केंद्रीय सरना समिति ने 6 मार्च के झारखंड बंद का किया विरोध, कही ये बातें

झारखंड
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रांची। अखिल भारतीय भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका मंच ने 6 मार्च को झारखंड बंद की घोषणा की है। इसका केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा और महासचिव कृष्ण कांत टोप्पो ने विरोध कि‍या है। उन्‍होंने कहा कि गैर झारखंडी अपनी हद में रहें। झारखंडियों के हक अधिकार पर दावेदारी करना बंद करें। झारखंड राज्य जिस उद्देश्य से अलग किया गया था, उस परिस्थिति में गैर झारखंडियों को अपने गृह जिले/गांव में वापस लौट जाना चाहिए था। यही बसे रहने का उन्हें नैतिक अधिकार नहीं होना चाहिए था।

समिति के पदधारियों ने कहा कि आज बिहार में रहने वाले आदिवासियों की जनसंख्या कम नहीं है। हालांकि बिहार सरकार ने वहां आदिवासियों को दोयम दर्जे का अधिकार दिया है। झारखंड में रह रहे गैरझारखंडी येन केन प्रकारेण अपने जीवन यापन के लिए झारखंडियों का शोषण करने से भी बाज नहीं आते हैं। जल जंगल जमीन का भी दोहन कर रहे हैं।

पदधारियों ने कहा कि झारखंड का दुर्भाग्य है कि पर्याप्त बहुमत के अभाव में क्षेत्रीय दल-राष्ट्रीय राजनीतिक दल के साथ गठबंधन सरकार में रहकर झारखंडियों के लिए कोई ठोस नीति सिद्धांत भी बना नहीं पाते। लागू करना तो दूर की बात है। झारखंड की जनता राज्य बनने के 21 वर्षों बाद भी अपने सम्मान और अधिकार के लिए संघर्षरत हैं, जो बड़ी विडंबना है।

अध्यक्ष बबलू मुंडा ने झारखंड के तमाम आदिवासी मूलवासी संगठनों और झारखंडी जनता से अखिल भारतीय भोजपुरी मैथिली अंगिका मंच के 6 मार्च के आहूत झारखंड बंद को असफल करने का यथासंभव प्रयास करने का आह्वान किया। उन्‍होंने कहा कि ऐसे गैरझारखंडी नेताओं को चिन्हित कर एक नये असहयोग आंदोलन की शुरुआत करें।