- फिल्म प्रदर्शनी, व्यंजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, आर्टीसंस रेजीडेंसी, चिकित्सा होंगे मुख्य आकर्षण
जमशेदपुर। टाटा स्टील फाउंडेशन 15 नवंबर से जनजातीय संस्कृति और परंपरा का जश्न ‘संवाद-2021’ का आयोजन करेगा। जनजातीय पहचान की अपनी तरह का यह अनूठा इकोसिस्टम 19 नवंबर तक चलेगा। यह ‘संवाद’ का आठवां संस्करण है।
समय के साथ ‘संवाद’ एक इकोसिस्टम के रूप में विकसित हो चुका है, जो समृद्ध जनजातीय संस्कृति व लोक साहित्य/कला का जश्न मनाता है। पूरे भारत में आदिवासी समुदायों द्वारा सामना किये जाने वाले विकास की अधिकांश जटिल चुनौतियों को लेकर निष्पक्षता व न्याय पर चर्चा करता है। ‘संवाद’ अब तक भारत के 157 और विदेशों के 17 जनजातीय समुदायों से 30,000 से अधिक महिला, पुरुष और बच्चों को एक मंच पर ला चुका है।
इस बार ‘संवाद-2021’ में 187 बेहतरीन आदिवासी कलाकार, पाक-कला विशेषज्ञ, देसी वैद्य, संस्कृति के पुरोधा और जमशेदपुर के नेतृत्वकर्ताओं के साथ-साथ भारत के 25 राज्यों एवं 5 केंद्र शासित प्रदेशों से 87 आदिवासी समुदायों के चार हजार से अधिक लोग जुड़ेंगे। ये सभी एक ब्रिजिटल फॉर्मेट में संवाद के लिए लॉग-इन करेंगे।
‘वेबेक्स प्लेटफॉर्म’ और ‘यूट्यूब’ को मिला कर एक ऑनलाइन व्यवस्था की गयी है। आपसी परिचर्चा के लिए ‘वेबेक्स प्लेटफॉर्म’ है, जबकि जनता के देखने के लिए ‘यूट्यूब’ है। इसके साथ-साथ, हमारे विस्तृत संवाद परिवार द्वारा 110 स्थानों पर कम्युनिटि स्क्रीनिंग की भी व्यवस्था की गयी है, ताकि ऐसे लोग भी सम्मेलन का हिस्सा बन सकें। जिनके पास डिवाइस या नेटवर्क उपलब्ध नहीं हैं।
इस वर्ष संवाद का विषय ‘रिइमेजिंग’ (पुनर्कल्पणा) है। यह विषय आदिवासी समुदायों के लिए ‘पुनर्कल्पणा’ के मायने पर गहन, धैर्ययुक्त और प्रतिनिधिक अन्वेषण की शुरुआत करेगा।
वाइस प्रेसिडेंट (कॉर्पोरेट सर्विसेज) चाणक्य चौधरी ने कहा, ‘पिछले सात वर्षों में ‘संवाद’ ने सहक्रियात्मक स्वर और विचार निर्मित करने के लिए आदिवासी समुदायों के साथ एक सतत संवाद स्थापित किया है। इसका लक्ष्य अर्थपूर्ण और दीर्घकालिक समाधानों को एक निष्कर्ष की ओर ले जाना है। इस वर्ष भी यह सम्मेलन समुदायों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर विमर्श करने और आदिवासी संस्कृति की विविधता का जश्न मनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।‘
चीफ (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) सौरव रॉय ने कहा, ‘संवाद के हर संस्करण ने एक विशिष्ट विषय को रेखांकित करते हुए आदिवासी भाषाओं, नेतृत्व, संस्कृति, चिकित्सीय अभ्यासों आदि पर दिशागत, केंद्रित और गहन चर्चाओं के साथ विभिन्न परिदृश्यों को दुनिया के पटल पर रखा है। इस वर्ष हमारा लक्ष्य ‘आदिवासी समुदाय अपने भविष्य को किस प्रकार देखते हैं’ विषय पर अपने विचारों को परिलक्षित करने के लिए उन्हें एकजुट करने का है। इस बार वे दीर्घकालिक बदलाव को सक्षम करने वाले भविष्य की पुनर्कल्पणा करेंगे, साथ मिल कर नये समाधान खोजेंगे और रूपांतरण को संचालित करने के लिए आदिवासी जीवन जीने के तरीके की भूमिका को अंगीकार करेंगे तथा हम सभी के अंतर्मन से निकले एक सामूहिक स्वर के साथ अपना स्वर मिलायेंगे।‘
इस इकोसिस्टम के विभिन्न तत्व संवाद के सार का निर्माण करेंगे। व्यंजन, कला, फिल्म प्रदर्शनी, संस्कृति उत्पादों आदि के माध्यम से आम जन के लिए आदिवासियों के पारंपरिक अभ्यासों व उनकी समृद्ध विरासत को रेखांकित करेंगे।
‘समुदाय के साथ’ कार्यक्रम में सिनेमा-संचालित किस्सागोई के माध्यम से स्कूली बच्चे आदिवासियों के जीवन जीने के तरीके पर अपना आरंभिक सबक सीखेंगे। दूसरी ओर पूरा समुदाय ‘अखरा’ के सत्रों में जुटेगा, जो आदिवासी परिप्रेक्ष्य में ‘पुनर्कल्पणा’ पर बहस करेगा। हर शाम को पूरे देश से आदिवासी समुदायों द्वारा कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा, जिसे यूट्यूब चैनल के माध्यम से प्रसारित किया जायेगा। इस सूची में ‘सोफीयम’ और ‘पर्पल फ्यूजन’ जैसे कई लोकप्रिय आदिवासी बैंड के नाम शामिल हैं।
इस वर्ष हम पहली बार और अपने प्रकार का एकमात्र ‘आर्टीसंस रेजीडेंसी’ की मेजबानी कर रहे हैं, जिसमें समूचे देश से 23 कलाकार 13 आदिवासी कला रूपों के माध्यम से ‘संवाद’ और समुदायवाद की पुनर्कल्पणा को सात शानदार कैनवासों पर उकेरेंगे।
‘क्यूरेटेड लंच’ के इर्दगिर्द घूमती चर्चाओं के साथ, एक त्रिआयामी दृष्टिकोण के रूप में जोमैटो के माध्मय से जमशेदपुर के घरों में आदिवासी व्यंजनों को मंगाया जा सकेगा। देसी आदिवासी खानसामों के साथ अनूठी पाक-कला का अनुभव देने के लिए हमने पूरे भारत से 17 समुदायों के 48 घरेलू खानसामों को आमंत्रित किया है। ये खानसामे अपने साथ युगों प्राचीन पाक-विधि लायेंगे।
सम्मेलन के दौरान सभी पांच दिनों तक ऑनलाइन भोजन सेवा देने वाले जोमैटो पर जमशेदपुर के लोगों के लिए आदिवासी व्यंजनों की लजीज रेसीपी विशेष रूप से उपलब्ध होगी। आदिवासी चिकित्सा प्रणालियों पर सत्र में ‘आदिवासी वैद्यों के लिए आगे का रास्ता’ विषय पर बातचीत होगी, जिसमें जमशेदपुर से प्रतिनिधियों के एक समूह के साथ पूरे भारत से प्रतिभागी ऑनलाइन हिस्सा लेंगे। कुल मिला कर यह व्यवस्था कोविड नियमों और हमारे सभी प्रतिनिधिमंडलों की सुरक्षा को ध्यान में रख कर की गयी है।