10 लाख के इनामी माओवादी कमांडर ने किया आत्मसमर्पण

झारखंड मुख्य समाचार
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  • जीवन की निशानदेही पर बरामद हुए 24 केन बम और 4 रायफल

रांची। भाकपा माओवादी का हार्डकोर नक्सली और 10 लाख के इनामी जीवन कंडुलना ने रांची पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया। रविवार को पुलिस ने उसे मीडिया के सामने पेश किया। जीवन का आत्मसमर्पण भाकपा माओवादियों को एक बड़ा झटका है। इसे पुलिस की बड़ी सफलता माना जा रहा है। जीवन कंडुलना सारंडा का आतंक माना जाता था। कई कांडों में वांछित था। खूंटी के रनिया निवासी जीवन भाकपा माओवादी का जोनल कमांडर था। आत्मसमर्पण कार्यक्रम में रांची उपायुक्त, एसएसपी और ग्रामीण एसपी, सिटी एसपी, अभियान एसपी सहित तमाम अधिकारी मौजूद थे।

परिवार के सदस्‍यों की अहम भूमिका

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जीवन के सरेंडर में उसके परिवार के सदस्यों का रोल अहम रहा। एसएसपी ने कहा कि झारखंड की आत्मसमर्पण नीति सबसे अच्छी है। जीवन को कानूनी सहायता दी जाएगी। सजा के बाद नौकरी या व्यवसाय में मदद दी जायेगी। जीवन अब परिवार के साथ हजारीबाग ओपन जेल में भी रह सकता है।

जीवन कंडुलना ने कहा कि हम सब पर मातृभूमि का बहुत कर्ज है। सभी को चाहिए कि बुराई को छोड़कर सच्चाई के रास्ते पर चलें। उसने कहा कि नक्सलियों के पोलित ब्यूरो के सदस्य और उनका परिवार अच्छा जीवन जीता है। संगठन में छोटे स्तर के लोगों की हालत खराब रहती है।

हत्या का बदला लेने के लिए बना था नक्सली

जीवन कंडुलना के परिवार वालों के अनुसार जीवन अपनी बहन से बहुत प्यार करता था। एक दिन अपराधियों ने जीवन की बहन की हत्या कर शव को पेड़ पर लटका दिया। बहन की हत्या का सदमा जीवन बर्दाश्त नहीं कर पाया। फिर जीवन ने बहन की हत्या का बदला लेने की ठान ली। नक्सली संगठन में शामिल हो गया। जीवन ने नक्सली बनने के बाद उसने सबसे पहले बहन के हत्यारों को सजा दी। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा नहीं, ना ही घर वापस आया। देखते-देखते जीवन झारखंड का मोस्ट वांटेड नक्सली बन गया। सरकार ने जीवन पर दस लाख का इनाम की भी घोषणा कर दी।

और जीवन के पिता का चेहरा खिल उठा

जीवन कंडुलना के आत्मसमर्पण करने के बाद जीवन के पिता वृद्ध मसीह दास कंड़ुलना के चेहरे पर हंसी दिखी। उन्‍होंने कहा कि अब अच्छा जीवन बसर करूंगा। उन्होंने कहा कि जीवन को बहुत पहले ही आत्मसमर्पण कर देना था। उन्होंने शुरू से ही बेटे को इस रास्ते पर जाने से रोकने की कोशिश की थी। जीवन कंडुलना के परिवार में आत्मसमर्पण की सूचना से सभी खुश हैं।

कभी पुलिस ने पूरे घर को ध्वस्त कर दिया था

जीवन की भाभी बताती हैं कि सालों पहले की बात है घर में धान रखा हुआ था। उसी समय पुलिस आयी और पूरे घर को ध्वस्त कर दी थी। उनका आशियाना छिन गया था। वे प्लास्टिक के चादरों का घेरा और छत बनाकर लगभग डेढ़ साल तक पूरे परिवार के साथ रहीं। गांव के लोग भी मिलने-जुलने से कतराते थे। डेढ़ साल के बाद किसी तरह उनके पति जीवन के भाई नीरल ने मेहनत मजदूरी कर, गाय-बैल चराकर, खेतीबारी कर पैसे कमाए, इसके बाद घर बनाया। जीवन कंडुलना की भाभी की आंखों में खुशी के आंसू थे।

दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिलती थी

जीवन के बड़े भाई ने कहा उनका परिवार काफी गरीब था। दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिलती थी। जीवन कंडुलना नक्सली बन गया। जीवन जंगल जाने के बाद ना कभी घर आया और ना घर वालों से कभी संपर्क करने का प्रयास ही किया। वह जंगल में भटकता रहा। इधर परिवार गरीबी और परेशानियों के बीच पिसता रहा।

पढ़ाई में काफी तेज था जीवन

जीवन कंडुलना के दोस्तों ने कहा कि वह पढ़ाई में काफी तेज था। स्कूल में नौंवीं कक्षा तक की पढ़ाई करने के बाद गरीबी के कारण उसने पढ़ाई छोड़ दी थी। वह काफी शांत स्वभाव का और मिलनसार था। जब वह नक्सली बना तो दोस्तों को विश्वास नहीं हो रहा था। पढ़ने-लिखने वाला जीवन नक्सली कैसे बन गया। दोस्तों ने कहा अब जीवन से भेंट होगा तो सारी बातें होगी।