जमशेदपुर। झारखंड के जमशेदपुर शहर अपने में कई हेरिटेज को समेटे हुए है। क्या आप भी इन हेरिटेज के बारे में जानते हैं। अगर नहीं जानते हैं तो इस बारे में जानें जरूर।
दोराबजी टाटा पार्क
सर दोराबजी टाटा पार्क की रजत जयंती और लेडी मेहरबाई टाटा की जयंती के अवसर पर टाटा स्टील के सीईओ व एमडी टीवी नरेंद्रन ने 10 अक्टूबर, 2020 को पट्टिका का अनावरण किया। डायमंड स्ट्रक्चर व पैवेलियन को प्रकाशित करे जमशेदपुर की जनता को पार्क पुनःसमर्पित किया गया था। इस अवसर पर रुचि नरेंद्रन ने लेडी मेहरबाई टाटा की प्रतिमा का अनावरण किया। उनके साथ टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष आर रवि प्रसाद समेत कंपनी के कई वाईस प्रेसिडेंट और अन्य अतिथि शामिल हुये। कोविड-19 के मद्देनजर, कर्मचारियों के साथ-साथ अन्य सभी आमंत्रित लोग वेबकास्ट के माध्यम से कार्यक्रम में शामिल हुए।
2.5 एकड़ में फैले यह उत्क्रमित पार्क अब सर दोराबजी की पत्नी लेडी मेहरबाई टाटा की एक प्रतिमा और एक देदीप्यमान स्टील ट्यूबलर संरचना व पैवेलियन से सुसजिज्त है। इसके माध्यम से प्रसिद्ध ‘जुबली डायमंड’ की विरासत को स्टील में सांचे में ढाल कर अमर कर दिया गया है।
सेंट जॉर्ज चर्च
सेंट जॉर्ज चर्च की आधारशिला 28 दिसंबर, 1914 को रखी गयी थी। 16 अप्रैल, 1916 को प्रतिष्ठापित यह चर्च उस जमीन पर खड़ा है, जिसे सर दोराबजी टाटा ने एंग्लिकन कांग्रीगेशन के लिए आवंटित किया था।
यह चर्च आज जमशेदपुर के लिए हमारे संस्थापक जमशेदजी एन टाटा के विजन की एक शानदार विरासत के रूप में साक्षात है। मंदिरों, मस्जिदों, चर्चों, मठों और गुरुद्वारों के लिए शहर भर में विशेष स्थान निर्धारित किये गये थे। जमशेदपुर ने अपनी स्थापना के बाद से धर्मनिरपेक्षता और सहिष्णुता का एक माहौल का निर्माण किया है।
सेंट जॉर्ज चर्च एकमात्र प्रोटेस्टेंट चर्च है, जहां आज अंग्रेजी में प्रार्थना की जाती है।
आर्मरी ग्राउंड
15 सितंबर 1941 को जमशेदपुर में गोलमुरी लाइन्स में बिहार रेजिमेंट की पहली बटालियन का गठन किया गया था। यूनिट को जापानी विमानों के संभावित हमले के मद्देनजर टिस्को प्लांट की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
तत्कालीन वायसराय लॉर्ड वेवेल के जमशेदपुर दौरे के समय स्वदेश में विकसित तोप को उनके अवलोकन के लिए नॉरदर्न टाउन में प्रदर्शित किया गया था। रेजिमेंट के कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल ट्वीड ने जिस भूमि पर अपनी यूनिट आर्मरी का प्रदर्शन किया, उसे अब आर्मरी ग्राउंड कहा जाता है।
शहर के सबसे पुराने खेल क्षेत्रों में से एक इस आर्मरी ग्राउंड का उपयोग शौकिया और पेशेवर खिलाड़ियों के द्वारा और खेल आयोजनों के लिए किया जाता है।
यूनाइटेड क्लब
समग्र मनोरंजन और सामाजिक जुटान के अवसर प्रदान करने के लिए डारेक्टर्स बंग्लो के सामने टिस्को इंस्टीट्यूट की स्थापना की गयी थी। टिस्को प्रबंधन ने यह सुनिश्चित किया कि सभी लोग आपस मिले-जुले करे और समान रूप से हिस्सा ले सके। शुरुआती दिनों में इसमें कई टेनिस कोर्ट, फुटबॉल और हॉकी के लिए एक बड़ा मैदान, बॉलिंग एली, बिलियर्ड रूम और नृत्य व अन्य मनोरंजन के लिए एक खूबसूरती से सजाया गया कॉन्सर्ट हॉल था। सीएनआर क्लब नाम का एक और क्लब था, जहां अब लोयोला स्कूल स्थित है। 1948 में टिस्को इंस्टीट्यूट के परिसर में यूनाइटेड क्लब बनाने के लिए सीएनआर क्लब और टिस्को इंस्टीट्यूट को आपस में मिला दिया गया था।
