भूमिगत कोयला खानों में लगी आग की जगह का पता लगाएगा ड्रोन

झारखंड
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  • कोल इंडिया अध्यक्ष के सामने उड़ा सीएमपीडीआई का पहला ड्रोन

रांची। कोल इंडिया अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल के सामने आईआईसीएम परिसर में सीएमपीडीआई का पहला ड्रोन उड़ा। चेयरमैन ने ड्रोन के स्पेसिफिकेशन, एफीसियेंसी एवं तकनीकी पहलुओं के बारे में विस्तृत जानकारी ली। इससे होने वाले लाभ के बारे में चर्चा की।

सीएमपीडीआई द्वारा ड्रोन का प्रयोग लिडार सेंसर के जरिये स्व-स्थान (इन सिटु) उत्खनन, ओवर बर्डेन डंप और कोयला स्टॉक के मामले में आयतन संबंधी (वॉल्यूमेट्रिक) माप के लिए किया जाएगा। लिडार सेंसर का उपयोग पेड़ों की ऊंचाई का आकलन करने, वनस्पति का मूल्यांकन करने, भू-भाग की सटीक माप (टेरेन मैपिंग) आदि के लिए किया जा सकता है।

ड्रोन पर लगे थर्मल सेंसर (इसकी आपूर्ति दूसरी ईकाई के साथ की जाएगी) का उपयोग भूमिगत कोयला खानों में लगी आग की जगह का पता लगाने और भ्रंश/दरार का पता लगाने में किया जाएगा। ड्रोन आधारित सेंसर की सहायता से 20 सेमी रिजोल्यूशन थर्मल डाटा बनाना संभव हो जाएगा, जो थर्मल अनोमली की मैपिंग के जरिए विद्यमान/उपस्थित भूमिगत कोयला खान की आग की जगह की सटीक पहचान करने में काफी सहायक हो सकता है। हाइरिजोल्यूशन के ऑप्टिकल इमेज बनाने में ऑन बोर्ड हाई रिजोल्यूशन ऑप्टिकल कैमरा का प्रयोग किया जाएगा, जो वनाच्छादन अध्ययन सेटलमेंट मैपिंग और अन्य कई अनुप्रयोग के क्षेत्र के लिए ऑर्थो-फोटो मोजैक तैयार करने में काफी उपयोगी होगा।

इसके बाद कोल इंडिया अध्यक्ष द्वारा सीएमपीडीआई के कांफ्रेंस हॉल में समीक्षा बैठक की गयी। इसमें बीसीसीएल के झरिया कोलफील्ड्स के पुनर्गठन, दूसरे चरण की फर्स्ट माइल कनेक्टीविटी (एफएमसी) प्रोजेक्ट्स, माइन डेवलपर एंड ऑपरेटर (एमडीओ) प्रोजेक्ट्स की प्रगति, सीएमपीडीआई में आर्किटेक्चरल एवं स्ट्रक्चरल विंग की स्थापना, ई-ऑक्शन प्लेटफॉर्म का विकास और सीआईएल लीज होल्ड एरिया में सीबीएम के विकास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गयी।

इस अवसर पर सीएमपीडीआई के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक एस सरन, निदेशक (तकनीकी/आरडीएंडटी) आरएन झा, मुख्य सतर्कता अधिकारी सुमीत कुमार सिन्हा, कोल इंडिया के अध्यक्ष के तकनीकी सचिव एमके सिंह सहित महाप्रबंधक, विभागाध्यक्ष उपस्थित थे।