बिहार का एग्रो टूरिज्म हब बनेगा बेगूसराय, शुरू हो गई है सेब की भी खेती

बिहार
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कृषि स्नातक एक युवा ने यह सपना देखकर शुरू की है जिद की खेती

बेगूसराय। उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद लोगों का सबसे पहला उद्देश्य रहता है अच्छी नौकरी करना लेकिन बेगूसराय के एक युवक ने उच्च शिक्षा नौकरी के लिए नहीं कर बेगूसराय को एग्रो टूरिज्म हब बनाने के लिए लिया है। इसके लिए उसने अपना सब कुछ त्याग दिया और पहली कड़ी में सेब की खेती शुरू की है।आमतौर पर सेब हिमाचल प्रदेश में होता है लेकिन उसने कॉन्ट्रैक्ट पर खेत लेकर सेब का पौधा लगाया और जिद पर अड़ा है कि उसके यहां भी सेब फलेगा और वह हिमाचल प्रदेश में उगाए गए किसी भी सेब से गुणवत्ता में कम नहीं होगा। इसके लिए उसे सबसे उन्नत और लेटेस्ट तकनीक का पौधा हिमाचल प्रदेश से मिला है तथा तीन क्वालिटी डोरसेट गोल्ड, अन्ना एवं हरमन-99 की खेती शुरू की है। यह कमाल किया है गंगा के कछार पर बसे बलहपुर पंचायत-एक के सिंहपुर निवासी युवक अमित कुमार ने।

पंतनगर विश्वविद्यालय से 2006 में कृषि स्नातक की उपाधि लेने के बाद अमित ने बेगूसराय में एग्रो टूरिज्म डेवलप करने के लिए विभिन्न जगहों का दौरा शुरू किया। इसी दौरान उसकी मुलाकात हिमाचल प्रदेश के रहने वाले उद्यान और कृषि विशेषज्ञ हरमन जी से हुई। उनके सानिध्य में उसने देश के विभिन्न क्षेत्रों में काम किया। इसके बाद हरमन जी के द्वारा ही गर्म क्षेत्र के लिए डिवेलप किए गए सेब की क्वालिटी हरमन-99 लाकर अपने जिला में उपजाने का निश्चय किया। हरमन-99 को कई क्षेत्रों में उप जाए जाने वाले सेब के बीज को क्रॉस कर तैयार किया गया है। यह गर्म क्षेत्र के लिए तैयार किया गया है तथा 40 डिग्री के तापमान तक हो सकता है।

अमित के पास अच्छे जगहों पर जमीन नहीं थी, दियारा में इसकी खेती हो नहीं सकती है। इसके लिए उसने कॉन्ट्रैक्ट पर एक बीघा खेत लिया है। जिसमें सेब का पौधा लग गया है, अब थाई अमरूद, साउथ का अंगूर तथा अनार लगाने की तैयारी चल रही है। अमित ने बताया कि जब राजस्थान में सेब हो सकता है तो अपने यहां क्यों नहीं हो सकता है। औरंगाबाद में इसकी खेती हो रही है लेकिन उच्च क्वालिटी केसर की खेती नहीं हो रही है। सेब को स्वाइल से लेना-देना नहीं है, यह किसी भी मिट्टी में हो सकता है। पथरीली जमीन में भी हो सकता है, सिर्फ क्लाइमेट अनुकूल होना चाहिए। अपने कभी मौसम 40 डिग्री से अधिक गर्म नहीं होता है।इसलिए यहां भी इसका उत्पादन होगा और हिमाचल प्रदेश से बेहतर होगा। 2022 से बेगूसराय और आसपास के बाजारों में अपने यहां का सेब उपलब्ध होगा।अमित ने बताया कि कृषि स्नातक करने का उद्देश्य नौकरी करना नहीं था।

एकमात्र उद्देश्य है बेगूसराय को एग्रो टूरिज्म हब बनाना। इसमें पांच-दस साल या पूरी जिंदगी लग जाए लेकिन एग्रो टूरिज्म हब को डेवलप करके रहेगा। जिससे दूसरे देश-प्रदेश के लोग बेगूसराय आकर स्थानीय तकनीक को देखें, जाने और किसान समृद्ध हों। हमारे यहां के लोग दूसरे देश-परदेश में सीखने के लिए जाते हैं, वही चीज जब यहां होगी तो विकास में आमूलचूक तेजी आएगी। मेरे यहां भी सब कुछ है, कमी नहीं है, सिर्फ व्यवस्था का अभाव है। सरकार खेती किसानी को बेहतर बनाने का प्रयास कर रही है लेकिन, ग्रास रूट पर किसानों को सपोर्ट नहीं मिलता है। व्यवस्था का दोष कुछ ऐसा है कि किसान कार्यालय में दौड़ते-दौड़ते थक कर अपना पैर खींच लेते हैं लेकिन, उसने सरकारी मदद नहीं, खुद के भरोसे एग्रो टूरिज्म डेवलप करने का सपना देखा है। इसकी शुरुआत अंतर्वर्ती खेती, जैविक खेती और समेकित कृषि प्रणाली को अपनाकर किया है। विभागीय स्तर पर सहयोग का आश्वासन मिला है, अगर सहयोग नहीं भी मिलता है तो वह अपना सपना हर हाल में पूरा करके रहेगा।