
नई दिल्ली। मुंबई ट्रेन ब्लास्ट में उच्च न्यायालय के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। बांबे हाई कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
जुलाई, 2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट हुआ था। सात बम एक साथ फटने से मुंबई की वेस्टर्न रेलवे लोकल नेटवर्क में 180 से अधिक लोग मारे गए थे। सैकड़ों घायल हुए थे।
बांबे हाई कोर्ट की जस्टिस अनिल चांडक और श्याम चंद्रक की पीठ ने 21 जुलाई, 2025 को कहा कि अभियोजन पर्याप्त सबूत नहीं दे पाया। गवाहों की पहचान और एफिडेविट्स संदिग्ध थे। आरडीएक्स संबंधी प्रयोग और चेन ऑफ कस्टडी में खामियां थीं।
इस आधार पर हाई कोर्ट ने 2015 में हुई फांसी और उम्रवैद कैद की सुजा उलट दी और सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया।
इस फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। अदालत जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह की बेंच ने 24 जुलाई, 2025 को बांटे हाई कोर्ट के आदेश को तात्कालिक प्रभाव से स्थगित कर दिया।
यह भी स्पष्ट किया कि हाइकोर्ट के निर्णय को कोई मिसाल ना माना जाए। आरोपितों को अभी वापस जेल नहीं भेजा जाएगा, क्योंकि वे पहले ही रिहा हो चुके हैं।
महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर एसएलपी पर नोटिस जारी कर सभी आरोपितों को जवाब देने को कहा गया है।
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