डीजे पर पाबंदी से परंपरागत बैंड और ढोल वादकों में जगी उम्मीद

झारखंड
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  • एसडीएम ने कॉफी पर किया संवाद

विश्वजीत कुमार रंजन

गढ़वा। अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने नियमित साप्ताहिक कार्यक्रम ‘कॉफी विद एसडीएम’ में बुधवार को अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत ढोल, नगाड़ा, मांदर, देशी बैंड, भांगड़ा आदि के व्यवसाय से जीविका चलाने वाले कलाकारों को कॉफी पर बुलाया। उनसे संवाद किया।

इस दौरान ना केवल उनकी निजी समस्याओं को सुना, बल्कि सभी ढोल-बैंड वादकों के समक्ष आ रही व्यावसायिक दिक्कतों और प्रशासन से उनकी अपेक्षाओं के बारे में जाना। उनसे महत्वपूर्ण सुझाव भी लिए। एसडीएम के निमंत्रण पर अलग-अलग प्रखंडों से अनुमंडल कार्यालय पहुंचे। इन लोगों ने एक-एक कर अपनी बात रखी। एसडीएम ने सभी की शिकायतों और सुझावों पर यथासंभव पहल करने का भरोसा दिलाया।

ज्यादातर आमंत्रित सदस्यों ने डीजे पर पाबंदी के निर्णय पर हर्ष व्यक्त किया। गढ़वा में इस निर्णय के प्रभावी अनुपालन पर प्रशासन को धन्यवाद दिया। इस दौरान कुछ लोगों ने क्षेत्र की विधि व्यवस्था से जुड़ी कई रचनात्मक सुझाव भी दिये।

डीजे बीस आदमी का छीन रहा है व्यवसाय

पंजाबी भांगड़ा संचालक सदर प्रखंड के वाल्मीकि कुमार ने कहा कि उनके भांगड़ा समूह में 20 लोग काम करते हैं। डीजे के चलते उनका काम कम हुआ तो सीधे 20 लोगों की जीविका प्रभावित हुई है। उन्होंने इन सभी 20 लोगों के लिए किसी सामूहिक बीमा योजना या किसी अन्य सामाजिक सुरक्षा योजना से जोड़ने के एसडीएम से पहल करने का अनुरोध किया

पूंजी बढ़ाने के लिए लघु ऋण चाहिए

गढ़वा के बिनाका बैंड के संचालक नंदलाल ने कहा कि उन्हें अपने परंपरागत बैंड बाजा व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए पूंजी की जरूरत है। इसके लिए प्रशासनिक स्तर से लघु ऋण दिलवाने की पहल की जाए। उन्होंने कहा कि बच्चे और बूढ़ों के लिए डीजे समान रूप से खतरनाक है। इसका बहिष्कार किया जाना चाहिए।

मजबूरी में करना पड़ रहा है पलायन

डंडा प्रखंड के गढौता गांव के मनोज रवि ने कहा कि परंपरागत काम घटते जाने के चलते इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को मजबूरन रोजी-रोटी के लिए पलायन करना पड़ रहा है। मनोज रवि अमेरिका बैंड के नाम से पांच लोगों को अपने साथ जोड़कर रोजगार देने का काम कर रहे हैं।

दो बेटों को नहीं करने दिया बैंड व्यवसाय

गढ़वा के महेंद्र राम ने कहा कि पहले जन्मदिन, सगाई और ऐसे ही कार्यक्रमों में ढोल और बैंड को बुलाया जाता था। अब इनका स्थान डीजे ने ले लिया है। ऐसे में उन्होंने अपने तीन में से दो बेटों को बाहर काम करने भेज दिया है। क्योंकि उन्हें पता है कि अब यह व्यवसाय उनका पेट भरने के लिए काफी नहीं है। मजबूरन एक बेटा ही उनके साथ इस परंपरागत व्यवसाय से अभी जुड़ा है।

डीजे पाबंदी के बाद शुरू किया ढोल व्यवसाय

खजूरी लगमा के 25 वर्षीय सुनील कुमार कहते हैं कि उन्होंने अभी ढोल और बैंड बाजा का नया-नया काम 2 महीने पहले ही खोला है। डीजे पर पाबंदी के बाद उन्हें लगा कि अब ढोल व्यवसाय के दिन वापस आएंगे। इसी आशा में उन्होंने आसपास के 20 लोगों को जोड़कर इस परंपरागत काम को शुरू किया है।

दोबारा से काम शुरू करने गुजरात से लौटे

राजा बैंड के नाम से ढोल ताशा का काम करने वाले बाना, मेराल के अखिलेश ने बताया कि वे काम करने के लिए गुजरात चले गए थे, किंतु डीजे बैन की खबर से खुश होकर वे वापस अपने गांव लौट आए हैं। अब वे पांच अन्य लोगों को साथ लेकर दोबारा से ढोल भांगड़ा के क्षेत्र में उतर रहे हैं।

जितनी मेहनत है, उतनी मजदूरी नहीं

मेराल में संगम म्यूजिकल ग्रुप के संचालक अनिल राम ने कहा कि ढोल ताशे का काम सीजनल है। ऊपर से डीजे के बढ़ते प्रचलन से उनकी कमर टूट गई है। इस क्षेत्र में जितनी मेहनत है, उतनी मजदूरी नहीं मिलती है। इसलिए उन सभी का मनोबल टूट रहा है। उन्होंने कहा कि लोग डीजे के लिए लाख रुपए भी दे सकते हैं, किंतु ढोल वालों के लिए 2000 रुपये भी बड़े मुश्किल से निकलते हैं।

ढोल भांगड़ा वाले नशे से करें तौबा

सुपरस्टार पार्टी के नाम से बैंड पार्टी चलाने वाले जरही निवासी यमुना प्रसाद ने कार्यक्रम के दौरान अपने अन्य साथियों से अपील की कि वे लोग काम के दौरान नशे का सेवन नहीं करें, क्योंकि इससे व्यवसायिक छवि खराब होती है। उन्होंने कहा कि कई बार डीजे वालों के सहयोग से उनकी बैंड पार्टी को भी डीजे के साथ काम करने के लिए अवसर मिलता है, किंतु भयंकर ध्वनि प्रदूषण के बीच उन्हें कभी सहज महसूस नहीं होता।

निजी शिकायतें भी रखीं गईं

इस दौरान आमंत्रित सदस्यों ने अपनी कई निजी शिकायतें भी एसडीम के समक्ष रखीं। डंडा प्रखंड के उमेश कुमार ने आवास योजना और राशन कार्ड में नाम नहीं जुड़ने की बात कही। बाल्मीकि कुमार ने म्यूटेशन के संबंध में और यमुना प्रसाद ने जरही व डंडई के बीच अधूरे पड़े पुल की बात रखी।

अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया

अंत में एसडीएम ने सभी की समस्याओं और शिकायतों पर यथासंभव पहल करने का भरोसा दिया। साथ ही सभी को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया।
इस दौरान दिनेश कुमार, रमेश कुमार, धीरज कुमार, अमन कुमार, रवि कुमार आदि ने भी विचार रखे।