मुंबई। “फायर नहीं… वाइल्डफायर है!” इस साल की सबसे धमाकेदार मास एंटरटेनर ‘पुष्पा 2 : द रूल’ दर्शकों को अपने रंग में रंगने को तैयार है। रविवार, 31 अगस्त शाम 7 बजे जब स्क्रीन पर पुष्पा की एंट्री होगी, तब हर गली और हर घर में गूंजेगी एक ही आवाज़, पुष्पा राज।
छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों तक, पुष्पा का स्वैग, उसका ठाठ और उसके गानों की धुन आज लोगों की धड़कन बन चुके हैं। बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ने वाली ये ब्लॉकबस्टर अब आ रही है आपके घर, आपके टीवी पर।

सुकुमार के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने बड़े पर्दे पर ऐसा तूफान लाया जिसे दर्शक कभी भूल नहीं पाएंगे। अल्लू अर्जुन का यह दमदार अवतार लोगों के दिलों में बसा है। जब उनकी आवाज़ गूंजती है, तो रगों में जोश दौड़ पड़ता है, ‘पुष्पा नाम सुनकर फ्लावर समझे क्या?’
जब ‘किस्सिक’ गाने पर उनके डांस मूव्स स्क्रीन पर धूम मचाते हैं, तब दर्शक खुद को थिरकने से रोक ही नहीं पाते। उनके साथ रश्मिका मंदाना की मोहक अदाएं और फहाद फासिल की दमदार मौजूदगी फिल्म को और ज्यादा रोमांचक बना देती है।
‘पुष्पा 2’ महज एक फिल्म नहीं, यह एक जुनून है, एक तूफान है जिसने भारत के कोने-कोने में लोगों को दीवाना बना दिया है। यह हर गांव, हर कस्बे और हर शहर की आवाज है, जिसने भाषा और इलाकों की सारी सीमाएं तोड़ दी हैं।
अब यह फिल्म अनमोल सिनेमा पर वही जादू फिर से बिखेरने आ रही है। यह फिल्म पूरी फैमिली के लिए है-जिसमें एक्शन है, रोमांच है, जज़्बात हैं और संगीत है, यानी हर स्वाद का तड़का एक ही थाली में!
फिल्म के प्रीमियर के बारे में बात करते हुए रश्मिका मंदाना कहती हैं, “श्रीवल्ली का किरदार निभाना मेरे लिए बेहद खास अनुभव रहा है, क्योंकि उसमें एक शांत ताकत और गहराई है। पुष्पा 2 में वो पहले से कहीं ज़्यादा मुखर होती है-वो अब सिर्फ साथ निभाने वाली पत्नी नहीं है, बल्कि जब वक़्त आता है, तब डटकर साथ खड़ी होती है। एक सीन में वो पुष्पा के लिए आवाज़ उठाती है, और वह पल न सिर्फ़ उनके रिश्ते का प्रतीक है, बल्कि उनकी अपनी सोच और हिम्मत का भी। यह बदलाव दिखाना मेरे लिए बहुत ही सशक्त और सच्चा अनुभव रहा।”
फ़िल्म के निर्देशक सुकुमार कहते हैं, “सिनेमा लोगों से कई स्तरों पर जुड़ता है, और टेलीविज़न उस अनुभव को उनके सबसे निजी स्पेस यानी घर तक लेकर आता है। यह फिल्म मेरे दिल के बेहद क़रीब है, जिसका हर फ्रेम, जज़्बात, प्यार और जुनून से बुना गया है। मैं चाहता हूं कि लोग अपने परिवार के साथ बैठकर पुष्पा का यह सफर फिर से महसूस करें। एक्शन, इमोशन और ड्रामा को फिर से जीएँ, और उसे अपने घर में आराम से बैठकर खुलकर एन्जॉय करें।”
जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, वैसे-वैसे पुष्पा राज का दबदबा और उसका रुतबा आसमान छूने लगता है। लाल चंदन का यह शहंशाह अब एक दास्तान बन चुका है। दुश्मन हर कोने में छिपे हैं, पुलिस उसका पीछा कर रही है, मगर पुष्पा हर किसी को अपनी चालाकी, अपनी ताकत और अपने बिंदास अंदाज से मात देने के लिए तैयार है।
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