
योगेश कुमार पांडेय
जमुआ (गिरिडीह)। गिरिडीह शहर के अंबेडकर चौक में मनरेगा मजदूर मंच के प्रदेश संयोजक मोहम्मद आलम अंसारी के नेतृत्व में मनरेगा मजदूर मंच, ज्ञान विज्ञान समिति, मनरेगा वॉच एवं सीएसओ द्वारा दुनिया के सबसे बड़ा रोजगार कानून (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून 2005) की बरसी पर राष्ट्रीय रोजगार दिवस मनाया गया। इसके अतिरिक्त गिरिडीह की पहाड़पुर पंचायत के अलावा जमुआ, देवरी, बिरनी में भी कई जगहों पर रोजगार दिवस मनाया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत महात्मा गांधी एवं फादर जोस की तस्वीरों पर माल्यार्पण कर की गई। मनरेगा मजदूर मंच के मोहम्मद आलम अंसारी ने कहा कि कानून बनें 16 वर्ष बीत जाने के बाद गांव के अंतिम व्यक्ति तक सुलभ तरीके से नहीं पहुंच पा रहा है। मनरेगा से गांव का जलस्तर बढ़ा है। जैव विविधता, प्राकृतिक समृद्धि व संसाधन एवं रोजगार काफी हद तक उपलब्ध हुआ है। गांव में पलायन कम हुआ है। गांव के लोगों के हाथों में सीधे तौर पर पैसे गए हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं मनरेगा वाच के रामदेव विश्वबंधु ने कहा कि मनरेगा दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी कानून है। अब तक 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को इससे रोजगार मिल चुका है। मजदूर मंच के संस्थापक व ज्ञान विज्ञान समिति के प्रदेश महासचिव विश्वनाथ सिंह ने कहा कि मनरेगा का विकट परिस्थिति यानी कोरोना काल में रोजगार मुहैया कराने में सर्वोच्च स्थान में रहा है। जब सभी सेक्टर में लोग रोजगार से वंचित हो रहे थे, उस समय मनरेगा से लोगों को रोजगार मुहैया हो रहा था।
मजदूर मंच के नेता रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय मनरेगा दिवस का हम खुशी मना रहे हैं, लेकिन दुख इस बात का है कि कानून बनें 16 वर्ष बीत चुके हैं, फिर भी अंतिम व्यक्ति तक कानून की जानकारी और लाभ पूर्ण रूप से नहीं मिल पा रहा है। कुछ भ्रष्ट प्रतिनिधि एवं पदाधिकारी की मिलीभगत से मनरेगा कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है। मौके पर रामप्रसाद राणा, नुनदेव दास, मेघलाल प्रसाद, योगेन्द्र गुप्ता, दिवस कुमार, छत्रधारी, वृंदा महतो, अजय वर्मा, दिनेश, जागो फाउंडेशन के सचिव बैजनाथ बैजू के अलावे मजदूर उपस्थित थे।