सुन जरा सुन, दिल की धड़कन

सेहत
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  • ठंड में रखें दिल का खास ख्याल

शैली खत्री

ठंड में कई चीजों को खास देखभाल की जरूरत होती है। हमारा दिल उनमें से ही एक है। अक्सर हम त्वचा और हाथ–पैर का तो ख्याल रख लेते हैं, पर दिल को भूल जाते हैं। इस ठंड में अपने दिल की धड़कन को भी सुनें। ठंड में दिल का भी खास ख्याल रखने की जरूरत है। जी हां, अगर दिल को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो अभी से इसकी धड़कन सुनना शुरू कर दें।

ठंड में दिल की बीमारियों की आंशका अधिक रहती है। रिम्स के प्रोफेसर और हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ हेमंत नारायण राय के अनुसार ठंड में रक्त प्रवाह कम होता है। धमनियां भी सिकुड़ जाती हैं। ऐसे में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। मौसम की वजह से लोग टहलना या व्यायाम करना भी छोड़ देते हैं। इसकी वजह से खतरा और बढ़ता है। ठंड में हृदय रोगी और सामान्य व्यक्ति सभी को अपने दिल का विशेष ख्याल रखना चाहिए। सीने में हल्की सी भी बेचैनी, पसीना, जबड़े, गर्दन, बांह और कंधे में दर्द हो या सांसें टूट रही हो तो इसे नजरअंदाज नहीं करें। अपने डॉक्टर से तत्काल संपर्क करें।

यह साफ है कि ठंड का असर दिल पर भी पड़ता है। लगे हाथ यह भी जान लेते हैं कि आखिर ठंड में दिल की रक्षा कैसे करनी चाहिए। खान- पान से लेकर अन्य जरूरी बातें कौन सी हैं, जो दिल को स्वस्थ रखने में मदद कर सकती है।

जब दिल हो बीमार

अगर आपको हार्ट से संबंधित कोई भी बीमारी है। यहां तक की कॉलोस्ट्रोल का बढ़ना या हाइपरटेंशन ही क्यों नहीं हो, तो आप अपने दिल का विशेष ख्याल रखें। हर महीने अपने टेस्ट कराएं। रिपोर्ट में छोटी सी भी गड़बडी हो तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। अपनी दवाएं नियमित लें। सप्ताह में कम से कम तीन दिन व्यायाम करें या चालीस मिनट की वॉक करें। इसके अलावा शरीर को गर्म रखने वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करें। खाने में चिकनाई की मात्रा सीमित रखें। अक्सर लोग ठंड को सेहत का सीजन कहकर खूब तला भुना खाने लगते हैं। ऐसी आदतें आपके दिल के लिए ठीक नहीं है। आहात आदतों पर विशेष ध्यान दें। भोजन में फल और रफेज भी शामिल करें।

यूथ भी दें ध्यान

ऐसे तो युवाओं के संबंध में यह धारणा है कि ये कम बीमार होते हैं। मौसम की मार सबसे कम इन्ही पर पड़ती है, लेकिन पिछले कुछ सालों के आकड़ों पर गौर करेंगे तो युवाओं के बीमार होने, विशेष कर हृदय रोग से संबंधित समस्या होने की दर 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई है। इसका कारण है युवाओं की लाइफस्टाइल और खान- पान का तरीका। तो कूल डूड भी सावधानी बरतें। शरीर को एक्टीव रखें। मोबाइल की दुनिया से बाहर निकलकर वॉक करे।

एक्सरसाइज करें या फिर डांस

एक्सरसाइज करें या फिर डांस, पर आपको भी यह सप्ताह में चार दिन करना होगा। नट्स खाएं। एक दिन में चार–पांच चम्‍मच से अधिक तेल और दो चम्मच से अधिक घी का उपयोग भोजन में नहीं करें। खाने में नमक की मात्रा कम करें। यानी पैकेट फूड का मोह त्यागें। समान्य की अपेक्षा ग्रीन टी को महत्व दें।

नन्हें और बड़ों को अधिक जरूरत

बच्चे और बुजुर्ग का तो खास ख्याल रखना ही है। बच्चे तो खेलकूद कर अपने शरीर को एक्टीव रख लेते हैं, पर बुजुर्गों को टहलने के लिए प्रेरित करे। अत्यधिक ठंड की वजह से बाहर जाना संभव नहीं हो, तो उन्हें कमरे में ही चहलकदमी करने दें। अस्थमा के मरीज हों तो उनपर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। शुष्क हवा के कारण सांस लेने में उनके हृदय पर जोर पड़ता है। हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है। घर के बच्चे और बुजुर्गों को पीने और नहाने के लिए गुनगुना पानी ही दें। कपड़े बदलते समय ठंडी हवा नहीं आए, इसका ध्यान रखें। शरीर को गर्म कपड़ों से ढंककर रखें। पैर के तलवे कान और छाती को ठंड से बचाएं व ढंककर रखें। प्रतिदिन थोड़ी देर धूप में बैठाएं। खाने- पीने में नट्स और फल जरूर शामिल करें। दोनों की नियमित रूप से शामिल करें, ताकि शरीर में रक्त प्रवाह बना रहे।