आनंद कुमार सोनी
लोहरदगा। जिले के कायस्थ समाज के लोगों ने पूरे भक्ति भाव के साथ गुरुवार को श्री चित्रगुप्त महाराज की पूजा-अर्चना की। शहर के किसको मोड स्थित सूर्य मंदिर में भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा स्थापित की गई थी। पुरोहित वंशीधर मिश्रा ने समाज के लोगों को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कलम, दवात, कॉपी व पुस्तक आदि की पूजा कराई।
पौराणिक मान्यता के अनुसार सृष्टि की रचना के बाद ब्रह्माजी चिंतातुर हो गए। चिंता का कारण था- सकल सृष्टि की देखरेख एवं लेखा-जोखा रखना। कोई उपाय ना सूझने पर ब्रह्माजी 12 हजार वर्ष की अखंड समाधि में लीन हो गए। इसके बाद उनकी काया से एक तेजस्वी बालक का जन्म हुआ, जिनका नाम ब्रह्माजी ने कायस्थ रखा।
कहा कि समस्त जीवों के कर्मों का लेखा-जोखा रखना ही तुम्हारा दायित्व है। युवावस्था में उनका विवाह इरावती एवं शोभावती नामक कन्याओं से हुआ, जिनकी प्रथम पत्नी से चार एवं द्वितीय से आठ पुत्र हुए।
इन पुत्रों का नामकरण इनके शासित प्रदेश के आधार पर क्रमश: श्रीवास्तव, निगम, कर्ण, कुलश्रेष्ठ, माथुर, सक्सेना, गौड़, अस्थाना एवं वाल्मिकी आदि किया गया। इसके तहत कायस्थ वंश की उपजातियां आज भी इन्हीं नामों से अपनी पहचान कायम रखे हुए हैं।
मौके पर राजेश सहाय, शशिकांत लाल दास, राजेश रंजन अंबष्ठा, प्रतिक प्रकाश मोनी, गणेश लाल, हेमंत सिन्हा, देवाशीष कार, राजेश सहाय राजु, प्रेम प्रकाश सिन्हा, चिन्मय दाश, श्रीमती शोभा रानी मोहंती, सुभाष पटनायक, अभिषेक पटनायक, देवज्योति कार श्रीमती सीमा कार, मीना सिन्हा अरूण श्रीवास्तव, राजन सिन्हा, अनिल श्रीवास्तव मौजूद थे।
इसके अतिरिक्त नवीन कुमार अंबष्ठा, दीपक श्रीवास्तव, आयुष शिवम् श्रीवास्तव, शेखर सिन्हा, सतीश सिन्हा, विकेस कुमार सिन्हा, सुमन दास, विजय कुमार दास, तेजस दास, श्यामा चरण सिन्हा भास्कर सिन्हा, मुकेश कुमार सिन्हा, ऋषिकेश कुमार सिन्हा आदि मौजूद थे।
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