- आईआईएम रांची में एमएसएमई कॉन्क्लेव 2025 संपन्न
रांची। आईआईएम रांची ने झारखंड स्थापना के 25वें वर्षगांठ और भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर एमएसएमई कॉन्क्लेव 2025 का आयोजन किया। यह जमशेदपुर मैनेजमेंट एसोसिएशन (जेएमए), झारखंड चैंबर (एफजेसीसीआई) और जीआईजेड के सहयोग से हुआ। इसमें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र के प्रमुख, उद्यमी, नीति निर्माता और शिक्षावि एकजुट होकर राज्य में लघु उद्योग के इकोसिस्टम एवं उनके विकास की रणनीतियों व चुनौतियों पर चर्चा की।
कॉन्क्लेव में आए प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए, कॉरपोरेट संबंध के चेयरपर्सन प्रो. राजीव वर्मा ने एमएसएमई कॉन्क्लेव के दूसरे संस्करण के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह मंच झारखंड में एमएसएमई को मजबूत करने के लिए एक साझा दृष्टिकोण तैयार करने और लघु उद्योग को बढ़ावा देने की रणनीति पर चर्चा होगी। उन्होंने लघु उद्योग की चुनौतियों को समझने और सहयोग के माध्यम से व्यवहार्य समाधान विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
आईआईएम रांची के निदेशक प्रो. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने रांची और पूरे झारखंड से आए विभिन्न लघु उद्योग क्षेत्रों के प्रतिनिधियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि एमएसएमई भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 30% का योगदान करते हैं। निर्यात-उन्मुख उद्योगों का समर्थन करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। रोजगार सृजन और सामाजिक-आर्थिक विकास में एमएसएमई की महत्वपूर्ण भूमिका है।
डॉ. उषा गणेश (सीनियर कंसल्टेंट, जीआईजेड) ने कहा कि रणनीतिक सहयोग से झारखंड और पूरे देश के एमएसएमई को मजबूती मिलेगी, जिससे उन्हें उच्च प्रतिस्पर्धात्मकता और दीर्घकालिक विकास हासिल करने का अवसर मिलेगा।
एमटीआई सेल के कार्यकारी निदेशक (एचआर-एल एंड डी) संजय धर ने कहा कि एमएसएमई जुगार टेक्नोलॉजी के सहारे उत्कृष्ट बनते है। एमएसएमई इंडस्ट्री को खड़ा करना आसन बात नहीं है, इससे बड़ी कंपनियों को भी अपने लक्ष्य पुरे करने में मदद मिलती है। आपसी सहयोग से लघु उद्योग बड़े काम को अंजाम देते हैं, जो बाजार में उनकी छवि को बनाये रखती है। उन्होंने एमएसएमई को अनुकूलनीय बने रहने, वास्तविक समस्याओं की पहचान करने और नए अवसरों उपलब्ध कराकर समस्या-समाधान की मानसिकता विकसित करने की सलाह दी।
मुख्य अतिथि पूर्व आईएएस और एमडी व सीईओ (पारसिया कोल माइन प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड, गेनवेल ग्रुप) अनुराग श्रीवास्तव ने भारत में एमएसएमई के पैमाने और महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एमएसएमई पूरे देश में एक व्यापक नेटवर्क बनाते हैं और समावेशी आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण बने हुए हैं।
उन्होंने उल्लेख किया कि 1990 के दशक में भारत और चीन की जीडीपी समान थी, लेकिन भारत के धीमे एमएसएमई विस्तार ने इसके विकास में देरी की। उन्होंने जुगार टेक्नोलॉजी से आगे बढ़ने में सक्षम बने रहने पर जोर दिया। यह बड़े पैमाने के उद्योगों की तुलना में कम लागत वाला होता है। उन्होंने इंटरनेट के बाद एआई के बढ़ते इस्तेमाल में लघु उद्योग को ढल कर विकसित होने की बात कही।
दूसरे सत्र में प्रो. कुशग्राम शरण ने पैनल चर्चा का संचालन करते हुए, विषय: “आत्मनिर्भर भारत की रीढ़ के रूप में एमएसएमई: नीति और साझेदारी के माध्यम से विकास को सक्षम बनाना” पर चर्चा की। पैनल में शामिल देवांग गांधी (निदेशक, एम्पायर ऑटो प्रा. लिमिटेड), मनीष पीयूष (सह-संस्थापक और निदेशक, प्योरेश डेली फूड्स प्रा. लि.), राजीव शुक्ला (एमडी, हिमालय एंटरप्राइजेज), आदित्य मल्होत्रा (अध्यक्ष, एफजेसीसीआई) और गौरव मारवाह (संस्थापक, तियाशी इनोवेशन प्रा. लि.) ने लघु उद्योग के नीतिगत समर्थन, बेहतर बाजार पहुंच, डिजिटल अपनाने और स्थानीय-वैश्विक जुड़ाव के माध्यम से एमएसएमई इकोसिस्टम को मजबूत करने पर रचनात्मक विचार साझा किए।
इस अवसर पर आईआईएम रांची और सेल ने संयुक्त रूप से राष्ट्रीय केस प्रतियोगिता “नेशन फॉर्ज्ड” के लिए पंजीकरण की शुरुआत की। पंजीकरण 27 नवंबर तक जारी रहेगा। प्रतियोगिता के विजेता ₹2 लाख तक के पुरस्कार हासिल कर सकेंगे। कॉन्क्लेव का समापन आइडियाथॉन 2025 के विजेताओं के सम्मान के साथ हुआ। 8 फाइनलिस्टों में से कैटालिस्ट को ओवरआल विजेता घोषित किया गया। अन्य श्रेणी – ऑपरेशंस में कैटालिस्ट, फाइनेंस में एपेक्स राइजर्स, एचआर ट्रैक में एचआरटिस्ट और मार्केटिंग में आस्क विजेता रहे।
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