एक व्यक्ति वाली कंपनियों पर पाबंदियों को हटाए जाने से कारोबार करने की बाधाएं दूर होंगी। प्रस्तावित एकल प्रतिभूति बाजार कोड के लिए संबंधित कानूनों को सुदृढ़ करना, डीआईसीजीसी अधिनियम 1961 में संशोधन करके जमाकर्ताओं को अपनी जमा रकम तक आसान एवं समयबद्ध पहुंच सुनिश्चित करना, बीमा अधिनियम 1938 में संशोधन करके एफडीआई सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करना और सुरक्षा के साथ विदेशी स्वामित्व एवं नियंत्रण को अनुमति देना वित्तीय क्षेत्र के प्रमुख सुधार हैं जो भारत के विकास में उल्लेखनीय योगदान करेंगे।
सरकार किसानों की आय को दोगुना करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी क्रम में किसाना समुदाय के कल्याण के लिए कई सुधार उपाय किए गए हैं जिनमें किसान क्रेडिट कार्ड के दायरे में विस्तार, पीएम फसल बीमा योजना, पीएम-किसान से लेकर हाल ही में अधिसूचित कृषि कानून 2020 शामिल हैं। हालांकि, सरकार निरंतर संवाद करते हुए उनकी आशंकाओं पर ईमानदारी से विचार कर रही है और कृषि कानूनों के प्रावधानों को सौहार्दपूर्ण ढंग से दुरुस्त करने के लिए अपनी इच्छाशक्ति दिखाई है। पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन के लिए ऋण प्रवाह पर ध्यान केंद्रित करते हुए बजट में कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। स्वमित्व योजना के दायरे को सभी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों तक बढ़ाना, एपीएमसी को मजबूत करना और ई-एनएएम के दायरे में कई अन्य मंडियों को लाना, सूक्ष्म सिंचाई निधि को दोगुना करते हुए 10,000 करोड़ तक बढ़ाना, ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास निधि को बढ़ाना और बेहतर कीमत सुनिश्चित करने के लिए जल्द खराब होने वाले 22 उत्पादों के लिए ऑपरेशन ग्रीन योजना का विस्तार आदि किसानों को सशक्त बनाने के लिए बजट की अन्य महत्वपूर्ण बातें हैं।
कमजोर वर्ग को सशक्त बनाने के स्टैंड अप इंडिया के लिए आवश्यक मार्जिन रकम को 15 प्रतिशत तक घटा दिया गया है और कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों से संबंधित ऋण को भी उसमें शामिल किया गया है। अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए मैट्रिक के बाद की छात्रवृत्ति में सुधार किया गया है और 750 एकलव्य मॉडल स्कूलों की स्थापना के लिए बजट में वृद्धि की गई है। इन उपायों से समाज के दलित वर्ग के उत्थान में मदद मिलेगी।
यह बजट पूरी तरह आर्थिक विकास को पटरी पर लाने और भारत को वैश्विक स्तर पर ज्ञान एवं आर्थिक महाशक्ति के रूप में विकसित करने पर केंद्रित है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने ईमानदारी से प्रत्येक हितधारक के सुझाव पर विचार किया है और एक मजबूत बहुमुखी तथा विकास एवं कल्याण पर केंद्रित बजट पेश किया है। सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से इस दशक के अंत तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में हमारे प्रयासों को गति मिलेगी। सरकार सर्वप्रथम देश के दृष्टिकोण के साथ बड़े पैमाने पर व्यक्तियों, समुदायों और समाजों को सशक्त बनाकर ‘सबका साथ, सबका विश्वास एवं सबका विकास’ के जरिये बेहतर भारत के निर्माण के लिए अप्रत्याशित रूप से प्रतिबद्ध है।
(लेखक केंद्रीय संसदीय कार्य, भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम राज्य मंत्री और बीकानेर से सांसद हैं)