किसानों को आत्‍मनिर्भर बनाने का काम कर रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

विचार / फीचर
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नरेंद्र सिंह तोमर

कृषि प्रधान भारत में मानसून की अनियमितता से सम्पूर्ण फसल चक्र से अपेक्षित उपज का अनुमान लगाना लगभग असंभव हो जाता है। भारत की कृषि अर्थव्यवस्था के निरतंर विकास के लिए एवं कृषक समुदाय को आपदा के प्रभाव से बचाव के लिए फसल बीमा के रूप में जोखिम साधन देना अतिआवश्यक है। वर्ष 2014 में हमारी सरकार आने के बाद, किसानों को उच्च प्राथमिकता देते हुए उनकी फसल नुकसान से सुरक्षा के लिए और उस समय की फसल बीमा योजनाओं की विसंगतियों में सुधार कर किसान हितैषी ‘वन नेशन – वन स्कीम’ के स्वरूप प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को 13 जनवरी 2016 को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में योजना को अप्रैल, 2016 में लागू कर दिया। भारत के किसानों को एक समान न्यूनतम प्रीमियम देते हुए, पारदर्शिता, तकनीकी का व्यापक उपयोग, समयबद्ध शिकायत निवारण प्रणाली के साथ इस योजना को अधिक प्रभावी बनाया गया है।   

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों का व्यापक हित ध्यान में रखते हुए लचीलापन लाते हुए निरंतर सुधार किया जा रहा है। अब योजना के अंतर्गत नामांकन सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक है। बीमा कंपनियों की अधिक जिम्मेदारी सुनिश्चित करते हुए राज्यों के साथ उनके क्रियान्वयन अवधि को तीन वर्षों के लिए अनिवार्य किया है। किसानों के साथ सतत संवाद स्थापित करने के लिए बीमा कंपनियां ब्लॉक स्तर पर कार्यालय खोल रही है। प्रचार-प्रसार गतिविधियों को अधिक प्रभावी  करने के लिए, बीमा कंपनियों द्वारा कुल प्रीमियम के 0.5% राशि को किसानों की व्यापक जागरुकता के  लिए निर्धारित किया गया है। किसानों को फसल नुकसान के अनुपात में दावों को सुनिश्चित करने के लिए बीमित राशि को फसल उत्पादन मूल्य के बराबर किया है।

इस योजना के कार्यान्वयन को विकेंद्र‍ित करते हुए राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों को अतिरिक्त जोखिम कवर चुनने का विकल्प दिया है। पूर्वोत्तर राज्यों को इस योजना से जुड़ने के लिए उनका राज्यांश 50:50 से बढ़ाकर अब 90:10 कर दिया है। 

देश के करोड़ों सीमांत एवं लघु किसानों को इस योजना से जोड़ना, उनके सभी रि‍कॉर्ड्स को संभालना, ऐसे किसानों की समस्यायों का समाधान करना और योजना का संचालन करते समय सभी हितधारकों के क्रियाकलापों को ससमय जोड़ना आदि काम एक पोर्टल के बिना नहीं हो सकते थे। इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए करोड़ों किसानों को 1.7  लाख से अधिक बैंक शाखाओं और 44 हजार से अधिक सीएससी (जनसेवा केंद्र) को राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल पर एक साथ लाया गया है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अधिक पारदर्शी कार्यान्वयन के लिए 2017 से आधार संख्या के माध्यम से पंजीकरण अनिवार्य करने से किसानों को सीधे उनके बैंक खातों में भुगतान किया जा रहा है। इस क्रांतिकारी पहल से फर्जी लाभार्थियों को हटाने में और आधार द्वारा सत्यापन से पात्र किसानों  के दावों का भुगतान किया जा रहा है। खरीफ,  2016 में योजना के शुभारंभ से खरीफ 2019 तक किसानों ने प्रीमियम के रूप में 16,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया, जबकि फसलों के नुकसान के दावों के रूप में उन्हें  86,000 करोड़ रुपये मिल चुके हैं अर्थात किसानों को प्रीमियम राशि के मुकाबले पांच गुना से भी अधिक राशि दावों के रूप में मिली है। उदाहरण स्वरुप किसानों द्वारा प्रीमियम के रूप में भुगतान किये हर 100 रुपये के विरुद्ध उन्हें दावों के रूप में 537 रुपये प्राप्त हुए है।

