रांची। झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल समाप्त होने के बाद स्वत: विघटित हो जाएगी। विघटन की तिथि से निर्वाचित पदधारकों के पद रिक्त समझे जायेंगे। वैकल्पिक व्यवस्था के लिए अगल से दिशा-निर्देश जारी किये जायेंगे। यह जानकारी ग्रामीण विकास विभाग की पंचायती राज निदेशक आदित्य रंजन ने उपायुक्तों को दी है। उन्होंने इस संबंध में 17 दिसंबर को पत्र लिखा है।
पंचायती राज निदेशक ने लिखा है कि झारखंड पंचायत राज अधिनियम के तहत जिला परिषद् का कार्यकाल निर्वाचन के बाद उनके प्रथम बैठक की तिथि से पांच वर्ष निर्धारित है। राज्य में गत पंचायत आम निर्वाचन वर्ष 2015 में संपन्न हुआ है। इस प्रकार पंचायत आम निर्वाचन वर्ष, 2020 में कराया जाना अपेक्षित था, जो COVID के कारण निर्धारित समय पर नहीं हो सका है। फलस्वरूप आगामी कार्यकाल के लिए त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं का ससमय गठन हो पाना संभव नहीं है।
श्री रंजन ने लिखा है कि पंचायत आम निर्वाचन वर्ष, 2015 में संपन्न पंचायत चुनाव के आधार पर गठित त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं की प्रथम बैठक कमोवेश माह जनवरी, 2016 में होने की सूचना प्राप्त है। इसके अनुसार झारखंड पंचायत राज अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के आलोक में आम निर्वाचन, 2015 के परिणामों के आधार पर गठित त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को गठन के बाद प्रथम बैठक की तिथि से पांच वर्ष पूरे होने की तिथि को विघटित करना वैधानिक अनिवार्यता है।
निदेशक ने लिखा है कि अतः तीनों स्तर की पंचायतें यथा- ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद अपने गठन की तिथि (प्रथम बैठक की तिथि) से पांच वर्ष अवधि पूर्ण होने की तिथि को स्वतः विघटित समझी जायेंगी । विघटन की तिथि से निर्वाचित पदधारकों के पद रिक्त समझे जायेंगे। विघटन के बाद वैकल्पिक व्यवस्था के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश अलग से निर्गत किये जायेंगे।