बाबूलाल मरांडी के दलबदल मामले में स्पीकर के स्वत: संज्ञान से जारी नोटिस पर लगी रोक हटी

झारखंड मुख्य समाचार
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रांची। झारखंड के पहले मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी से जुड़े दल-बदल मामले में झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो के स्वत: संज्ञान से जारी नोटिस पर लगी रोक को झारखंड हाईकोर्ट ने 19 जनवरी को हटा दिया। हालांकि स्पीकर के स्वत: संज्ञान लेने के अधिकार की संवैधानिक वैधता के बिंदु पर हाईकोर्ट सुनवाई करेगा। मामले की अगली सुनवाई 2 मार्च को होगी।

झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई। प्रार्थी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता आर वेंकटरमणि, वरीय अधिवक्ता आर एन सहाय, अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा, अधिवक्ता कुमार हर्ष ने पैरवी की। वहीं, विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल व महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पैरवी की।

झारखंड हाईकोर्ट में 2 मार्च को अगली सुनवाई होगी। इसमें खंडपीठ ये सुनवाई करेगी कि विधानसभा अध्यक्ष को स्वत: संज्ञान से नोटिस जारी करने का अधिकार है या नहीं। विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा सुनवाई समाप्त करने का आग्रह किया गया, लेकिन अदालत ने सुनवाई बंद करने के आग्रह को इनकार करते हुए मामले पर सुनवाई जारी रखा। विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा लिखित शपथ पत्र दिया गया कि स्वत: संज्ञान मामले में किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की जायेगी। इस पर अदालत ने पूर्व में लगाए सुनवाई पर रोक को हटा लिया है।

भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी से जुड़े दलबदल मामले में विधानसभा स्पीकर स्वत: संज्ञान विवाद पर आज हाइकोर्ट में सुनवाई हुई। आपको बता दें कि पिछली सुनवाई में झारखंड विधानसभा के स्पीकर की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की थी। उनकी ओर से खंडपीठ को बताया गया था कि विधानसभा स्पीकर बाबूलाल मरांडी के दलबदल से संबंधित स्वत: संज्ञान के मामले में आगे नहीं बढ़ेंगे। इसलिये वे इस विवाद में नहीं पड़ना चाहते हैं कि स्पीकर को दलबदल मामले में स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार है या नहीं। बाबूलाल मरांडी के दलबदल मामले में अब जो शिकायतें आयी हैं उसपर विधानसभा स्पीकर ने कार्यवाही शुरू की है।

आपको बता दें कि झारखंड विधानसभा स्पीकर द्वारा बाबूलाल मरांडी से जुड़े दलबदल मामले में लिये गये स्वत: संज्ञान और नोटिस को हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी थी। इसमें कहा गया था कि विधानसभा स्पीकर को दलबदल मामले में स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है। इसलिए स्पीकर के नोटिस को रद्द किया जाये। विधानसभा स्पीकर ने 10वीं अनुसूची के तहत बाबूलाल मरांडी को जारी नोटिस में पूछा था कि क्यों नहीं उनके खिलाफ दलबदल का मामला चलाया जाये।