नई दिल्ली। बजाज समूह के पूर्व चेयरमैन राहुल बजाज का आज पुणे में निधन हो गया। वह लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे। उनके निधन की खबर आते ही सोशल मीडिया पर लोगों ने श्रद्धांजलि देना शुरू कर दिया है। राहुल बजाज 50 साल तक बजाज ग्रुप के चेयरमैन रहे थे। उन्हें 2001 में पद्म भूषण पुरस्कार मिला था।
बजाज को उद्योगजगत में उनके मुखर व्यक्तित्व के लिए जाना जाता था। वह एक ऐसे उद्यमी थे, जो समय आने पर सरकार की नीतियों के विरोध में भी अपने विचार व्यक्त करने में नहीं हिचकते थे। समय-समय पर उनकी बेबाक राय और बयानों के कारण बजाज के निधन को उद्योग जगत की एक प्रखर और मुखर आवाज के शांत पड़ने के रूप में देखा जा रहा है।
राहुल बजाज ने 1965 में बजाज ग्रुप की जिम्मेदारी संभाली थी। उनकी अगुआई में बजाज ऑटो का टर्नओवर 7.2 करोड़ से 12 हजार करोड़ तक पहुंच गया और यह स्कूटर बेचने वाली देश की अग्रणी कंपनी बन गई। 2005 में राहुल ने बेटे राजीव को कंपनी की कमान सौंपनी शुरू की थी। तब उन्होंने राजीव को बजाज ऑटो का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया था। इसके बाद ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में कंपनी के प्रोडक्ट की मांग न सिर्फ घरेलू बाजार में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ गई।
राहुल बजाज का जन्म 10 जून, 1938 को कोलकाता में मारवाड़ी बिजनेसमैन कमलनयन बजाज और सावित्री बजाज के घर हुआ था। बजाज और नेहरू परिवार में तीन पीढि़यों से नजदीकी संबंध थे। राहुल के पिता कमलनयन और इंदिरा गांधी कुछ समय एक ही स्कूल में पढ़े थे। इसके अलावा बजाज समूह के संस्थापक माने जाने वाल जमनालाल बजाज अपने समय के अग्रणी समाज सेवी भी रहे थे। वह स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी गतिविधियों में भी सक्रिय रहते थे।