बेगूसराय। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच मौत हो जाने पर जहां अपने ही अपनों के लाश को ठुकरा रहे हैं। वहीं, पारिवारिक रिश्तों से बढ़कर सामाजिक रिश्ते और अपनेपन के द्वारा बनाए गए संबंध संकटकाल में लगातार उभर कर सामने आ रहे हैं और एक दूसरे का की मदद भी कर रहे हैं । ऐसा ही एक मामला बेगूसराय में सामने आया है, जब एक रिटायर्ड महिला प्रोफेसर की मौत हो गई तो उनके पति सहित परिजनों ने अंतिम संस्कार से लेकर श्राद्ध कर्म तक से अपना हाथ खींच लिया लेकिन उक्त महिला प्रोफेसर के द्वारा बनाया गया सामाजिक संबंध इस बुरे वक्त में काम आ रहा है।
20 वर्षों से चली आ रही दोस्ती का फर्ज का निर्वाह करने के लिए एक युवक राजीव कुमार ने ना सिर्फ महिला प्रो. इंदु भट्ट का अंतिम संस्कार किया। बल्कि, अब पूरे हिंदू रीति-रिवाज से श्राद्ध कर्म की कर रहे हैं। मामला नगर निगम क्षेत्र स्थित चाणक्य नगर का है। दरअसल मूल रूप से गुजरात की रहने वाली प्रो. इंदु भट्ट श्रीकृष्ण महिला महाविद्यालय बेगूसराय में अंग्रेजी के हेड ऑफ डिपार्टमेंट पद से वर्ष 2016 में सेवानिवृत हुई थी। प्रो. इंदु भट्ट ने धनबाद के रहने वाले शरद चंद्र ठक्का से प्रेम विवाह किया था। शरद चंद्र ठक्का पूर्व से भी विवाहित थे एवं उनकी पहली पत्नी से शरण चंद्र ठक्का को तीन पुत्र हैं, शरण चंद्र भी खुद व्यवसाई हैं और झारखंड के धनबाद में इनका अपना सिनेमा हॉल है।
प्रो. इंदु भट्ट से शादी के बाद शरण चंद्र ठक्का कभी-कभी ही बेगूसराय आते थे लेकिन विभागीय छुट्टी मिलने के बाद इंदु भट्ट अपने पति के पास धनबाद जाकर रहती थी। पिछले दिनों भी इंदु भट्ट अपने पति के पास गई थी, जहां उनकी तबीयत मामूली रूप से खराब हो गई तो वह धनबाद से बेगूसराय के लिए चली लेकिन रास्ते में ही उनकी हालत बिगड़ने लगी और बेगूसराय स्थित मकान पर पहुंचते-पहुंचते बेहोश हो गई। हालत गंभीर देख कर ड्राइवर ने उनकेे पारिवारिक मित्र राजेश कुमार को सूचना दी गई। सूचना मिलते ही पहुंचे राजेश कुमार ने उनकी हालत को बिगड़ते देख डॉक्टरों से इलाज करवाया और लगातार उनसे मिलने आते रहे। पिछले सप्ताह राजेश जब प्रो. इंदु भट्ट से मिलने आए तो उनकी हालत काफी खराब हो चुकी थी।
तुरंत डॉक्टरों से संपर्कक किया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और प्रो. इंदु भट्ट को मृत घोषित कर दिया। राजेश के द्वारा उनके पति शरण चंद्र ठक्का एवं तीनों सौतेले पुत्र से संपर्क किया गयाा लेकिन सभी ने अपना पल्ला झाड़ लिया और लॉकडाउन एवं कोरोना का बहाना बनाकर बेगूसराय आने से मना कर दिया। इसके बाद स्थानीय लोगों की मदद से राजेश कुमार ने इंदु भट्ट का अंतिम संस्कार किया एवं अब उनका श्राद्ध कर्म पूरे रीति रिवाज से कर रहे हैं। प्रो. इंदु भट्ट की मौत के बाद छात्रों ने भी बढ़-चढ़कर उनके अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया है तथा कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार उनका श्राद्ध कर्म किया जा रहा है। इसकी पूरे समाज में भूरी-भूरी प्रशंसा कर रहे हैं।