फार्मर्स फ्रेंडली कृषि वानिकी तकनीकी को बढ़ावा देने की जरूरत : कुलपति

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रांची। आईसीएआर-अखिल भारतीय समन्वित कृषि वानिकी परियोजना के अधीन बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वानिकी संकाय में कृषि वानिकी तकनीकों पर शोध कार्यक्रम चलाया जा रहा है। कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने विवि के पशु चिकित्सा संकाय परिसर के चार एकड़ में फ़ैले कृषि वानिकी प्रक्षेत्र में शोध कार्यो का अवलोकन किया।

मौके पर परियोजना अन्वेंषक डॉ एमएस मल्लिक ने बंजर और परती भूमि एवं खेतों की मेढ़ या खेतों के भीतर तालाब के किनारे के उपयुक्त कृषि वानिकी तकनीकों और झारखंड की उपयुक्त सात तकनीकों पर शोध कार्यो की जानकारी दी। शोध से जुड़े वैज्ञानिक डॉ पीआर उरांव ने गम्हार आधारित कृषि वानिकी प्रणाली, बांस आधारित कृषि वानिकी प्रणाली तथा मुनगा (सहजन) आधारित कृषि वानिकी प्रणाली से सबंधित शोध कार्यो के बारे में बताया।

कुलपति ने कहा कि इस तकनीक में वन वृक्ष, अनाज उत्पादन व पशुओं के लिए चारा उत्पादन का समावेश कर किसान लाभ उठा सकते है। झारखंड के पठारी क्षेत्र में शुष्क भूमि की खेती पर निर्भर किसानों और सालों भर किसानों के आजीविका के साधन के लिए कृषि वानिकी प्रणाली काफी उपयोगी साबित होगी। उन्होंने फार्मर्स फ्रेंडली कृषि वानिकी प्रणाली को बढ़ावा देने पर जोर दिया। प्रदेश के किसानों के लिए कृषि-वन-चारागाह, मुनगा (सहजन) आधारित और बांस आधारित कृषि वानिकी प्रणाली को उपयुक्त बताया। परियोजना के अधीन तकनीकों के व्यापक प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया।