- केवीके को सशक्त करने के सभी प्रयास किये जायेंगे : वीसी
- बीएयू में 34 वीं प्रसार शिक्षा परिषद् की बैठक का आयोजन
रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में 34वीं प्रसार शिक्षा परिषद् की बैठक 8 जनवरी को हुई। इसकी अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि फार्मर्स फर्स्ट प्रोग्राम के तहत रांची जिले के नगड़ी प्रखंड के चिपरा और कुडलोंग गांवों में 16 तकनीकी हस्तक्षेप के माध्यम से किसानों की आय में बढ़ोतरी के प्रयासों का जिक्र किया। कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) माध्यम से किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में उपयुक्त तकनीकों का प्रसार, क्षमता कार्यक्रम में मधुमक्खी पालन से दस जिलों के आदिवासी किसानों की आजीविका सुरक्षा के प्रयास में 250 क्विंटल शहद का उत्पादन, राज्य के पांच केवीके में बायोटेक-किसान हब कार्यक्रम आदि कार्यो की सराहना की।
कुलपति ने झारखंड कृषि की उभरती आवश्यकताओं और किसानों की जरूरतों के मुताबिक मुद्दों के प्रौद्योगिकी का मूल्यांकन, शोधन, प्रदर्शन, प्रशिक्षण और अन्य प्रसार शिक्षा गतिविधियों में निरंतरता बनाये रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि केवीके में तकनीकी बल एवं संसाधनों की कमी है। केवीके संस्थानों को सशक्त करने के दिशा में सभी प्रयास किये जायेंगे, ताकि जिला स्तर पर कार्यरत इन संस्थानों को बेहतर लाभ किसानों को मिल सके।
इस अवसर पर निदेशालय प्रसार शिक्षा द्वारा प्रकाशित पुस्तिका प्रसार उपलब्धियों की झलक और कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तिका कृषि यंत्रों के 11 तकनीक का विमोचन किया गया। मौके पर आईसीएआर-फार्मर्स फर्स्ट प्रोग्राम के किसानों में नगड़ी प्रखंड के तुलसी महतो को बकरीपालन में, सौरव उरांव को सूकरपालन में, महली उरांव को एकीकृत कृषि प्रणाली में और पिठोरिया की सरस्वती देवी को सब्जी उत्पादन में उत्कृष्ट कार्यो के लिए सम्मानित किया गया।

आईसीएआर–अटारी (बिहार एवं झारखंड) निदेशक डॉ अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि कृषि तकनीकों को किसानों तक प्रभावी ढंग से पहुंचाने की जरूरत है। केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा विगत 6-7 वर्षो में कृषि प्रसार कार्यक्रमों पर विशेष फोकस दिया जा रहा है। कृषि प्रसार संस्थानों की सहभागिता से विगत तीन वर्षो में खाद्यान उत्पादन 16 मिलियन टन से 21 मिलियन टन तक पहुंच गया है। इस सफलता के कारण 6-7 केंद्रीय मंत्रालय विभिन्न प्रसार योजनाओं का कार्यान्वयन आगामी वित्तीय वर्ष से केवीके माध्यम से प्रस्तावित है। आज किसानों की समस्याओं का समाधान एक ही जगह केवीके माध्यम से मिल रहा है। प्रदेश में प्रसार कार्यक्रमों के संचालन में मानव बल की कमी सबसे बड़ी बाधक है। उन्होंने कुलपति को विश्वविद्यालय में आईसीएआर संपोषित केवीके संस्थानों में रिक्त पदों पर नियुक्ति की त्वरित कार्रवाई करने का अनुरोध किया।
मौके पर आईसीएआर के पूर्व उपमहानिदेशक डॉ जेएस चौहान ने कृषि एवं संबद्ध कार्यो के विकास एवं सफलता में कृषि शोध एवं प्रसार कार्यो से जुड़े हितकारकों की सहभागिता में निरंतरता पर प्रकाश डाला। परिषद् के एक्सपर्ट डॉ एमएस कुंडू ने कहा कि कृषि प्रसार के क्षेत्र में केवीके आंदोलन की विशेष पहचान है। आज पूरे देश में 721 कृषि विज्ञान केंद्र कार्यरत है। इन केंद्रों के प्रसार कार्यो में जूनून, पेशेवर नजरिया एवं उद्देश्य का होना जरूरी है। परिषद् के एक्सपर्ट डॉ शिव मंगल प्रसाद ने प्रसार कार्यक्रमों में किसानों के हित को सर्वोपरि बनाये रखने तथा किसानों की अधिकाधिक पारस्परिक सहभागिता पर जोर दिया।
मौके पर डायरेक्टर रिसर्च डॉ अब्दुल वदूद ने सतत कृषि विकास में शोध एवं प्रसार कार्यो से जुड़े वैज्ञानिकों के बीच नियमित इंटरफेस बैठक के आयोजन से तकनीकी विचारों एवं नजरिया के आदान-प्रदान पर जोर दिया। इस अवसर पर डीन एग्रीकल्चर डॉ एमएस यादव ने कृषि प्रसार, डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने पशुपालन व पशु चिकित्सा और डीन फॉरेस्ट्री डॉ एमएच सिद्दिकी ने वानिकी प्रसार के क्षेत्र में उपलब्धियों एवं संभावना पर प्रकाश डाला।

बैठक की तकनीकी सत्र में केवीके प्रभारी डॉ सोहन राम ने 33वीं प्रसार शिक्षा परिषद् की बैठक के कार्यावली का अनुपालन प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। मुख्य वैज्ञानिक डॉ रेखा सिन्हा ने वर्ष 2019-20 में फार्मर्स फर्स्ट प्रोग्राम और 24 कृषि विज्ञान केंद्रों के कृषि प्रसार के क्षेत्र में उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी।
निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ जगरनाथ उरांव ने परिषद् की बैठक में टीएसपी कार्यक्रम की निरंतरता, बायोटेक किसान हब, जिला कृषि मौसम विज्ञान इकाइयों की स्थापना को स्वीकृति, नये प्रस्तावों में किसान संसाधन केंद्र, पोल्ट्री और मत्स्य पालन हैचरी इकाइयों की स्थापना, उच्च तकनीकी बागवानी को बढ़ावा, कृषि वानिकी और प्रौद्योगिकियों में बांस को बढ़ावा, क्षेत्र विशेष आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल, वनोपज का समुचित उपयोग, मॉड्यूलर सिंचाई प्रणाली, क्लस्टर खेती, खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा तथा वास्तविक समय में डेटा संग्रह से सबंधित कार्यावली को विचार के लिए रखा।
बैठक में कृषि प्रसार से जुड़े 24 जिलों के कृषि विज्ञान केंद्रों, 3 क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्रों एवं विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने भाग लिया। संचालन श्रीमती शशि सिंह और धन्यवाद डॉ सोहन राम ने किया।