बीएयू को समेकित कृषि पद्धति के मामले में देश का आदर्श बनाएं : डॉ अग्रवाल

कृषि झारखंड
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रांची। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (शिक्षा) और राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना (नाहेप) के राष्ट्रीय निदेशक डॉ आरसी अग्रवाल ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय को समेकित कृषि पद्धति (आईएफएस) के मामले में देश के अग्रणी संस्थान के रूप में विकसित करने पर जोर दिया है। ताकि देश में जो भी इस विषय पर पीएचडी करे, उसके लिए इस संस्थान का भ्रमण, डाटा और प्रभाव मूल्यांकन का अध्ययन आवश्यक हो जाए।

डॉ अग्रवाल ने कहा कि परियोजना कार्यान्वयन में वैज्ञानिक किसी भी स्तर पर गुणवत्ता से समझौता नहीं करें। विश्व बैंक की नजर में नाहेप अबतक की सर्वोत्तम परियोजना है। इस मॉडल को दूसरे देशों में भी कार्यान्वित करने का विचार विश्व बैंक कर रहा है। उन्होंने नाहेप के तहत झारखंड में प्राकृतिक खेती के क्षेत्र का सर्वेक्षण करने, सभी प्रकार के सिंचाई उपकरणों से युक्त एक सिंचाई पार्क विकसित करने और आंतरिक स्रोतों से राजस्व बढ़ाने का सुझाव बिरसा कृषि विश्वविद्यालय को दिया है।

रविवार को अपराह्न नाहेप के तहत विकसित बीएयू की विभिन्न परियोजनाओं का भ्रमण करने के बाद उन्होंने कहा कि जैविक खेती और प्राकृतिक खेती से संबंधित परियोजनाओं में अच्छी संख्या में छात्र-छात्राओं को भी शामिल करना चाहिए।

डॉ अग्रवाल ने वानिकी संकाय में विकसित समेकित कृषि पद्धति मॉडल और हाईटेक फॉरेस्ट नर्सरी, पशुचिकित्सा संकाय परिसर में विकसित, कृषि वानिकी एवं जैविक सब्जी आधारित कृषि पद्धति मॉडल और बत्तख-मछली आधारित समेकित कृषि पद्धति मॉडल का भ्रमण किया तथा बागवानी आधारित बायोडायवर्सिटी पार्क निर्माण की शुरुआत की। डॉ अग्रवाल ने नाहेप गतिविधियों वाले बीएयू कैंपस क्षेत्र को एग्रीटूरिज्म क्षेत्र के रूप में विकसित करने पर भी जोर दिया, ताकि दूर-दूर से लोग पर्यटन के लिए आएं। उन्होंने कहा कि राज्य में प्राकृतिक खेती के क्षेत्र और उपलब्धि से संबंधित आंकड़े मिलें तो वह राज्य सरकार और केंद्र सरकार को आगे की योजना के लिए प्रतिवेदन भेजेंगे।

वानिकी संकाय के डीन और नाहेप परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ एमएस मलिक ने स्वागत करते हुए परियोजना की प्रगति पर प्रकाश डाला। कहा बीएयू को पूरी तरह क्लीन एवं ग्रीन कैंपस के रूप में विकसित करने का प्रयास चल रहा है।

बीएयू के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने नाहेप परियोजना की गतिविधियों की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि इससे विद्यार्थी, शिक्षक, किसान सभी लाभान्वित हो रहे हैं। परिसर की सूरत में बदलाव आ रहा है। कुलपति ने नाहेप के तहत स्तरीय शोध प्रकाशन पर जोर दिया।

डॉ बीके अग्रवाल ने बीएयू में एकेडमिक मैनेजमेंट सिस्टम की प्रगति पर प्रकाश डाला। कहा कि कोविड महामारी की अवधि के दौरान भी यहां नामांकन, शिक्षण, परीक्षा, रिजल्ट आदि का काम सुचारू रूप से चलता रहा।

पशुचिकित्सा संकाय के डीन डॉ सुशील प्रसाद ने धन्यवाद किया। इस अवसर पर भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ के कार्यकारी सचिव डॉ दिनेश कुमार, निदेशक अनुसंधान डॉ ए वदूद, प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ जगरनाथ उरांव, छात्र कल्याण निदेशक डॉ डीके शाही भी उपस्थित थे।