गांव में स्‍कूल रहने के बाद भी जंगल से गुजरकर पढ़ने जा रहे बच्‍चे

झारखंड शिक्षा
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चंदवा (लातेहार)। गांव में स्‍कूल है। इसके बाद भी बच्‍चे पढ़ने के लिए जंगल से गुजरकर जा रहे हैं। यह मामला लातेहार के चंदवा प्रखंड की कामता पंचायत का है। दरअसल, यहां के राजकीय प्राथमिक विद्यालय, भुसाढ को ग्राम बृंदा के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय में मर्ज कर दिया गया है। इसके बाद भुसाढ के बच्‍चे करीब 6 किलोमीटर दूर बृंदा स्कूल पढ़ाई करने जा रहे हैं।

भुसाढ विद्यालय में 1 से 5 कक्षा तक छात्र-छात्राएं पढ़ रहे थे। इसे दूसरे गांव के विद्यालय में मर्ज किए जाने और दूरी काफी होने की वजह से कुछ छात्र-छात्राओं ने पढ़ाई छोड़ दी। उसका भविष्य बर्बाद हो रहा है। गांव के करीब बीस बच्चे-बच्चियां बृंदा पढ़ने जा रही हैं। उन्हें भी दूरी की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

भुसाढ विद्यालय बंद होने से भवन भी जर्जर हो गया है। कोरोना काल के बाद ग्रामीणों को उम्मीद थी कि भुसाढ स्कूल भी खुल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं होने से ग्रामीणों में गुस्सा है।

माकपा के पूर्व जिला सचिव अयुब खान ने भुसाढ विद्यालय को चालू नहीं किए जाने पर हैरानी जताई है। उन्होंने कहा कि गांव के प्राथमिक विद्यालय को करीब दो वर्ष पहले बृंदा स्कूल में मर्ज कर दिया गया है, जबकि गांव के विद्यालय में छात्र-छात्राओं की संख्या करीब 70 के पार है।

बैंक में बच्चों का कम खाता खोले जाने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। शिक्षा विभाग की लापरवाही का खामियाजा गांव बच्‍चे और अभिभावक भुगत रहे हैं। बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। बृंदा स्कूल जाने में बच्‍चों को जंगल से होकर जाना पड़ता है। इससे अभिभावकों चिंति‍त रहते हैं। ग्रामीणों ने बताया है कि गांव में विद्यालय रहते हु करीब 70-80 बच्‍चे दूसरे गांव में पढ़ाई कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

छात्र बंटी कुमार, रुपेश कुमार, विकास कुमार, अभिमन्यु कुमार, बनारसी साव, द्वारि‍का ठाकुर, विनोद उरांव, निरंजन ठाकुर, सुलेन्दर गंझु, दिनेश ठाकुर व अन्य ने बंद पड़े राजकीय प्राथमिक विद्यालय, भुसाढ को तत्काल शुरू कराने की मांग उपायुक्त अबु इमरान से की है।