फॉरेस्ट्री छात्रों का शैक्षणिक भ्रमण, वनवर्धन, वन संरक्षण व जैव विविधता को देखा

झारखंड
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रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय अंतर्गत संचालित रांची वानिकी महाविद्यालय के स्नातक अंतिम वर्ष के 36 छात्र-छात्राओं के दल ने शनिवार को चार दिवसीय राज्य शैक्षणिक भ्रमण पूरा किया। सहायक प्राध्यापक डॉ अनिल कुमार के मार्गदर्शन में छात्रों ने चियांकी (पलामू), लातेहार, बेतला व नेतरहाट में वनवर्धन, वन संरक्षण व जैव विविधता तकनीकी की जानकारी ली। छात्र दल ने लातेहार में वन विभाग के द्वारा संचालित शीशल रेशा उत्पादन केंद्र में उच्च गुणवत्ता युक्त रस्सी, पावदान एवं पर्दा निर्माण की तकनीक के साथ-साथ औषधीय गुण व उपयोग के बारे में जाना। चियांकी (पलामू) स्थित बीएयू अधीन संचालित क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र में किसानों के लिए स्थान विशेष आधारित कृषि एवं कृषि वानिकी प्रौद्योगिकी के प्रक्षेत्रों में अध्ययन किया।

बेतला वन अभ्यारण्य में उपनिदेशक कुमार आशीष ने दो दिनों के प्रवास में छात्रों को सखुआ, सलई, धौड़ा, घोंटा, बांस, बेल एवं अन्य सहयोगी वृक्षों का संरक्षण एवं वर्धन तकनीकों की व्यावहारिक जानकारी दी। अभ्यारण्य में बड़े पैमाने पर चलाये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों एवं वन जीवों की जीवन शैली के बारे में बताया। छात्रों को अभ्यारण्य में छात्रों को वन क्षेत्र में भूक्षरण से बचाव के प्रयासों, वन जीव के लिए उपयुक्त घास एवं बांस का वर्धन तथा चारागाह का प्रवर्धन तकनीकों देखने का अवसर मिला।

भ्रमण के अंतिम पड़ाव में छात्रों ने नेतरहाट की वादियों विद्यमान वानस्पतिक एवं जैव विविधता के साथ विशेष रूप से पाईन फारेस्ट के बारे में जानकारी प्राप्त की। चार दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण में छात्रों के बीच काफी उत्साह देखा गया। छात्रों में आलोक आनंद, दिव्यांश, विजय मुर्मू, आकांक्षा, अभिषेक निश्छल, आस्था, अनुपमा, प्रियंका, श्रेया एवं प्रियांशु ने भ्रमण को पर्यावरण सुरक्षा, वानिकी सेवा एवं अनुसंधान के लिए काफी उपयोगी बताया.।

डीन फॉरेस्ट्री डॉ एमएच सिद्दीकी ने बताया कि कोविड-19 की वजह से चौथे सेमेस्टर के छात्रों का शैक्षणिक भ्रमण लंबित था। भ्रमण में वानिकी के छात्रों को वानस्पतिक एवं जैव विविधता को प्रत्यक्ष रूप से देखने अवसर मिला। जल्द ही अंतिम वर्ष के इन छात्रों को आठवें सेमेस्टर में  रूरल एग्रीकल्चरल वर्क एक्सपीरियंस (रावे) प्रोग्राम पूरा करने का अवसर मिलेगा।