नई दिल्ली। आम लोगों के लिए राहत की खबर। सरकार ने ओला और उबर जैसी कैब एग्रीगेटर कंपनियों पर नकेल कस दिया है। कंपनियों के ऊपर मांग बढ़ने पर (पीक आवर में) किराया बढ़ाने की एक सीमा लगा दी है। अब ये कंपनियां मूल किराए के डेढ़ गुने से अधिक किराया नहीं वसूल सकेंगी।
सबसे अहम समय यानी पीक आवर्स के दौरान कैब एग्रीग्रेटर कंपनियां किराये में कई गुना बढ़ोतरी कर देती थी। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने शुक्रवार को मोटर व्हीकल एग्रीगेटर दिशा निर्देश 2020 जारी कर दिया है। मंत्रालय ने राज्य सरकारों से इसे लागू करने को कहा है।
नए दिशा निर्देशों के मुताबिक, टैक्सी सेवाएं संचालित करने वाली कंपनियों को राज्य सरकारों से लाइसेंस लेना होगा। सिस्सेमेटिक फेल्योर से यात्री और ड्राइवर की सुरक्षा का खतरा हुआ, तो लाइसेंस निलंबित हो सकता है।
दिशा निर्देश में एग्रीगेटर की परिभाषा को शामिल किया गया है। इसके लिए मोटर व्हीकल एक्ट 1988 में बदलाव किया गया है। हर ड्राइव पर ड्राइवर को 80 फीसदी किराया मिलेगा, कंपनियों के खाते में सिर्फ 20 फीसदी जाएगा।
एग्रीगेटर को बेस फेयर से 50 फीसदी कम किराया लेने की अनुमति होगी। यात्रा रद्द करने पर अधिकतम चार्ज किराए का 10 फीसदी होगा, पर यात्री और ड्राइवर दोनों के लिए 100 रुपये से अधिक नहीं लगेगा।