इस योजना के अंतर्गत पिछले पांच वषों में 29 करोड़ किसान आवेदन बीमित हो चुके हैं। हर वर्ष 5.5 करोड़ से अधिक किसान इस योजना से जुड़ रहे है। फसल नुकसान की स्थिति  में किसानों को दावों का भुगतान कर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। अब तक इस योजना के अंतर्गत 90 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किसानों को दावों के रूप में किया जा चुका है। करोना महामारी के दौरान लॉकडॉउन के तीन महीने के काल में लगभग 70 लाख किसानों के 8741 करोड़ रुपये से ज्यादा दावों का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों  के माध्यम से किया है। पूर्व योजनाओं में   बीमित राशि 15,100 रुपये प्रति हेक्टेयर थी, जो  बढ़कर इस योजना में 40,700 रुपये प्रति हेक्टेयर हो गयी है। पूर्व योजना में गैर-ऋणी किसान के नामांकन की हिस्सेदारी 6% से बढ़कर इस योजना के अंतर्गत 2019-20 में 37% हो गई है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत अतिरिक्त कवर के प्रावधान के कारण किसानों को विशेष क्षतिपूर्ति का लाभ हुआ है। उदाहरण स्वरुप राजस्थान में हुआ टिड्डी हमला, कर्नाटक और तामिलनाडु में सीजन के मध्य में आयी आपदा अथवा महाराष्ट्र में फसल कटाई के बेमौसम वर्षा से फसल में हुए नुकसान में किसानों को उचित मुआवजा मिला है।

किसानों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल द्वारा अब 10 प्रादेशिक भाषाओं में सेवा दी जा रही है, जहां किसान सीधे नामांकन कर सकते हैं। प्रीमियम राशि एवं दावों के आंकलन की स्थिति भी जान सकते हैं। यह पोर्टल फसल बीमा की प्रक्रिया की गति एवं  दक्षता बढ़ाता है। बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करता है। इसके साथ क्रॉप इंश्‍योरेंस एप के माध्यम से किसान अब अपने आवेदन की स्थिति और कवरेज के विवरण को घर बैठे जान सकते हैं। फसल नुकसान की सूचना भी दे सकते है। इसके साथ ही फसल कटाई प्रयोगों में व्यापक सुधार के लिए स्मार्ट सैंपलिंग और रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इससे दावों की राशि का आंकलन तत्काल किया जाता है, जिससे किसानों के बीमा दावों का निपटान तेज गति से हो सके।

भविष्य में इस योजना के और बेहतर कार्यान्वयन के लिए हमारी सरकार वचनबद्ध है।  सरकार द्वारा दावों की पारदर्शिता, किसानों की जागरुकता, बेहतर शिकायत निवारण प्रकिया एवं त्वरित दावा निपटान पर और अधिक ध्यान दिया जायेगा। फसल उपज के आंकलन के लिए तकनीकी का व्यापक उपयोग किया जायेगा। राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल  के साथ राज्यों की भूमि रिकॉर्ड को जोड़ने की प्रकिया तेज गति से कि जाएगी।

यह योजना प्राकृतिक आपदा की स्थिति में फसलों के होने वाले नुकसान की भरपाई के साधन के रूप में काम करती है। इसलिए मैं चाहूंगा कि सभी किसान भाई-बहन योजना के स्वैच्छिक होने के बावजूद भी इस योजना से अधिक संख्या में जुड़ें। इस योजना से जुड़ना मतलब संकट काल में आत्मनिर्भर होना है। हमारा सपना भी हर अन्नदाता को पूर्ण आत्मनिर्भर बनाना है।

(लेखक केंद्रीय कृषि मंत्री हैं)