- देश के मशहूर उलेमागण, इस्लामिक स्कॉलर हुए शामिल
अफरोज आलम
कांके। मदरसा आलिया अरबिया, कांके पतराटोली में 19वां जलसा-ए-दस्तार बंदी का आयोजन शनिवार को किया गया। इस दौरान मदरसा में अध्ययनरत 342 बच्चों को “हिफ्ज-ए-कुरान“ की उपाधि दी गई। यह कुरान को कंठस्थ करने की उपलब्धि के लिए दी जाती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता हजरत मौलाना कारी अशरफुल हक मजाहिरी ने की। संचालन मौलाना साबिर हुसैन मजाहिरी ने किया। जलसे की शुरुआत कारी सोहैब अहमद के तिलावते कुरान पाक से हुई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि यूपी के हजरत मौलाना अहमदुल हुसैनी ने कुरान को अध्यात्मिक विकास, नैतिक आचरण व सामाजिक न्याय के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने तालीम पर जोर देते हुए कहा कि कुरान न केवल धार्मिक ज्ञान देता है, बल्कि यह व्यक्ति और समाज दोनों के समग्र विकास के लिए आवश्यक है।
कहा कि कुरान के अनुसार अल्लाह के हुक्मों पर अपनी जिंदगी व्यतित करने वाले इंसान की दुनिया और आखिरत (मरनोपरांत) में बेहतर मुकाम हासिल कर सकते हैं।
विशिष्ट अतिथि हजरत मुफ्ती अनवर कासमी क़ाज़ी-ए-शरीयत दारुल क़ज़ा रांचवी ने कहा कि हाफिज-ए-कुरान की बड़ी अहमियत है। एक शिक्षित व्यक्ति समाज के विकास और सुधार में बेहतर योगदान दे सकता है।
कुरान का ज्ञान व्यक्ति को रोजमर्रा की ज़िंदगी में सोच-समझकर फैसले लेने में मदद करता है। उन्होंने देश के विख्यात उलेमा मौलाना सालिम चतुर्वेदी और मौलाना अख्तर हुसैन मजाहिरी के जीवन पर भी प्रकाश डालते हुए उनके हक में दुआ की।
मुफ्ती सोहराब नायब नाजिम इमारत-ए-शरिया पटना ने कहा कि मुसलमानों को जिस तरह रोजा रखना जरूरी है, उसी तरह अपने बच्चों को इस्लामी शिक्षा देना जरूरी है।
उन्होंने समाज में फैले नशापान, हराम कमाई व झूठ से दूर रहने पर विशेष जोर दिया। साथ ही, शादी विवाह में दहेज़ लेने और फिजूलखर्ची से बचने की नसीहत दी।
इसके अलावा सहारनपुर यूपी के मौलाना गैय्यूर अहमद कासमी ने कहा कि मदरसा में पढ़ने वाले बच्चों को अच्छा माहौल मिले इसका पुरा ख्याल रखा जाता है। मदरसा के बच्चों को शिक्षा के साथ हुनर और संस्कार भी देने का काम हो रहा है।
मुफ्ती अमानत सहित कई प्रख्यात आलीमों ने अपना विचार रखे। इस अवसर पर कारी जमशेद जौहर और कारी नेसार दानिश के द्वारा नात नबी पढ़ी तो पूरा मजमा झूम उठा।
जलसे को कामयाब करने में मदरसा के प्रचार्य मौलाना अशरफुल हक मजाहिरी, नाजीम-ए-जलसा कारी अब्दुर्रउफ, उपप्रचार्य मौलाना मोकर्रम, जमीयत उलेमा के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल कय्यूम कासमी, महासचिव हाजी शाह उमैर, मौलाना असगर मिस्बाही, मौलाना शौकत, मौलाना इम्तियाज, मौलाना मंसुर आलम मजाहिरी, मौलाना ताजुद्दीन, मौलाना अहमद हुसैन कासमी, मौलाना सहामत हुसैन कासमी, मुफ्ती अबू दाऊद सहित क्षेत्र के गणमान्य लोगों व सैकड़ों युवकों की सक्रिय भूमिका रही।
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