HBD: गौरी लंकेश ने इस कारण अपने नाम से निकाली अलग पत्रिका

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नई दिल्ली। मशहूर कन्नड़ पत्रकार गौरी लंकेश का जन्म 29 जनवरी 1962 को बैंगलोर, कर्नाटक में हुआ। उन्होंने अपने पिता पी. लंकेश द्वारा शुरू किए गए कन्नड़ साप्ताहिक लंकेश पत्रिका में एक संपादक के रूप में काम किया और गौरी लंकेश पत्रिका नामक अपना साप्ताहिक चलाया। 

पिता की मौत के बाद पत्रिका को बंद करना चाहा लेकिन इंद्रजीत ने समझाया तो मान गई। गौरी ने लंकेश साप्ताहिक अखबार का संपादन दायित्व सँभाला और इंद्रजीत ने व्यवसायिक दायित्व। किंतु दोनों में 2001 ई. तक आते आते पत्रिका की विचारधारा को लेकर मतभेद पैदा हो गए। गौरी वामपंथी विचारधारा के निकट थीं। वे दक्षिणपंथीयों की कड़ी आलोचक थीं। वे सत्ता विरोधी स्वर का प्रतिनिधित्व करती थीं। इंद्रजीत ने पत्रकार वार्ता बुलाकर गौरी पर पत्रिका के जरिए नक्सलवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।

गौरी ने भी इसका खंडन किया और कहा कि भाई का विरोध उसके सामाजिक सक्रियतावाद से है। इसके बाद उन्होंने अपनी कन्न ड़ साप्ताहिक अखबार ‘गौरी लंकेश पत्रिका’ का प्रकाशन शुरु किया। वे सरकार से त्रस्त लोगों की पीड़ा को अपनी पत्रिका में स्वर देती थीं। बहुत से लोग गौरी की हत्या का कारण उनके विचारधारात्मक लेखन को मानते हैं। हत्या होने से पहले लिखे गए आखिरी संपादकीय में गौरी ने हिंदुत्ववादी संगठनों एवं संघ की झूठे समाचार बनाने तथा लोगों में फैलाने के लिए आलोचना की थी।

5 सितंबर 2017 को वे जब बंगलौर के राज राजेश्वरी नगर स्थित अपने घर लौटकर दरवाज़ा खोल रही थीं, तब हमलावरों ने उनके सीने पर दो और सिर पर एक गोली मार दी। इससे उनका तत्काल निधन हो गया।