हजारीबाग। विदेश में काम करने गए मजदूरों को काम के दौरान वेतन के लाले तो पड़ते ही हैं, उनकी मौत के बाद शव को स्वदेश लाने में भी स्वजनों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। बीते कुछ दिनों में बिष्णुगढ़ थाना क्षेत्र के अंतर्गत बंदखारों के जान गंवाने वाले दो मजदूर के स्वजन इन दिनों शव को घर पहुंचाने और मुआवजे की गुहार शासन एवं प्रशासन से लगा रहे हैं।
बंदखारों निवासी धनंजय महतो महतो का शव सऊदी अरब में पड़ा हुआ है। इसी गांव के रामेश्वर महतो का शव चार दिनों के बाद भी कुवैत से स्वदेश नहीं पहुंच सका है। प्रवासी मजदूर धनंजय महतो की सऊदी अरब में 24 मई,, 2025 को मौत हो गयी थी। हालांकि अभी तक प्रवासी मजदूर का ना तो शव पहुंचा और ना ही परिजनों को कंपनी की ओर से मिलने वाली राशि के भुगतान का रास्ता साफ हो पाया है। इस कारण परिजनों की चिंता बढ़ने लगी है।
मृतक के परिजन अपने घर के सदस्य का अंतिम दर्शन के लिए हर दिन राह देख रहे हैं। मृतक अपने पीछे पत्नी गीतांजलि देवी, पांच साल का पुत्र संजय कुमार और डेढ़ साल का सुनील कुमार समेत भरा पूरा परिवार को छोड़ गये हैं।
प्रवासी श्रमिकों के हितों को लेकर काम करने वाले सिकन्दर अली लगातार संपर्क कर मामले का हल करने में जुटे हैं। उन्होंने कंपनी के अधिकारी से उचित मुआवजा के साथ दोनों शव को जल्द भारत भेजने की मांग की है, ताकि उनका अंतिम संस्कार किया जा सके।
श्री अली ने कहा कि गिरिडीह, बोकारो और हजारीबाग जिले की बड़ी आबादी देश- विदेश में काम कर रही है। ऐसे में मजदूर के साथ घटना होने के बाद मुआवजा एक बड़ी समस्या होती है। परिजन भी मुआवजा नहीं मिलने तक परेशान होते हैं। ऐसे में महीनों तक मजदूरों का शव विदेश में पड़ा रहता है।
मजदूरों के घरों में शव नहीं आने से उनके घर के चूल्हे शांत पड़े रहते हैं। परिजन हर दिन शव के इंतजार में रहते हैं। परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
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