- विद्यार्थियों ने सरहुल गीतों की दी आकर्षक प्रस्तुति
रांची। प्रकृति महापर्व सरहुल की पूर्व संध्या पर गोस्सनर कॉलेज के पत्रकारिता और जनजातीय भाषा विभाग ने मिलकर ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें अलग-अलग विभागों से प्रतिभागियों ने भाग लिया। सभी प्रतिभागियों को सरहुल गीत गाते हुए अपना ऑडियो-वीडियो बनाकर भेजना था। डिपार्टमेंट के जूरी मेंबर ने इसमें से विजेताओं का चयन किया।
प्रतियोगिता का थीम सरहुत गीत था। सभी प्रतिभागियों ने सरहुल त्योहार को लेकर गीत प्रस्तुत किया। यह गीत अलग-अलग भाषा में थे। हर गीत की अपनी कहानी है। गीत बताते हैं कि आदिवासियों का नया साल शुरू हो चुका है। नया साल हमारे फसल और हमारी जिंदगी में उन्नति का प्रतीक है। आदिवासी समाज में यह गीत कहीं ना कहीं मानव और प्रकृति की प्रेम को दर्शाता है।
प्रतियोगिता में महुआ कर पतइ झइर गेलक भइया रे खोंच उपर फूला फूली गेलक, फागुन कर महिना जोड़ी लाल सेमइर फुले चइत महिना जोड़ी सरइ फूला फूले, सरइ फूला फूइल गेल सरहुल दिना आइ गेल, मदगी खोजोन की रे सहिया खोपा मुलुर का बेसे लगी सहित कई आकर्षक सरहुल गीत प्रस्तुत किये गये।
निर्णाक मंडली में नागपुरी विभाग के हेमंत कुमार टोप्पो, मुंडारी विभाग की मीना सुरीन एवं पत्रकारित विभाग की प्रो गोल्डन बिलुंग, प्रो पूजा अमृता उरांव और प्रो निवेदिता डांग शामिल थे। प्रतियोगिता को सफल बनाने में कॉलेज के प्राचार्य डॉ रॉयल डॉग और डॉ योताम कुल्लू का योगदान रहा।
प्राचार्य ने कहा कि सरहुल के संदेश को हमें अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। इस तरह के आयोजन से विद्यार्थियों की प्रतिभा निखरती हैं। कार्यक्रम का संचालन पत्रकारिता विभाग व जनजातीय भाषा विभाग के प्रोफेसरों ने संयुक्त रूप से किया। विभाग की को-ऑर्डिनेटर प्रो आशा रानी केरकेट्टा और नागपुरी विभाग से डॉ कोरनेलियुस मिंज, कुड़ुख विभाग के प्रो हेमंत टोप्पो और मुंडारी विभाग से मीना सुरीन की अहम भूमिका रही।
प्रतियोगिता के विजेता
पहला पुरस्कार – ललित एक्का, अंग्रेजी विभाग
दूसरा पुरस्कार – रिया किस्पोट्टा, पत्रकारिता विभाग
तीसरा पुरस्कार- अनु रानी भेंगरा, अंग्रेजी विभाग और संतोष उरांव, राजनीति शास्त्र
संतावना पुरस्कार – इनोसेंट बेक, पत्रकारिता विभाग