डायरेक्टर्स बंग्लो
1918 में डायरेक्टर्स बंग्लो बनाया गया था। यह बंगला स्टील प्लांट के निर्माण से पहले बनी एक पुरानी इमारत की साइट पर अवस्थित है। यहीं पर सर दोराबजी टाटा जैसे दिग्गज ठहरते थे और संचालन की देखरेख करते थे। बंगले में 8 बड़े कमरे, एक डाइनिंग हॉल, एक कार्ड रूम और लाउंज है, साथ ही सामने एक विशाल लॉन है, जो गुलाब के बगीचे और मौसमी फूलों से सुसज्जित है। जमशेदपुर की अपनी यात्राओं के दौरान इस बंगले ने पंडित जवाहरलाल नेहरू सहित कई गणमान्य व्यक्तियों की मेजबानी की है।
बुलेवार्ड होटल
प्रतिष्ठित बुलेवार्ड होटल की शुरुआत एक उद्यमी ठेकेदार बार्थोलोम्यू डी’ कोस्टा ने की थी। टाटा कंपनियों द्वारा शहर में शुरू की गई परियोजनाओं के लिए मजूदर प्रदान करने 1919 में वे गोवा से जमशेदपुर आये थे। उनके फर्म ने टाउनशिप में कई निर्माण परियोजनाओं पर काम किया, जिसमें कदमा में फ्लैट और अन्य स्टीलवर्क्स शामिल हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बार्थोलोम्यू को शहर के ऊपर एक स्मोकस्क्रीन बनाने के लिए टार पिट का निर्माण करने का काम सौंपा गया था और 1940 में, उन्होंने शहर में डेरा डाले हुए मित्र देशों के सैनिकों के लिए बुलेवार्ड होटल का निर्माण किया। एक रेडीमेड नक्शे के आधार पर स्थानीय भट्ठे से ईंटे लेकर कुछ भार थामने वाली दीवारों से युक्त एक तत्काल सेटअप का उपयोग कर संरचना को छह महीने में खड़ा कर दिया गया था। यह होटल ब्रिटिश और अमेरिकी सैनिकों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय था। वर्तमान होटल ने उस युग के अधिकांश आंतरिक सज्जा और फर्नीचर को बरकरार रखा है।
क्लॉक टॉवर
चार घुमावदार घड़ियों के साथ सीध में खड़े 70 फीट के हमारे क्लॉक टॉवर को एंग्लो-स्विस वॉच कंपनी द्वारा निर्मित किया था और 4 मार्च, 1939 को टिनप्लेट कंपनी ऑफ इंडिया (टीसीआईएल) द्वारा स्थापित किया गया था, जो इसके पहले जेनेरल मैनेजर जॉन लेशोन की 16 साल की सेवा का प्रतीक है। गोलमुरी क्लब के गोल्फ कोर्स में स्थित यह टॉवर कई दशकों तक शहर का टाइमकीपर रहा।
1994 में घड़ी ने काम करना बंद कर दिया और दो दशकों तक यह चली नहीं। 3 मार्च, 2014 को स्थापना दिवस के अवसर पर क्लॉक टॉवर की मरम्मत की गयी और इसे शहर को समर्पित किया गया। टॉवर का रखरखाव टीसीआईएल के स्वामित्व वाले गोलमुरी क्लब द्वारा किया जाता है और इसके 18-होल गोल्फ कोर्स में सुंदरता में चार चांद लगाता है।
भरूचा मैन्सन
टाटा स्टील के पहले भारतीय चीफ कैशियर खुर्शीद मानेकजी भरूचा ने 1935 में टाटा स्टील में काम करने आए बाहरी पारसी युवाओं के घर के रूप में इस अनूठी औपनिवेशिक शैली की इमारत का निर्माण किया था।
आईएसडब्ल्यूपी
इंडियन स्टील एंड वायर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (आईएसडब्ल्यूपी) की स्थापना सरदार बहादुर इंदर सिंह ने 1920 में की थी। यह उस समय 300 एकड़ के क्षेत्र में फैली थी। यह एक वायर ड्राइंग प्लांट के रूप में शुरू हुआ और फिर कंपनी ने धीरे-धीरे विस्तार किया और स्टील बिजनेस के अन्य क्षेत्रों में प्रवेश किया।
टाटा मोटर्स
टाटा मोटर्स की स्थापना 1945 में आरंभ में रोड रोलर्स बनाने के लिए की गयी थी। कंपनी ने 1954 तक अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, तब टाटा मोटर्स ने मर्सिडीज बेंज ट्रकों का निर्माण शुरू किया।