नैनीताल। मुख्यालय स्थित एरीज यानी आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान में देश के अन्य शीर्ष वैज्ञानिक संस्थानों के सहयोग से ‘एस्ट्रो फिजिकल जेटस् एवं प्रेक्षण सुविधाएं: राष्ट्रीय प्ररिप्रेक्ष्य‘ विषय पर सोमवार से शुरू हुई राष्ट्रीय कार्यशाला गुरुवार को चौथे दिन भी जारी रही। इस दौरान एनसीआरए के प्रो जयराम चेंगलुर ने भारत की सबसे बड़ी दूरबीन जीएमआरटी के बारे में विवरण देते हुए कहा कि इस अंतराष्ट्रीय सुविधा की भविष्य में एस्ट्रोफिजिकल जेटस के अध्ययन में उपयोगिता और अधिक बढ़ने वाली है।
एरीज के संस्थापक निदेशक प्रो रामसागर ने देश की सबसे बड़ी दृश्य प्रकाश में कार्य करने वाली एरीज की 36 मी देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप-डॉट के निकट भविष्य में अवरक्त तंरगदैर्घ्य पर कार्य करने की वैज्ञानिक क्षमता पर बात की। आईआईए के डा. डीके साहू ने लेह स्थित विश्व की सबसे ऊंचाई में स्थित 2 मीटर व्यास की हिमालयन चंद्रा टेलीस्कोप-एचसीटी के बारे में एरीज के गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष एवं एस्ट्रोसेट के प्रमुख अन्वेषक प्रो पीसी अग्रवाल ने भारत के अंतरिक्ष स्थित बहुतरंगदैर्घ्यी प्रेक्षण सुविधा एस्ट्रोसेट के एक्स-रे पर कार्य क्षमताओं, वरिष्ठ अभियंत्रण विशेषज्ञ डा. एसएन टंडन ने एस्ट्रोसेट के पराबैंगनी तरंगदैर्घ्य पर प्रेक्षण क्षमताओं और इससे प्राप्त महत्वपूर्ण वैज्ञानिक शोध परिणामों की चर्चा की।
इसरो के डा. वी गिरीश के संचालन में आयोजन दूसरे सत्र में भाभा परमाणु केंद्र के डा. केके सिंह ने गामा-किरणों के विकिरण के अनुपूरक चेरेनकोव टेलीस्कोप पर, टीआईएफआर की डा वर्षा चिटनिस ने हेगर टेलीस्कोप एवं अन्य गामा किरणों पर काम करने वाली सुविधाओं, एनसीआरए के प्रो भाल चंद्र जोशी ने भारत और अंतराष्ट्रीय पल्सार टाईमिंग अरेय से गुरुत्व तरंगों के अनुसंधान में जीएमआरटी के योगदान, अयुका के आरसी आनंद ने 8 से 10 मीटर वर्ग की दूरबीनों द्वारा विज्ञान के संदर्भ में और डा. देवेंद्र ओझा ने भी संबंधित विषय पर चर्चा की। आयोजक समिति के डा शशिभूषण पांडेय ने बताया कि 9 अप्रैल को ‘भविष्य की खगोलीय प्रेक्षण सुविधाओं और रणनीति‘ पर चर्चा होगी।