टाटा स्टील डिजि-शाला लिख रही है सफलता की कहानियां

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जमशेदपुर। टाटा स्टील कैपिबिलिटी डेवलपमेंट के पांच विद्यार्थियों को हाल ही में जमशेदपुर के टाटा पिगर्मेंट्स में प्लेसमेंट मिला है। इन पांच विद्यार्थियों में से जेएन टाटा वोकेशनल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (जेएनटीवीटीआई) के विभिन्न केंद्रों से तीन विद्यार्थी टॉप परफॉर्मर हैं। दो विद्यार्थी जूनियर इंजीनियर ट्रेनी (जेट) सप्लाई पूल से हैं।

वर्ष 2015 में स्थापित जेएनटीवीटीआई एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट है। एक स्वतंत्र संस्थान के रूप में काम करता है। इसका उद्देश्य कुशल श्रमशक्ति के लिए मांग-आपूर्ति की कमी को पूरा करना है। वर्तमान में टाटा स्टील द्वारा संचालित देश में पांच जेएनटीवीटीआई केंद्र हैं।

प्लेसमेंट हासिल करने वाले विद्यार्थियों में सुप्रतीक डे (सिविल सुपरवाइजर), अशोक कुमार महतो (इंस्ट्रूिमेंटेशन), अश्विनी कुमार मिश्रा (मैकेनिकल इंजीनियरिंग), इसरारुल हक (केमिकल इंजीनियरिंग) और हिमांशु शर्मा (केमिकल इंजीनियरिंग) हैं।

अस्विनी कुमार मिश्रा ने कहा, ‘मैंने जमशेदपुर में जेएनटीवीटीआई से छह महीने का अल्पकालिक साइट सेफ्टी सुपरवाइजर कोर्स पूरा किया। मुझे जेएनटीवीटीआई के साथ जुडने पर गर्व है, क्योंकि एक मिश्रित लर्निंग अप्रोच के साथ संस्थान ने कलास-रूम प्रशिक्षण, प्रोफेशनल विशेषज्ञों के साथ फील्डह प्रशिक्षण, कौशल उन्नयन के लिए हैंड-ऑन-जॉब प्रशिक्षण और इंडस्ट्री एक्सपोजर प्रदान किया। मैं टाटा पिगमेंट्स के मेकेनिकल मेंटेनेंस डिपार्टमेंट में चयनित होने के अवसर देने के लिए उनका आभारी हूं।‘
‘कैपेबिलिटी डेवलपमेंट’ टाटा स्टील की एक सदी पुरानी लर्निंग और डेवलपमेंट विंग है। इसका विजन कल की दुनिया की जरूरतों को पूरा करने के लिए निरंतर और आजीवन सीखने के एक मॉडल के साथ शिक्षा के परिदश्य को बदलने में टाटा स्टील को अग्रणी बनाना है। विशेष रूप से, कैपेबिलिटी डेवलपमेंट ने हाल ही में इस विजन को वास्तविकता में बदलने के लिए टाटा स्टील डिजि-शाला की शुरुआत की। यह ब्रांड एक तीन-आयामी दृष्टिकोण, अर्यात मूल्यांकन, प्रशिक्षण और नियोजन पर आधारित हैं। यह एक व्यापक योग्यता मूल्यांकन एजेंसी के रूप में कार्य करता है। प्रोसेस इंडस्ट्री डोमेन में प्रशिक्षण और नियोजन सेवाएं प्रदान करता है। डिजि-शाला में योग्य युवाओं का एक बड़ा समूह है, जिसमें सप्लाई पूल में जेएनटीवीटीआई का बड़ा योगदान है। यह समूह कुशल जनशक्ति की मांग और आपूर्ति के बीच की खाई को शीघ्रता से भरने में मदद करता है।