नई दिल्ली। हाल के दिनों में सड़क दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही है। इसमें लोगों की मौत हो जा रही है। काफी लोग दुर्घटना बीमा भी कराते हैं। सड़क दुर्घटना में मौत होने के बाद उनके आश्रितों को कंपनी मुआवजा देती है। हालांकि बीमा कराने के बाद भी सड़क दुर्घटना में मौत होने पर कुछ लोगों के आश्रितों को मुआवजा नहीं मिलेगा। इसका निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने भी दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के जज पी.एस. नरसिम्हा और आर. महादेवन की बेंच ने 3 जुलाई, 2025 को यह स्पष्ट किया कि यदि किसी व्यक्ति की मौत तेज़ गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण होती है, तो बीमा कंपनी उसकी मृत्यु के लिए परिवार को मुआवजा देने की बाध्य नहीं होगी।

स्वयं ही की लापरवाही को सुप्रीम कोर्ट ने ‘self‑tortfeasor’ का मामला माना यानी व्यक्ति अपनी खुद की गलती से मारा गया है। ऐसे में बीमा कंपनी जिम्मेदार नहीं है।
बीमा कंपनियों की पॉलिसी का कवरेज उन ही परिस्थितियों तक सीमित है, जहां वाहन संचालक नियमों का पालन करता है। लापरवाही या स्टंट के दौरान घटना होने पर दायित्व समाप्त हो जाता है।
पहले कर्नाटक हाई कोर्ट और MACT ने भी इसी आधार पर परिवार की 80 लाख रुपये की मांग अस्वीकार की थी।
बताते चलें कि 18 जून, 2014 को कर्नाटक के मल्लासांद्रा-अरासिकेरे मार्ग पर कार चला रहे रविशा तेज़ रफ्तार में नियंत्रण खो बैठे। कार पलट गई और उनकी मौत हो गई।
परिवार ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से 80 लाख रुपये मुआवजे का दावा किया था, लेकिन MACT, हाई कोर्ट और अंततः सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज किया।
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