फैसले पर उठ रहे थे सवाल, अब हैं रोल मॉडल

कृषि झारखंड मुख्य समाचार
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जमशेदपुर। पोटका प्रखंड अंतर्गत पोटका ग्राम के रहने वाले दधिची मंडल हैं। इंटर तक की पढ़ाई की है। आईटीआई की डिग्री भी है। पढ़ाई के बाद उसका रूझान खेती-किसानी की तरफ रूझान हुआ। उस वक्त लोगों ने उसके फैसले पर सवाल उठाये। आज वह युवा और कृषकों के लिए रोल मॉडल बन गया है।

खुद पर किया भरोसा

दधीचि बताते हैं कि लोगों के अंगुली उठाने के बाद भी मुझे खुद पर भरोसा था। उसने सब्जी की खेती की तकनीकी जानकारी और जिला कृषि विभाग एवं आत्मा से लेकर आवश्यक सहयोग इस कार्य को आगे बढ़ाया। वे बताते हैं कि उसके पिताजी पारंपरिक रूप से धान आदि की खेती किया करते थे। इससे घर की सभी जरूरतें पूरी नहीं हो पाती थी। इसी कारण उन्होंने जिले में बाजार की मांग को देखते हुए सब्जी की खेती की तरफ ध्यान दिया।

2 लाख रुपये आमदनी

दधिची मंडल को आत्मा की तरफ से येलो ट्रैप दिया गया है। इसे सब्जी खेत की क्यारियों में एक निश्चित दूरी पर लगाया जाता है। ट्रैप का पीला रंग देखकर कीड़े आकर्षित होकर उसमें फंस जाते हैं। जिला उद्यान विभाग से कीट रहित संरचना एवं ड्रिप इरीगेशन भी अनुदान पर मिला है। समय-समय पर आत्मा के प्रखंड कर्मी द्वारा इनके खेतों का भ्रमण कर उचित तकनीकी सुझाव भी दिया जाता है। अभी दधिची ने 4 बीघा जमीन में बरबटी, फुलगोभी, बंधागोभी, करेला, फ्रेंचबीन, टमाटर, सरसों आदि की खेती की है। सालाना सब्जी की खेती से दधिची मंडल को 1.50 लाख से 2 लाख रुपये की आमदनी हो रही है ।

किसान दूसरा विकल्प देखें

दधिची कहते हैं कि जिला जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कालिंदी सहित आत्मा के जिला एवं प्रखंड स्तर के सभी पदाधिकारी के निरंतर सहयोग से ही उन्हें खेती कार्य को करते रहने में सहूलियत हुई। उन्होंने कहा कि पारंपरिक खेती के अलावा किसान दूसरे कृषि विकल्प पर भी विचार करें। सब्जी खेती नकद मुनाफे का अच्छा स्रोत है। जमशेदपुर जैसा शहर अपने जिले में है। ओड़िशा और बंगाल का बॉर्डर भी जिले को छूता है। यहां के बाजारों में हमेशा सब्जियों की मांग रहती है।