रवि शंकर शर्मा
वित्त वर्ष 2019-20 के लिए सामान्य श्रेणी के लिए इनकम टैक्स में छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये तक है। 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की आय के लिए 5% की दर से टैक्स देना होगा। सबसे ज्यादा करदाता 5 लाख तक की आय सीमा के लोग हैं। इनकम टैक्स में छूट पाने के कई उपाय हैं। ऐसे उपायों को अपनाकर इनकम टैक्स में छूट पा सकते हैं।
घर का किराया (House Rent):
यदि आप एक वेतनभोगी कर्मचारी हैं, तो आप आयकर अधिनियम 1961 के धारा 10(13A) के अनुसार टैक्स से छूट के लिए पात्र हैं। यदि आपका मकान मालिक आपको अपना पैन नंबर (PAN Number) नहीं बताता है तो आप अधिकतम 8333 रुपये प्रति माह तक का किराया इनकम टैक्स के रूप में बचा सकते हैं, लेकिन अगर आप स्वयं कार्यरत (self-employed) हैं तो आप आयकर अधिनियम की धारा 80GG के तहत प्रति माह 5000 रुपये तक की इनकम टैक्स की बचत का दावा कर सकते हैं।
गृह ऋण पर ब्याज का भुगतान (Interest Paid on Home Loan):
आप अपने होम लोन EMI में जितना ब्याज का भुगतान करते हैं, उतनी राशि का टैक्स में छूट में दावा आयकर अधिनियम की सेक्शन 24 के तहत कर सकते हैं। हालांकि घर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका हो, तभी इसके तहत छूट मिलेगी। यदि संपत्ति स्वयं की है तो इसमें अधिकतम 2 लाख रुपये की राशि का दावा किया जा सकता है। यदि संपत्ति स्वयं की नहीं है तो दावा की जाने वाली राशि की कोई सीमा नहीं है। आप उस पूरी राशि के कर छूट के लिए दावा सेक्शन 24 के तहत कर सकते हैं, जो कि आपने पूरे वित्त वर्ष में ब्याज के रूप में चुकाई है।
मेडिकल उपचार पर खर्च व्यय (Expenses Incurred on Medical Treatments):
इसमें आश्रित-बच्चों या पति या माता-पिता के लिए चिकित्सा उपचार पर किया गया खर्च शामिल होता हैं। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80DD के तहत 75,000 रुपये तक की कर राहत के लिए अप्लाई कर सकते हैं। गंभीर विकलांगता के केस में 1.25 लाख रुपये तक की कर माफी की अनुमति है।
विभिन्न बीमारियों पर हुआ खर्च (Expenses Incurred on Specified disease):
विशिष्ट बीमारियों जैसे कि एड्स, कैंसर, क्रोनिक किडनी की विफलता, न्यूरोलॉजिकल रोगों के इलाज के खर्च पर आयकर अधिनियम 1961 की धारा 88DDB के तहत 40,000 रुपये की राशि तक के लिए टैक्स में छूट का दावा किया जा सकता है। इन्ही बीमारियों के लिए वरिष्ठ नागरिकों को एवं वरीय नागरिक के लिए 1 लाख रुपये तक की कर छूट दी जाती है।
मेडिकल बीमा प्रीमियम (Medical Insurance Premium):
इस खर्च के अंतर्गत आप स्वयं, पति-पत्नी और माता-पिता के लिए चुकाए गए मेडिकल बीमा प्रीमियम के लिए आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80D के तहत छूट पा सकते हैं। इसके तहत स्वयं, पति और पत्नी के लिए अधिकतम कर छूट पात्रता 25000 रुपये तक है, लेकिन यदि आपके माता पिता में से कोई या आप स्वयं एक वरिष्ठ नागरिक है, तो यह सीमा 50000 रुपये हो जाती है।
आवास ऋण पर मूलधन चुकौती (Principal Repayment on Housing Loan):
आपकी होम लोन की EMI में ब्याज और मूलधन दो हिस्से होते हैं। किसी भी वित्तीय वर्ष में आपके होम लोन EMI के लिए जितना मूलधन आप दे रहे हैं, उतनी राशि के लिए कर में छूट का दावा आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत कर सकते हैं।
स्कूल या कॉलेज शुल्क (School or College Fees):
एक या दो बच्चों की शिक्षा के लिए शिक्षण फीस के रूप में भुगतान राशि आयकर से मुक्त होती है। आप सेक्शन 80C के तहत इसका लाभ ले सकते हैं। यदि बच्चे जुड़वां हैं, तो इसका लाभ तीसरे बच्चे को भी मिल सकता है। ध्यान रहे कि केवल भारत में चुकाई गई फीस ही इसके दायरे में आती है।
शिक्षा ऋण पर ब्याज का भुगतान (Interest Paid on Education Loan):
उच्च शिक्षा के लिए लिया गया ऋण पर आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80E के तहत एक वर्ष में चुकता की गयी EMI की राशि में जितना ब्याज दिया जाता है, उस ब्याज का 100% कुल आय से घटाया जाएगा (अर्थात ब्याज में दी गयी राशि के बराबर का आयकर छूट का दावा किया जा सकता है)।
भारत में 5 लाख तक की आय वाले लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। ये लोग माध्यम आय वर्ग में आते हैं। इसलिए उपर्युक्त बताये गए उपायों के माध्यम से अपनी आय को इनकम टैक्स से मुक्त कर सकते हैं। हालाँकि आयकर देना कोई नुकसान की बात नहीं है। इससे मिलने वाली राशि देश के विकास में काम आती है। इसलिए लोगों को टैक्स चुकाने में पूरी ईमानदारी बरतनी चाहिए। किसी तरह की कर चोरी का सहारा नही लेना चाहिए।
(लेखक झारखंड के टैक्स कंसलटेंसी फर्म टैक्स साव्वी एसोसिएट्स के फाउंडर हैं।)